उद्यमियों को लुभाने में जुटी झारखंड सरकार, समाज के हर तबके को मिलेगा लाभ

Jharkhand News वैसे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन उद्यमियों को आश्वस्त कर रहे हैं कि आने वाले समय में कुछ ऐसी व्यवस्थाएं स्थापित की जाएंगी जिससे विकास को एक नई दिशा मिलेगी और समाज के हर तबके को इसका लाभ मिलेगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Fri, 12 Mar 2021 10:23 AM (IST) Updated:Fri, 12 Mar 2021 10:24 AM (IST)
उद्यमियों को लुभाने में जुटी झारखंड सरकार, समाज के हर तबके को मिलेगा लाभ
बीते सप्ताह दिल्ली में उद्यमियों के एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हेमंत सोरेन। फाइल

रांची, प्रदीप शुक्ला। मैंने जो बंडी पहनी है, यह किसी डिजाइनर ने तैयार नहीं की है, बल्कि हमारे राज्य की महिलाओं ने इसे बनाया है। यह किसी माहिर डिजाइनर की तरह नहीं है। बस इसे थोड़ा और तराशा जाता तो यह और भी बेहतर हो सकती थी। दिल्ली में उद्यमियों के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की इस टिप्पणी ने पूरी कहानी कह दी है। मतलब राज्य में मेधा और मेहनत की कमी नहीं है, बस जरूरत है केवल तकनीक की। अगर उद्यमी नई तकनीक लेकर राज्य आएं तो सरकार उनके लिए रेड कारपेट बिछाने को तैयार है।

यह कड़वी हकीकत है कि जब तक राज्य में उद्योग-धंधों के अनुकूल माहौल नहीं बनेगा, राज्य में नए निवेशकों का आना तो दूर, जो हैं वे भी पूरी क्षमता से काम करने में खुद को असहाय महसूस करेंगे। हेमंत सरकार को इसका भान हो गया है कि जब तक राज्य में औद्योगिक माहौल बेहतर नहीं होगा, बड़ी संख्या में रोजगार के नए मौके नहीं बनेंगे। शायद यही कारण है कि सरकार उद्योग-धंधों में आने वाली अड़चनों को दूर करने की दिशा में तेजी से बढ़ती दिख रही है।

बीते शनिवार को दिल्ली में स्टेकहोल्डर्स के साथ हुई एक कांफ्रेंस के बाद अब 15 मार्च को रांची में भी ऐसी ही एक कोशिश होने जा रही है। इसमें राज्य के उद्यमियों को आमंत्रित किया गया है। राज्य की नई औद्योगिक नीति बनाने की प्रक्रिया भी चल रही है। सरकार इन कांफ्रेंस के जरिये उद्यमियों का मिजाज समझना चाहती है। हेमंत सरकार ने इस साल को रोजगार वर्ष घोषित कर रखा है। उन्हें भलीभांति अंदाजा है कि जब तक नई औद्योगिक इकाइयां नहीं लगेंगी युवाओं को रोजगार दे पाना संभव नहीं है। राज्य में नई औद्योगिक इकाइयां लगें, इसके लिए जरूरी है उद्योगों के अनुकूल माहौल तैयार करना।

मुख्यमंत्री कहते हैं, राज्य में वो सभी मूलभूत सुविधाएं मौजूद हैं, जो एक उद्योग की स्थापना के लिए जरूरी होती हैं। राज्य में किसी भी चीज की कमी नहीं है। अगर हम अपने राज्य में मौजूद संसाधनों का ठीक से उपयोग कर पाएं तो झारखंड को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में खड़ा कर पाएंगे और इसमें उद्योग जगत के लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। मुख्यमंत्री ने उद्यमियों से आग्रह किया है कि वह सुझाव दें और अपने विचार साझा करें। कहीं भी कोई समस्या हो, दिक्कत आए तो बात करें। सरकार उनके साथ खड़ी रहेगी। यहां प्राकृतिक संसाधन और मानव संसाधन प्रचुर मात्र में हैं।

झारखंड एक खनिज समृद्ध राज्य है। यहां कोयला, लोहा, यूरेनियम, सोना सब कुछ है। देश का 36 प्रतिशत कोयला संपदा झारखंड में है। लौह अयस्क के क्षेत्र में भी अग्रणी है। कोयला उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य होने की वजह से विद्युत उत्पादन खूब हो रहा है। चतरा के टंडवा में एक हजार मेगावाट पावर उत्पादन प्लांट शुरू होगा। पतरातू में चार हजार मेगावाट पावर प्लांट भी शुरू होने वाला है। जल संसाधन के मामले में भी झारखंड अग्रणी है। गंगा, दामोदर, महानदी जैसी बड़ी नदियां सहित कई सहायक नदियां बहती हैं। राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह कहते हैं कि उद्योगों के लिए सुगम आवागमन सबसे बड़ी जरूरत होती है और यह राज्य की ताकत है। राज्य में 23 राष्ट्रीय राजमार्गो के साथ 22 हजार किमी का रोड नेटवर्क उपलब्ध है।

जब सबकुछ मौजूद है तो समस्या कहां है? यह एक बड़ा सवाल है और यह है नक्सलवाद। हर कोई भलीभांति समझ रहा है जब तक राज्य में कानून-व्यवस्था दुरुस्त नहीं होगी, उद्यमियों को यहां ला पाना काफी मुश्किल कार्य है। राज्य में पर्यटन क्षेत्र में भी अपार संभावनाएं हैं। जल, जंगल और जमीन इस राज्य की ताकत है, लेकिन नक्सली गतिविधियों से भय का माहौल बना रहता है। पिछले कुछ वर्षो में नक्सलियों पर नकेल डालने के लिए अच्छा काम भी हुआ है। अब कुछ ही क्षेत्रों तक वह सीमित होकर रह गए हैं, लेकिन फिर भी वह गाहे-बगाहे पुलिस-प्रशासन को चुनौती देते रहते हैं। राज्य के मुख्य सचिव भी इसे स्वीकारते हैं। वह कहते हैं कि कुछ जिलों के सुदूरवर्ती इलाकों में नक्सलवाद की समस्या है जो कि अपने अंतिम चरण में है।

[राज्य संपादक, झारखंड]

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