चारा घोटाला: नेता-अफसर, सप्लायर में बंटी राशि

घोटाले के साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर सीबीआइ के गवाह आरके दास ने भी फर्जीवाड़े की पुष्टि की है।

By BabitaEdited By: Publish:Sat, 27 Jan 2018 01:04 PM (IST) Updated:Sat, 27 Jan 2018 01:05 PM (IST)
चारा घोटाला: नेता-अफसर, सप्लायर में बंटी राशि
चारा घोटाला: नेता-अफसर, सप्लायर में बंटी राशि

रांची, आलोक। चाईबासा कोषागार से जुड़े चारा घोटाला मामले में राजनेताओं, अधिकारियों और आपूर्तिकर्ताओं ने धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपये हड़प लिए। इसमें साजिशकर्ता राजनेताओं और अधिकारियों को 80 फीसद तथा आपूर्तिकर्ताओं को 20 फीसद राशि मिली। सीबीआइ कोर्ट के जज एसएस प्रसाद ने बुधवार को इस प्रकरण में फैसला सुनाते हुए कहा कि यह मामला पूरी तरह फर्जीवाड़े का है।

चाईबासा कोषागार से 37.62 करोड़ रुपये की अवैध निकासी की गई थी। तत्कालीन ट्रेजरी ऑफिसर सिलास तिर्की, उपायुक्त सजल चक्रवर्ती, पशुपालन विभाग के सचिव महेश प्रसाद और वित्त आयुक्त फूलचंद सिंह ने धोखाधड़ी कर घोटाले को अंजाम दिया। राजनेता, पशुपालन विभाग के अधिकारियों और आपूर्तिकर्ताओं की साजिश के बारे में सीबीआइ के गवाह दीपेश चांडक ने कहा है कि फर्जी बिलों के जरिये भुगतान किए गए। इसमें गैर आपूर्ति आवंटन पत्रों का इस्तेमाल किया गया।

घोटाले के साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर सीबीआइ के गवाह आरके दास ने भी फर्जीवाड़े की पुष्टि की है। वे इस मामले के भी साक्षी थे। बकौल आरके दास डॉ. राम राज राम को निदेशक पद पर प्रोन्नति देने के लिए आरोपी लालू प्रसाद यादव, डॉ. आरके राणा और डॉ. श्याम बिहारी सिन्हा को उपकृत किया गया। उन्होंने कहा है कि लालू प्रसाद के पक्ष में भुगतान करने के लिए झूठी रिपोर्ट बनाई गई। ऑडिट टीम की आपत्तियों को दरकिनार कर विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष डॉ. जगदीश शर्मा को रांची हवाई अड्डे पर बड़ी नकदी का भुगतान किया गया। जज ने अपने फैसले में सीबीआइ के गवाह के हवाले से कहा है कि कई स्तरों पर धोखाधड़ी कर पैसे का भुगतान किया गया। इससे एयर टिकट का भुगतान व आलीशान होटलों के बिल तक दिए गए।

इस पैसे में शशि कुमार सिंह, विद्या सागर निषाद, भोला राम को भी हिस्सेदारी मिली। बेक जूलियस, आरके राणा, डॉ. जगदीश शर्मा और डॉ. श्याम बिहारी सिन्हा ने आपूर्तिकर्ताओं और अफसरों को संरक्षण दिया था। सीबीआइ के अन्य गवाह नगीना ठाकुर व अजीत कुमार के हवाले से कहा गया है कि ऑडिटर जनरल के कार्यालय से त्रिपुरारी मोहन प्रसाद को होटल पाटलिपुत्र में आपूर्ति से जुड़े ऑडिट की रिपोर्ट दी गई थी।

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