नक्‍सल प्रभावित पलामू में उपजेंगे सेब, तालाबों से निकलेंगे मोती Palamu News

Jharkhand Palamu News झारखंड के इस जिले में चिलचिलाती धूप में भी सेबों के पेड़ लहलहाएंगे। नीति आयोग प्रशिक्षण उपलब्ध कराएगा। एक पेड़ से प्रति वर्ष एक से डेढ़ ङ्क्षक्वटल तक सेब का उत्पादन किया जा सकता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Mon, 05 Oct 2020 08:49 AM (IST) Updated:Mon, 05 Oct 2020 08:52 AM (IST)
नक्‍सल प्रभावित पलामू में उपजेंगे सेब, तालाबों से निकलेंगे मोती Palamu News
हरिमन 99 प्रजाति की सेब। फाइल फोटो

मेदिनीनगर (पलामू), [केतन आनंद]। नक्सल प्रभावित झारखंड के पलामू जिले की पहचान अब सेब व मोती उत्पादक क्षेत्र के रूप में होगी। इसके अलावा यहां स्ट्राबेरी, ब्रोकली, बेबी कार्न, शिमला मिर्च व मशरूम की खेती भी होगी। शुरुआती चरण में पलामू के मेदिनीनगर सदर प्रखंड के गणने, लेस्लीगंज प्रखंड के बसौरा, चैनपुर प्रखंड के शिवपुर व विश्रामपुर प्रखंड के सिगसिगी गांव का चयन इस बाबत किया गया है।

इन गांवों की 74 एकड़ भूमि में सेब व मोती के अलावा संबंधित सब्जियों की खेती का लक्ष्य रखा गया है। खेती के जोखिम को खत्म करने व अधिक लाभ सुनिश्चित करने को लेकर सभी प्रखंडों के 15-15 किसानों को नीति आयोग के सहयोग से प्रशिक्षित करने की योजना है। बताते चलें कि संबंधित क्षेत्र में सेब की हरिमन 99 प्रजाति की खेती की योजना है। इस प्रजाति की खेती 45 से 50 डिग्री तापमान में भी की जा सकती है।

सेब का यह किस्म मात्र 13 माह में ही फसल देने लगता है। जानकारी के अनुसार एक पेड़ से प्रति वर्ष एक से डेढ़ क्विंटल तक सेब का उत्पादन किया जा सकता है। यहीं नहीं किसान सेब की खेती के साथ अन्य फसल का भी उत्पादन कर सकते है। नीति आयोग के अक्षय के अनुसार राजस्थान जैसे गर्म प्रदेश में भी हरिमन 99 बेहतर परिणाम दे रहा है। शीघ्र ही प्रशिक्षण के बाद किसानों को बीज उपलब्ध करा दिए जाएंगे।

चैनपुर के शिवपुर होगा मोती का उत्पादन

मोती के उत्पादन के लिए चैनपुर प्रखंड के शिवपुर तालाब को चिह्नित किया गया है। इसके लिए भी किसानों को स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। जानकारी के अनुसार मोती के उत्पादन के लिए तालाबों में प्रति हेक्टेयर 20 से 30 हजार सीप पाले जाएंगे। आठ से 10 माह में इन सीपों के अंदर से एक पदार्थ निकल कर चारों ओर जमने लगता है, जो अंत में मोती का रूप ले लेता है।

इसमें एक शल्य क्रिया की जरूरत होती है। विशेषज्ञों के अनुसार खुले बाजार में एक सीप 25 से 30 रुपये में आसानी से उपलब्ध है। यही सीप की कीमत मोती बन जाने के बाद 1000 से 1500 रुपये तक हो जाती। सर्दियों का मौसम इसके उत्पादन के लिए सबसे मुफीद है।

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