दुमका व बेरमो में नए चेहरों पर दांव लगा सकती है भाजपा

रांची दुमका व बेरमो उपचुनाव की तिथि को लेकर भले ही फिलहाल असमंजस की स्थिति देखी जा रही हो लेकिन भाजपा ने इन दोनों अहम सीटों की तैयारी को लेकर प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। दोनों सीटों को लेकर सर्वे की प्रक्रिया जारी है और स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम लोगों से फीडबैक लिया जा रहा है। माना जा रहा है कि जमीनी फीडबैक को ही आधार बना भाजपा प्रत्याशी देगी नए चेहरे से भी गुरेज नहीं किया जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 01:51 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 01:51 AM (IST)
दुमका व बेरमो में नए चेहरों पर दांव लगा सकती है भाजपा
दुमका व बेरमो में नए चेहरों पर दांव लगा सकती है भाजपा

रांची : दुमका व बेरमो उपचुनाव की तिथि को लेकर भले ही फिलहाल असमंजस की स्थिति देखी जा रही हो, लेकिन भाजपा ने इन दोनों अहम सीटों की तैयारी को लेकर प्रारंभिक प्रक्रिया शुरू कर दी है। दोनों सीटों को लेकर सर्वे की प्रक्रिया जारी है और स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ-साथ आम लोगों से फीडबैक लिया जा रहा है। माना जा रहा है कि जमीनी फीडबैक को ही आधार बना भाजपा प्रत्याशी देगी, नए चेहरे से भी गुरेज नहीं किया जाएगा। झारखंड में खाली हुई दोनों विधानसभा सीटों पर बिहार के साथ ही चुनाव कराए जाएंगे, यह भी तकरीबन तय हो गया है।

राज्यसभा चुनाव में बड़ी जीत दर्ज कर सत्तापक्ष के मंसूबों को ध्वस्त करने वाली भाजपा का उत्साह बढ़ा हुआ है। उपचुनाव में सत्ता पक्ष को झटका देने का बड़ा मौका पार्टी कतई नहीं गंवाना चाहेगी। विधानसभा चुनाव में दुमका झामुमो और बेरमो कांग्रेस की झोली में गई थी। उपचुनाव के दौरान भाजपा के पास मौका होगा कि ये सीटें वापस हासिल की जाएं। उपचुनाव भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी की भी पहली बड़ी परीक्षा हैं। बताया जा रहा है कि फिलहाल दुमका और बेरमो दोनों विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा को जो फीडबैक मिला है, वह 2019 में विधानसभा चुनाव में उतरे पार्टी प्रत्याशियों के पक्ष में नहीं जा रहा है। दुमका में लुइस मरांडी का धर्म विशेष के प्रति झुकाव भी इसकी एक बड़ी वजह बताई जा रही है। स्थानीय पार्टी कार्यकर्ताओं का एक बड़ा वर्ग मानता है कि यदि प्रत्याशी को दोहराया गया तो परिणाम पिछले चुनाव जैसे आ सकते हैं। बेरमो के बारे में भी कुछ ऐसा ही फीडबैक आया है। हालांकि, बेरमो सीट को लेकर भाजपा और आजसू में सहमति के आसार भी जताए जा रहे हैं। यदि सहमति बन जाती है, तो यह सीट आजसू के खाते में जा सकती है। उपचुनाव में भाजपा का जोर जीत पर है, खुद की हो या एनडीए की।

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