ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले में बिना संज्ञान के आरोप गठन का उठा मुद्दा

रांची झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाला मामले की सुनवाई मंगलवार को हुई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 01 May 2019 07:42 AM (IST) Updated:Fri, 03 May 2019 06:28 AM (IST)
ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले में बिना संज्ञान के आरोप गठन का उठा मुद्दा
ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाले में बिना संज्ञान के आरोप गठन का उठा मुद्दा

रांची : झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश शंकर की अदालत में ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाला मामले में आरोपित विनोद सिन्हा की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान सीबीआइ कोर्ट द्वारा बिना संज्ञान लिए ही आरोपितों पर आरोप गठन का मुद्दा उठाया गया। अब इस मामले में सीबीआइ की ओर से पक्ष रखा जाएगा। मामले में अगली सुनवाई 17 जून को होगी।

सुनवाई के दौरान वरीय अधिवक्ता आरएस मजूमदार ने अदालत को बताया कि ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाला मामले में सीबीआइ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व विनोद सिन्हा सहित अन्य लोगों को क्लीनचिट देते हुए अंतिम प्रपत्र निचली अदालत में दाखिल कर दिया था। सीबीआइ कोर्ट ने इस रिपोर्ट पर बिना संज्ञान लिए ही आरोपितों पर आरोप गठित कर दिया है, जो न्यायसंगत नहीं है। इसलिए अदालत की ओर से आरोप गठन को निरस्त किया जाए।

बता दें कि विनोद सिन्हा की ओर से निचली अदालत द्वारा डिस्चार्ज पीटिशन को खारिज करने के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।

यह है मामला

राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण घोटाला मामले में एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) ने प्राथमिकी दर्ज की थी। जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की गई। इसमें कहा गया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने विनोद सिन्हा के जरिए एक हजार एक करोड़ रुपये के टेंडर में 11 करोड़ रुपये घूस ली है। इस पर निगरानी कोर्ट ने 23 फरवरी 2011 को संज्ञान लिया। इसबीच राज्य सरकार ने इस मामले की भी जांच सीबीआइ को सौंप दी और पूरा मामला सीबीआइ को स्थानांतरित कर दिया गया। जांच के बाद सीबीआइ ने तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा व विनोद सिन्हा सहित अन्य लोगों को क्लीनचिट देते हुए अदालत में अंतिम प्रपत्र दाखिल कर दिया।

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