Jharkhand Budget Session: सदन में गूंजा बिजली संकट, नेता प्रतिपक्ष पर थमी रार

वेल में उतरे भाजपा विधायक लेकिन मरांडी के हस्तक्षेप के बाद वापस अपनी सीट पर लौटे। बाबूलाल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की मांग को लेकर अब कोई भी सदस्य वेल में नहीं आएगा।

By Alok ShahiEdited By: Publish:Thu, 12 Mar 2020 10:55 AM (IST) Updated:Thu, 12 Mar 2020 09:50 PM (IST)
Jharkhand Budget Session: सदन में गूंजा बिजली संकट, नेता प्रतिपक्ष पर थमी रार
Jharkhand Budget Session: सदन में गूंजा बिजली संकट, नेता प्रतिपक्ष पर थमी रार

रांची, जेएनएन। Jharkhand Budget Session राज्‍यसभा चुनाव और मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने तथा एमपी के मुख्‍यमंत्री कमलनाथ सरकार पर छाए संकट के बादल के बीच झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के सातवें कार्यदिवस की शुरुआत हुई। कार्यवाही शुरू होते ही सदन में समूचे झारखंड में बिजली की किल्‍लत को लेकर डीवीसी की बिजली कटौती का मामला गूंजा। विधायकों ने कहा कि वर्तमान में सिर्फ चार-पांच घंटे बिजली मिल रही है। इधर, झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता को लेकर पिछले आठ कार्यदिवस से चला आ रहा गतिरोध गुरुवार को समाप्त हो गया। इसकी पहल भी खुद बाबूलाल मरांडी ने ही की जिन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग को लेकर भाजपा विधायक लगातार हंगामा कर रहे थे।

बाबूलाल मरांडी ने नेता प्रतिपक्ष का निर्णय पूरी तरह से विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ते हुए यह स्पष्ट किया कि भाजपा विधायक अब इस मांग को लेकर वेल में नहीं आएंगे। बाबूलाल की संक्षिप्त टिप्पणी का असर साफ दिखा। सदन पूरी तरह से आर्डर में चला। प्रश्न काल, शून्य काल और ध्यानाकर्षण सूचनाएं न सिर्फ ली गईं बल्कि उन पर चर्चा भी हुई। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायक अमित मंडल ने व्यवस्था के तहत मामला उठाते हुए कहा कि चुनाव आयोग ने झाविमो के भाजपा में विलय को संवैधानिक ठहराया है।

स्पीकर से कहा कि इस संदर्भ में आपके पास भी पत्र गया होगा। इलेक्शन कमीशन की चिट्टी पर किसी ने शिकायत भी नहीं की है। अब वक्त आ गया है कि आप निर्णायक फैसला लें। बिना कैप्टन के हमारी टीम कैसे खेलेगी, गेंद अब पूरी तरह से आपके पाले में हैं। अमित मंडल के इस मामले को उठाने के साथ ही भाजपा विधायक वेल में आ गए। मगर बाबूलाल मरांडी के तत्काल खड़े होने के साथ ही भाजपा के सारे विधायक वापस उल्टे पांव अपनी सीट पर आ बैठे।

बाबूलाल ने अपनी पार्टी के भाजपा में विलय का पूरा ब्योरा सदन में दिया। स्पीकर से मुखातिब होकर कहा, अब निर्णय आपको लेना है, जब निर्णय लें। विधानसभा में पक्ष-विपक्ष के जो भी सदस्य चुनकर आए हैं, क्षेत्र की समस्याएं विधानसभा में उठाना चाहते हैं। लेकिन सदन बाधित है। इस प्रदेश के कई मामले हैं, कई घटनाएं हैं जिन पर चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने तनिक भावुक अंदाज में अपने विधायकों (भाजपा विधायकों) से अनुरोध करते हुए कहा कि अब नेता प्रतिपक्ष की मांग को लेकर वेल में न आएं।

'किसी प्रकार का किंतु-परंतु नहीं है। विधिक राय के बाद निर्णय लेंगे। हमें भी अच्छा नहीं लग रहा है। सीधे आसन पर आक्षेप लग रहा है। हम इस बात की गंभीरता को सब समझ रहे हैं। हमें थोड़ा वक्त दीजिए। दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।' -रवींद्र नाथ महतो, विधानसभा अध्यक्ष।

chat bot
आपका साथी