कोरोना से निपटने में थ्री टी फॉर्मूला कारगर

रांची कोरोना की वैक्सीन भले बाजार में आ जाए लेकिन नवंबर या दिसंबर से यह पीक पर होगा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Jul 2020 01:44 AM (IST) Updated:Mon, 06 Jul 2020 06:11 AM (IST)
कोरोना से निपटने में थ्री टी फॉर्मूला कारगर
कोरोना से निपटने में थ्री टी फॉर्मूला कारगर

जागरण संवाददाता, रांची : कोरोना की वैक्सीन भले बाजार में आ जाए लेकिन नवंबर या दिसंबर से पहले लोगों को इससे छुटकारा नहीं मिलने जा रहा। हर वायरस की पीक अवधि होती है। कोरोना के केस में भी जल्द उछाल आएगा। हालांकि दिसंबर के बाद इसका ग्राफ भी गिरना शुरू हो जाएगा। नवंबर या दिसंबर के बाद लोगों को इससे राहत जरूर मिलेगी। ये बातें रिम्स के पूर्व निदेशक और राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. बीएल शेरवाल ने कही। रविवार को वे रिम्स में थे। इस दौरान उन्होंने प्रेसवार्ता कर कोरोना से लड़ने और बचाव के उपाय भी बताए।

डॉ. शेरवाल माइक्रोबायोलॉजिस्ट भी हैं और दिल्ली में कोरोना से निपटने में महत्वपूर्ण योगदान भी दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से बचने के लिए थ्री टी के फार्मूले पर काम किया जाना चाहिए। टेस्ट, ट्रेस एंड ट्रीट। मतलब अधिक से अधिक संख्या में लोगों की जांच हो। मरीजों के कांटेक्ट को ट्रेस किया जाए और उन्हें बेहतर तरीके से ट्रीट किया जाए। इसमें अधिक से अधिक मरीजों को जांच करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राज्य में कम केस हैं क्योंकि यहां टेस्ट रेट काफी कम है। झारखंड में एक दिन में औसतन 3000 टेस्ट हो रहे हैं तो बिहार में हर दिन 18 हजार जांच का आंकड़ा है।

लाइफ सेविग मशीन के साथ सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर की टीम भी हो : डॉ. शेरवाल ने कहा कि कोविड अस्पताल में लाइफ सेविग सपोर्ट होना जरूरी है। किसी भी गंभीर मरीज में कोरोना की पुष्टि के बाद उसे तुरंत भर्ती के बाद लाइफ सपोर्ट मशीन पर रखा जाए। सभी विभागों के स्पेशल्सिट डॉक्टर की टीम हर समय कोविड वार्ड में हो। ताकि किसी भी स्थिति में मरीज का इलाज हो सके। सिर्फ जूनियर डॉक्टरों के भरोसे कोविड के गंभीर मरीजों को ना छोड़ा जाए। बुजुर्गो पर अधिक ध्यान की जरूरत : डॉ. बीएल शेरवाल ने कहा कि बुजुर्गों पर अधिक ध्यान देने की जरुरत है। कहा कि प्रतिदिन नये लक्षण सामने आ रहे हैं। टेस्ट में फर्क आ रहा है। ऑक्सीजन सेचुरेशन में फर्क आ रहा है। कहा कि घर में सेचुरेशन जांच करने के लिए मशीन रखी जानी चाहिए। 90 से कम सेचुरेशन होने पर डॉक्टर से परामर्श लेकर जांच करानी चाहिए। सर्दी खांसी बुखार जैसी स्थिति में संशय लगे तो बगैर देरी किए कोविड टेस्ट करा लेना चाहिए।

ट्रूनेट मशीन जांच के लिए कारगर

सभी सरकारी अस्पतालों में लगी ट्रूनेट मशीन भी कोरोना की जांच में कारगर है। डॉ बीएल शेरवाल ने कहा कि फर्क सिर्फ इतना है कि आरटी पीसीआर मशीन में अधिक सैंपल की जांच होती है, जबकि ट्रूनेट में सिर्फ दस की जांच हो पाती है। माइक्रोबायोलॉजी के एचओडी डॉ मनोज ने स्पष्ट किया कि ट्रूनेट में पहले स्क्रीनिग होती है। अगर जांच निगेटिव हुई तो शत प्रतिशत निगेटिव हो जाती है। संशय की स्थिति में कंफर्मेशन किट से जांच हो रही है। ट्रूनेट की शुरुआत में सिर्फ स्क्रीनिग किट ही मौजूद थे। अब कंफर्मेशन किट आ गयी है।

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