रिम्स में हड़ताल, 12 मरीजों की मौत, 1500 बिना इलाज वापस लौटे

सीएम रघुवर दास ने कहा है कि रिम्स में अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मैं हड़ताली कर्मियों से काम पर जल्द वापस लौट आने की अपील करता हूं।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Sun, 03 Jun 2018 02:45 PM (IST) Updated:Sun, 03 Jun 2018 03:47 PM (IST)
रिम्स में हड़ताल, 12 मरीजों की मौत, 1500 बिना इलाज वापस लौटे
रिम्स में हड़ताल, 12 मरीजों की मौत, 1500 बिना इलाज वापस लौटे

रांची, जेएनएन। राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में नर्सों की हड़ताल की वजह से अब तक 12 मरीजों की मौत हो चुकी है। इस बीच, बिना इलाज कराए ही करीब 1500 मरीज लौट चुके हैं। वहीं, हड़ताल की वजह से मरीजों और उनके तीमारदारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ है। तनाव की स्थिति को देखते यहां अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। बाहर से आने वाले मरीजों को यहां से लौटा दिया जा रहा है, जबकि यहां पहले से दाखिल मरीज दूसरी जगह जाने को मजबूर हैं।

इस बीच, सीएम रघुवर दास ने आज ट्वीट कर कहा है कि रिम्स में अराजकता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अपनी बात रखने का हक सबको है, लेकिन कायदे से। मैं हड़ताली कर्मियों से काम पर जल्द वापस लौट आने की अपील करता हूं। स्वास्थ्य मंत्री और मुख्य सचिव को वार्ता कर मामले का जल्द निपटारा करने के निर्देश दिए हैं।

वहीं, हड़ताल पर महेश पोद्दार ने कहा है कि स्वास्थ मंत्री बाहर हैं कुछ दिनों बाद आएंगे। मरीजों को स्थायी नुकसान होगा, जिनकी सेवा आप करते आएं हैं। मंत्री जी से मिलने की जिद ना करें। समाधान अवश्य होगा। हड़ताल खत्म कर नाराजगी दूसरे तरीके से जाहिर करें। ये समाज की अपील है।

तड़पते मरीज की गेट पर मौत, हंगामा
राज्य के सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) में एक मरीज की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों द्वारा जूनियर डाक्टरों व नर्सों के साथ मारपीट किए जाने के विरोध में जूनियर डॉक्टर एवं नर्स एक बार फिर शनिवार को अचानक हड़ताल पर चले गए। इस दौरान नर्सों द्वारा रिम्स के दोनों मुख्य गेट बंद कर देने से एक गंभीर मरीज की गेट पर ही तड़प-तड़पकर मौत हो गई। उसकी गंभीर स्थिति देखकर भी नर्सों का दिल नहीं पसीजा। नीरू वर्मा नामक यह 72 वर्षीय मरीज बिहार के लखीसराय का रहने वाला था।

इधर, रिम्स में शनिवार को ग्यारह मरीजों की मौत हो गई। इसे डॉक्टरों और नर्सों की हड़ताल से जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं, ओपीडी समेत विभिन्न वार्डो से 1500 से अधिक मरीजों को वापस लौटना पड़ा। इसमें लगभग 150 मरीज रिम्स में भर्ती थे। जानकारी के अनुसार, रांची के कमड़े (रातू) निवासी गीता देवी एवं उनके पति मणिशंकर प्रसाद 29 मई को रिम्स में भर्ती हुए थे। जहर खाने के कारण उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई थी। मणिशंकर की मौत अगले ही दिन 30 मई को हो गई थी। परिजनों के अनुसार, दो जून को मेडिसिन के डॉ. उमेश प्रसाद के वार्ड में भर्ती गीता देवी (48) की भी तबीयत बिगड़ने लगी। परिजनों द्वारा बुलाने पर जूनियर डॉक्टर ड्यूटी पर तैनात नर्सो को मरीज को दवा देने एवं इंजेक्शन लगाने का निर्देश देकर वापस लौट गए। सुबह तीन बजे दवा एवं इंजेक्शन देने के लगभग आधा घंटा बाद गीता की भी मौत हो गई। परिजनों ने इलाज से संबंधित कागज मांगा तो नर्सों ने देने से इंकार कर दिया। परिजनों का आरोप था कि गलत इलाज के कारण गीता की मौत हुई।

