ये हैं झारखंड के शिक्षा मंत्री, सिर्फ सरकारी स्कूल के बच्चों को ही देंगे सरकारी नौकरी, विपक्ष बोला-नया संविधान लिख दीजिए

झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने सवाल उठाया है कि निजी स्कूल में पढ़ेंगे और नौकरी करेंगे सरकारी यह सही नहीं है। हालांकि बवाल बढ़ने के बाद उन्‍होंने इसे अपना निजी विचार बताया

By Alok ShahiEdited By: Publish:Wed, 01 Jul 2020 08:07 PM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2020 08:16 AM (IST)
ये हैं झारखंड के शिक्षा मंत्री, सिर्फ सरकारी स्कूल के बच्चों को ही देंगे सरकारी नौकरी, विपक्ष बोला-नया संविधान लिख दीजिए
ये हैं झारखंड के शिक्षा मंत्री, सिर्फ सरकारी स्कूल के बच्चों को ही देंगे सरकारी नौकरी, विपक्ष बोला-नया संविधान लिख दीजिए

रांची, राज्‍य ब्यूरो। अपने तरह-तरह के बयानों से सुर्खियों में रहने वाले झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो फिर चर्चा में हैं। उन्होंने कहा है कि राज्य में सरकारी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को ही सरकारी नौकरी दी जानी चाहिए। इससे सरकारी स्कूलों के प्रति लोगों की धारणा बदलेगी तथा लोग निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों का नामांकन कराएंगे। हालांकि, उनके बयान के बाद बढ़े बवाल पर उन्‍होंने सफाई दी और इसे अपना निजी विचार बताया। शिक्षा मंत्री ने कहा कि अभी वे इस मसले पर सबकी राय ले रहे हैं। शिक्षा मंत्री इससे पहले भी सरकार की किरकिरी करा चुके हैं। तब उन्‍होंने कहा था लॉकडाउन के दौरान निजी स्कूलों से फीस माफ करवाएंगे, लेकिन करा नहीं पाए। दबाव बढ़ा तो उन्‍होंने पलटी मारते हुए कहा कि मैंने तो निजी स्‍कूलों से फीस माफ करने का सिर्फ आग्रह किया था।

सरकारी स्‍कूल के छात्रों को सरकारी नौकरी के सवाल पर हालांकि शिक्षा मंत्री ने बाद में कहा कि यह उनकी कोई घोषणा या सरकारी आदेश नहीं है। यह उनका अपना विचार है और इसे झारखंड में लागू कराना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वे अभी इसपर सभी से विचार ले रहे हैं। इससे मीडिया और प्रबुद्ध वर्गों से भी विचार लिया जाएगा। सभी की सहमति से ही उचित निर्णय लिया जाएगा। बकौल मंत्री, फिलहाल उनकी इस सोच का उन्हें पूरा समर्थन मिल रहा है और अभी तक किसी ने भी इसे गलत नहीं ठहराया है।

शिक्षा मंत्री ने यह सवाल भी उठाया कि कोई विद्यार्थी निजी स्कूल में पढ़ेगा और नौकरी सरकारी क्षेत्र में करना चाहेगा तो यह कहां तक उचित है?  शिक्षक, नेता, मंत्री जो भी हो वह सरकारी नौकरी या सेवा करना चाहता है तो उसे सरकारी स्कूलों में ही पढ़कर आना चाहिए। गुणवत्ता के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी के सहयोग से सरकारी स्कूलों को ही इस स्तर तक तक बनाया जाए जिससे वहां निजी स्कूलों से भी बेहतर पढ़ाई हो। उन्होंने यह भी कहा कि निजी स्कूलों में पढऩेवाले विद्यार्थी डॉक्टर, इंजीनियर आदि बनें। सरकारी नौकरी निजी स्कूलों में पढऩेवाले बच्चों को छोड़ दें।

कानूनी रूप से ऐसा संभव नहीं होने के सवाल पर उन्होंने यह भी कहा कि कोई कानून सरकार ही बनाती है। फिर सरकारी स्कूलों में पढऩेवाले बच्चों को ही सरकारी नौकरी मिलने का कानून सरकार क्यों नहीं बना सकती? बता दें कि हाल ही में मंत्री निजी स्कूलों में फीस माफी की घोषणा को लेकर चर्चा में आए थे। हालांकि वे निजी स्कूलों में ट्यूशन शुल्क माफ नहीं करा सके। 

ट्विटर पर भी चले बयानों के तीर

शिक्षा मंत्री के इस बयान पर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ी। ट्विटर पर यह मुद्दा छाया रहा। कई विधायकों और सांसदों ने भी इस मसले पर शिक्षा मंत्री को घेरा। 

अब खुलकर सामने आई इस सरकार की मूल कार्ययोजना। भावनात्मक, अव्यवहारिक मुद्दे खड़े करो, ऐसे वादे जिन्हें पूरा करना असंभव हो, पर उन्माद भरपूर पैदा हो। ये उन्माद इतनी देर तो टिकेगा ही, जितनी देर में ये अपनी विफलता ढंक लें, एजेंडा पूरा कर लें। ट्विटर पर महेश पोद्दार, राज्यसभा सदस्य

क्या बात हुजूर, दिल जीत लिया आपने। नया संविधान ही लिख दीजिए अब राज्य के लिए। आपकी प्रतिभा के साथ न्याय वही है। प्राइवेट स्कूलों में पढ़कर राज्य और केंद्रीय सेवाओं में आए एक भी अफसर का अगर झारखंड में पदस्थापन हुआ तो अब बवाल ही होगा बस। मतलब कुछ भी बोल देना है। ट्विटर पर कुणाल षाडंगी, पूर्व विधायक 

क्या कहता है कानून

संविधान के आर्टिकल 13 के सबक्लॉज दो व आर्टिकल 14 मौलिक अधिकारों का संरक्षण करते हैैं। राज्य के छात्र सीबीएसई सहित अन्य बोर्ड से पढ़ाई कर रहे हैैं। अगर ऐसा होता है तो उनके साथ भेदभाव होगा और उनका मौलिक अधिकार छिन जाएगा। इसके बाद भी अगर सरकार इस प्रकार का कोई कानून लाती है तो उसे हाई कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। प्रिंस कुमार सिंह, अधिवक्ता, झारखंड हाई कोर्ट।

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