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चारा घोटाला: लालू यादव को पांच साल की सजा, दस लाख का जुर्माना

रांची स्थित विशेष अदालत ने बुधवार को दोषी करार देेते हुए पांच साल की सजा और दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 24 Jan 2018 10:41 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jan 2018 02:42 PM (IST)
चारा घोटाला: लालू यादव को पांच साल की सजा, दस लाख का जुर्माना
चारा घोटाला: लालू यादव को पांच साल की सजा, दस लाख का जुर्माना

रांची, जागरण संवाददाता। राजद प्रमुख लालू यादव को चारा घोटाले के तीसरे मामले में सीबीआइ की रांची स्थित विशेष अदालत ने बुधवार को दोषी करार देेते हुए पांच साल की सजा और दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इस मामले में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा, विघासागर निषाद ,जगदीश शर्मा, आरके राणा, सिलास तिर्की सहित 50 आरोपियों को दोषी करार दिया गया है, जब कि छह आरोपियों को इस मामले में बरी भी किया गया है। 

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उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी यादव के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि चारा घोटाले पर आये फैसले में कोई आश्चर्य की बात नहीं है, यह उम्मीद पहले से ही की जा रही थी, राजद की तरफ से आने वाले बयान वाकई दुर्भाग्यपूर्ण हैं, क्या वह यह कहना चाहते हैं कि  न्यायधीश भाजपा और नीतीश जी के साथ मिलकर उनके खिलाफ षड्यंत्र रच रहे हैं? गौरतलब है कि फैसले के बाद लालू के पुत्र तेजस्वी यादव ने भाजपा, आरएसएस और नीतिश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा था कि सब लोग जानते हैं कि इन सब ने मिलकर लालू यादव जी के खिलाफ षड्यंत्र रचा है। हम इन सभी फैसलों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करेंगे।

ज्ञात हो कि यह मामला चाईबासा कोषागार से 1992-93 में 33.67 करोड़ रुपये की अवैध निकासी से संबंधित है।सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएस प्रसाद की अदालत ने दस जनवरी 2018 को सुनवाई पूरी करते हुए फैसले के लिए तिथि निर्धारित की थी। चाईबासा कोषागार से 33 करोड़, 67 लाख 534 रुपये की अवैध निकासी को लेकर चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 68ए/96 के तहत प्राथमिकी दर्ज है। निकासी 1992 से 93 के बीच हुई थी। राजनीतिक नेता, पशुपालन अधिकारी व आइएएस अधिकारियों की मिलीभगत से 67 जाली आवंटन पत्र पर 33 करोड़ 67 लाख 534 रुपये की निकासी कर ली। जबकि मूल आवंटन 7.10 लाख रुपये ही था। वरीय विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह ने सीबीआइ की ओर पक्ष रखा। उन्होंने सीबीआइ की ओर से 203 लोगों की गवाही न्यायालय में दर्ज कराई। मामले की सुनवाई में बचाव की ओर से 23 गवाहों को प्रस्तुत किया गया। इसमें लालू प्रसाद की ओर से 17 लोगों की गवाही दर्ज कराई गई। इसके अलावा दस्तावेजों को प्रस्तुत किया गया।

76 आरोपियों के खिलाफ हुई थी चार्जशीट

चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित मामले में 12 दिसंबर 2001 को 76 आरोपियों केखिलाफ न्यायालय में चार्जशीट दाखिल की गयी थी । ट्रायल के दौरान 14 आरोपियों का निधन हो चुका है। वहीं तीन सरकारी गवाह बन गए। दो आरोपियों ने दोष स्वीकार कर लिया। दोष स्वीकार करने वाले अभियुक्त सुशील कुमार झा व प्रमोद कुमार जासवाल को अदालत से पूर्व में सजा सुनाई जा चुकी है। वहीं एक आरोपी फूल सिंह अब तक फरार हैं। इस मामले में कुल 56 आरोपी ट्रायल फेस कर रहे हैं। इसमें लालू प्रसाद, डॉ. जगन्नाथ मिश्रा सहित छह राजनीतिक नेता, तीन आइएएस अधिकारी, छह पशुपालन पदाधिकारी, कोषागार पदाधिकारी सिलास तिर्की और 40 आपूर्तिकर्ता शामिल हैं।

ट्रायल फेस कर रहे छह राजनीतिज्ञ

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. जगन्नाथ मिश्र, पूर्व सांसद डॉ. आरके राणा, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष धुव्र भगत, विद्यासागर निषाद और जगदीश शर्मा शामिल है।

तीन आइपीएस अधिकारी

तीन आइपीएस झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव व चाईबासा के तत्कालीन उपायुक्त सजल चक्रवर्ती, फूलचंद सिंह, महेश प्रसाद।

एक कोषागार पदाधिकारी

सिलास तिर्की।

पशुपालन विभाग के छह पदाधिकारी

केएन झा, केएम प्रसाद, बीएन शर्मा, डॉ. राम प्रकाश राम, डॉ. एमके श्रीवास्तव और डॉ. अर्जुन शर्मा।

मामले में शामिल हैं 40 आपूर्तिकर्ता

मो. सईद, मो. इकराम, मो. हुसैन, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, सुशील कुमार, सुरेश दुबे, सत्येंद्र कुमार मेहरा, उमेश दुबे, विजय मल्लिक, महेंद्र कुमार कुंदन, राजेश मेहरा, जगमोहन लाल ककड़, संजय सिन्हा, रवि कुमार सिन्हा, मो. जाहिद हुसैन, दयानंद कश्यप राम नंदन सिंह, श्रीनाथ सिंह, शरद कुमार, निर्मला प्रसाद, अनिता प्रसाद, सिद्धार्थ कुमार, ज्योति कुमार झा, राम अवतार शर्मा, विजेश्वरी प्रसाद सिन्हा, समीर वालिया, प्रकाश कुमार लाल, देवेंद्र कुमार राय, चंचला सिन्हा, सुभाषीश देव, सुदेव राणा, विमला शर्मा, रवि सिन्हा, सीमा कुमार, अजीत कुमार वर्मा, एमएस बेदी, मधु मेहता, हरीश कुमार, विमल कुमार अग्रवाल, सुनील कुमार सिन्हा

तीन बने सरकारी गवाह

मामले में तीन दीपेश चांडक, आरके दास व शैलेश प्रसाद सिंह सरकारी गवाह बन गए।

दो ने किया दोष स्वीकार

दो आरोपी सुशील कुमार झा और प्रमोद कुमार जायसवाल ने ट्रायल के दौरान दोष स्वीकार कर लिया। इसके बाद दोनों को पूर्व में ही सजा सुना दी गई थी।

इन 14 आरोपियों को हो चुका निधन

चंद्रदेव प्रसाद वर्मा, भोला राम तुफानी, डॉ. रामराज राम, के अरूमुघम, डॉ. एसबी शर्मा, ब्रजभूषण प्रसाद, डॉ. पांडेय सीपी शर्मा, डॉ. दुबराज दोरई, डॉ. जीपी त्रिपाठी, चंद्रशेखर दुबे, डॉ. रंजीत कुमार मिश्रा, एसएन सिन्हा, शकुंतला सिन्हा व राजो सिंह।

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