तीन प्रखंड विकास पदाधिकारियों को दंड

वरीय अधिकारियों के आदेश की अवहेलना समेत अन्य मामलों को लेकर कार्मिक प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने तीन प्रखंड विकास पदाधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की है और उन्हें आगे से सतर्क रहने को कहा गया है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 02 Aug 2020 12:54 AM (IST) Updated:Sun, 02 Aug 2020 06:18 AM (IST)
तीन प्रखंड विकास पदाधिकारियों को दंड
तीन प्रखंड विकास पदाधिकारियों को दंड

राज्य ब्यूरो, रांची : वरीय अधिकारियों के आदेश की अवहेलना समेत अन्य मामलों को लेकर कार्मिक, प्रशासनिक सुधार एवं राजभाषा विभाग ने तीन प्रखंड विकास पदाधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की है और उन्हें आगे से सतर्क रहने को कहा गया है। विभाग ने वरीय अधिकारियों के आदेश की अवहेलना के अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना तथा मनरेगा के क्रियान्वयन में उदासीनता का आरोप लगाते हुए बड़कागांव की तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी अलका कुमारी को निन्दन की सजा दी है। इसी तरह खूंटी की तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी नलिनी बाखला को निलंबन से मुक्त करते हुए निन्दन की सजा दी गई है। उनपर मनरेगा योजना के तहत डोभा निर्माण में अनियमितता का आरोप था। इस मामले में उन्हें पूर्व में निलंबित किया गया था। विभाग ने इसी प्रकार मधुपुर की तत्कालीन प्रखंड विकास पदाधिकारी रश्मि रंजन के खिलाफ एक वेतन वृद्धि रोकने का दंड दिया है। उनपर आरोप है कि उन्होंने उपायुक्त के निर्देश के बावजूद निबंधन के कार्यो की अनदेखी की। नतीजतन लोगों को निबंधन कराने के लिए देवघर आना पड़ा, जिससे समय और पैसों की बर्बादी हुई। विभाग ने उनसे इस मामले में स्पष्टीकरण मांगा था। जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर उपायुक्त ने उनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी।

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इंस्पेक्टर ने कांड में बचाने के लिए मांगी रिश्वत, निलंबित

राज्य ब्यूरो, रांची : सीआइडी टीम, देवघर के प्रभारी इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह को भ्रष्टाचार के आरोप में एडीजी अनिल पाल्टा ने निलंबित कर दिया है। उनपर देवघर वन प्रमंडल के सहायक संजय कुमार साह को बचाने का आरोप है। आरोप है कि इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह ने केस फाइनल करने का लालच देकर अवैध राशि की मांग की। ऐसा नहीं करने पर सजा दिलाने की धमकी दी और दु‌र्व्यवहार किया। इसकी शिकायत मिलने पर सीआइडी के एडीजी अनिल पाल्टा ने सीआइडी के डीएसपी मुख्यालय रंजीत लकड़ा से पूरे मामले की जांच करा दी। जांच में स्पष्ट हो गया कि इंस्पेक्टर प्रतिदिन अभियुक्त से मिल रहे थे और उनका आचरण संदिग्ध है। इसके बाद उन्हें विधि विरुद्ध आचरण करने, अनुशासनहीनता, कर्तव्यहीनता व भ्रष्ट आचरण आदि के आरोप में निलंबित कर दिया गया।

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