गांवों तक बिजली को 1.36 लाख ट्रांसफार्मर, 51,788 सर्किट किमी डिस्ट्रीब्यूशन लाइन

रांची : झारखंड में ग्रामीण विद्युतीकरण की तमाम योजनाएं तयशुदा समय पर पूरी होंगी। प्रयास इस स्

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 Sep 2018 08:35 AM (IST) Updated:Fri, 14 Sep 2018 08:35 AM (IST)
गांवों तक बिजली को 1.36 लाख ट्रांसफार्मर, 51,788 सर्किट किमी डिस्ट्रीब्यूशन लाइन
गांवों तक बिजली को 1.36 लाख ट्रांसफार्मर, 51,788 सर्किट किमी डिस्ट्रीब्यूशन लाइन

रांची : झारखंड में ग्रामीण विद्युतीकरण की तमाम योजनाएं तयशुदा समय पर पूरी होंगी। प्रयास इस स्तर पर हो रहा है कि गांव का हर घर रोशन हो और वित्तीय वर्ष 2019 की समाप्ति तक गांवों में भी 24 घंटे बिजली की गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति सुनिश्चित की जाए। काम जब धरातल पर उतरेगा तो इस लक्ष्य को पूरा करने में कोई बाधा आड़े नहीं आएगी।

गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए मौजूदा संसाधनों में आमूलचूल परिवर्तन की कवायद शुरू की गई है। इसके तहत वित्तीय वर्ष 2019 तक 1.36 लाख नए डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर लगा दिए जाएंगे। यहां तक बिजली पहुंचाने के लिए 51,788 सर्किट किलोमीटर डिस्ट्रीब्यूशन लाइन का विस्तार होगा। इतनी ज्यादा क्षमता विकसित होने के बाद गांवों में 31.25 लाख घरों तक बिजली पहुंचाने में आसानी होगी। ग्रामीण इलाकों में फीडर स्थापित करने का काम भी पूर्ण होगा।

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आरंभ होगा किसान ऊर्जा सुरक्षा महाअभियान

गांवों तक बिजली सुनिश्चित करने का मकसद किसानों को सीधे फायदा पहुंचाना है। जल्द ही केंद्र सरकार किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान की शुरुआत करने जा रही है। इसके तहत किसानों के खेत तक बिजली पहुंचाकर उन्हें तमाम सहूलियतें प्रदान की जाएंगी। कृषि कार्य के लिए अलग से बिजली फीडर होगा। सिंचाई समेत कृषि के अन्य उपकरणों के प्रयोग पर यह लागू होगा। सरकार तमाम कृषि संबंधी बिजली कनेक्शन मुफ्त प्रदान करेगी। जिन किसानों तक बिजली की पहुंच नहीं होगी उन्हें गैर परंपरागत स्त्रोत से बिजली दी जाएगी। इसमें सोलर पावर प्लांट, बायोमास उत्पादन आदि शुमार हैं।

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पेश आ रही ये चुनौतियां

- ग्रामीण इलाकों में ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन लाइन को सशक्त करना एक बड़ी चुनौती है।

- भौगोलिक परिस्थितियां प्रतिकूल, सुदूर इलाकों में उपकरण को पहुंचाने में काफी दिक्कतें।

- घने जंगलों में विद्युतीकरण के दौरान काफी कठिनाई।

- दुरुह इलाकों में गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत के जरिए बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करना एक मात्र विकल्प।

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