नर्सों ने आरोप लगाया कि इस पर महिला परिजनों ने उग्र होकर नर्स पर हमला बोल दिया। नर्सों के ड्रेस के पॉकेट फाड़ डाले तथा पिटाई कर दी। कुछ सामान भी छीन लिए। नर्सों ने यह भी आरोप लगाया है कि 20-25 की संख्या में परिजन पहुंचकर दो जूनियर डॉक्टरों की भी पिटाई कर दी। इसके बाद वे हड़ताल पर चले गए। जूनियर डॉक्टरों एवं नर्सो की हड़ताल के बाद रिम्स में स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई। वहीं, करीब तीन घंटे तक रिम्स परिसर की स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। नर्स व मृत मरीज के परिजन दोनों गुट आक्रोशित और लड़ने पर उतारू थे। घंटों बाद पुलिस ने दोनों को काबू में किया। इस दौरान रिम्स परिसर पुलिस छावनी में तब्दील हो गई। डॉक्टरों व नर्सों ने रिम्स निदेशक के कार्यालय के पास जमा होकर जमकर नारेबाजी भी की। वे राज्य के स्वास्थ्य मंत्री को तत्काल बुलाकर वार्ता करने की मांग पर अड़े रहे। रिम्स निदेशक डा. आरके श्रीवास्तव ने मंत्री के बाहर होने का हवाला देते हुए मोबाइल पर बात कराने की बात कही, जिससे नर्सो ने इंकार कर दिया।

हड़ताल का विरोध करने पर मरीजों से भिड़ीं नर्स
दिन के 11 बजे जोन्हा से एंबुलेंस से मरीज लेकर आए लोगों ने इलाज नहीं होने पर बवाल काटा। वे नर्सो की हड़ताल का विरोध करते हुए इलाज की मांग कर रहे थे। इस पर नर्सें आक्रोशित हो गई और वहां उपस्थित लोगों पर लाठियां चटकाने लगीं। इससे वहां अफरा-तफरी की स्थिति हो गई। मेन गेट का शीशा भी टूट गया। लोग इधर-उधर भागने लगे।

ओपीडी में तालाबंदी, मरीज करते रहे इलाज का इंतजार
हड़ताल के कारण सुबह में सीनियर डॉक्टर तो राउंड पर वार्डों में गए, लेकिन मरीजों को नर्सिग सुविधा नहीं मिल पाई। वहीं सभी ओपीडी में काम काज ठप रहा। इमरजेंसी में भी देखने वाला कोई नहीं था।

जानें, किसने क्या कहा
मैं अभी गढ़वा में हूं। फोन से नर्सों की हड़ताल की जानकारी मिली है। मैंने रिम्स निदेशक को कहा है कि नर्सो से वार्ता कर अविलंब उन्हें काम पर लौटाएं। मैं सोमवार को रांची लौटकर स्वयं उनके साथ वार्ता कर उनकी समस्याओं के समाधान का प्रयास करूंगा। नर्सो को भी चाहिए कि वे हर बात पर हड़ताल पर न जाएं। उन्हें मरीजों की भी चिंता करनी चाहिए।
-रामचंद्र चंद्रवंशी, मंत्री, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग।

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अस्पताल में स्वास्थ्य व्यवस्था कायम रखने के लिए सभी विभागाध्यक्षों की बैठक बुलाई गई। उन्हें अपने-अपने वार्ड में मरीजों की देखभाल का जिम्मा दिया गया है।
-डॉ. आरके श्रीवास्तव, प्रभारी निदेशक, रिम्स।

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