मन्नत वाली माता का 40वां स्थापना दिवस एक को, लाखों करेंगे दर्शन

रांची डोरंडा मणिटोला में स्थापित मन्नत वाली माता के लाखों भक्त हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 23 May 2019 05:28 AM (IST) Updated:Thu, 23 May 2019 06:33 AM (IST)
मन्नत वाली माता का 40वां स्थापना दिवस एक को, लाखों करेंगे दर्शन
मन्नत वाली माता का 40वां स्थापना दिवस एक को, लाखों करेंगे दर्शन

नीलमणि चौधरी

रांची : डोरंडा मणिटोला में स्थापित मन्नत वाली माता के लाखों भक्त हैं। प्रत्येक साल जेठ अमावस्या के दिन धूमधाम से पूजा-अर्चना होती है। इसको बड़ा पूजा के नाम से भी जाना जाता है। तीन दिन तक उत्सव मनाया जाता है। बड़ा पूजा के दौरान झारखंड ही नहीं बंगाल, बिहार, ओडिशा, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों से भी बड़ी संख्या में भक्त माता के दर्शन करने को पहुंचते हैं। खासबात ये है कि यहां माता ऊंचे भवन में नहीं बल्कि एसबेस्टस के छोटे के कमरे में विराजमान हैं। यहां कभी मंदिर के मुख्य पुजारी रामेश्वर पासवान का पुश्तैनी घर हुआ करता था। मन्नत वाली माता पुजारी की कुलदेवी भी हैं। मान्यता है कि साल 1979 में कुलदेवी पुजारी की मां सोनी देवी के सपने में आई और विधिवत पूजा-अर्चना करने को कहा। उसी साल घर के ही एक छोटे कमरे में मां काली की एक प्रतिमा स्थापित की गई। तब से रामेश्वर पासवान ही पूजा करते हैं।

--

सच्चे दिल से मांगी गई हर मुराद माता करती हैं पूरा

मन्नत वाली माता के कई किस्से सुनने को मिलते हैं। मणिटोला के स्थानीय लोगों के अनुसार जो भक्त सच्चे हृदय से मां से मांगता है वो अवश्य पूरे होते हैं। इसी कारण इन्हें मन्नत वाली माता के रूप में भी जाना जाता है। पुजारी रामेश्वर पासवान ने बताया कि मां को आडंबर पसंद नहीं है। मां फूल-पत्ती चढ़ाने से ही खुश हो जाती हैं। मंदिर बनने के बाद जैसे-जैसे समय बीता भक्तों की आस्था बढ़ती गई। आज भी माता को सबसे पहले चूड़ा-चीनी का ही भोग लगाया जाता है। इसके बाद मिष्ठान्न, फल आदि समर्पित किए जाते हैं। इसके पीछे कहानी है कि शुरुआत के समय में परिवार में आर्थिक कठिनाई थी। इस कारण चूड़ा-चीनी का भोग लगाया जाता था। आर्थिक स्थिति तो सुधर गई लेकिन परंपरा आज भी कायम है। जेठ अमावस्या की रात सबसे बड़ी होती है। इसी कारण बड़ा पूजा नाम दिया गया।

----

सबके घर पक्के होंगे इसके बाद ही मंदिर का होगा निर्माण

मुख्य पुजारी रामेश्वर पासवान के अनुसार पूजा-अर्चना माता के आदेश से ही संपन्न होता है। माता आज भी सपने में आती है। जैसा उनका आदेश होता है उसी अनुरूप कार्य किया जाता है। कहना है कि माता के लाखों भक्त हैं। कई भक्तों की ओर से भव्य मंदिर निर्माण करने को कहा। लेकिन, इजाजत नहीं मिली। माता का मानना है कि जब तक मोहल्ले के सभी लोगों का घर पक्का नहीं हो जाता तबतक मंदिर पक्का नहीं बनेगा।

--

बिना चंदे का संपन्न होता है बड़ा पूजा

तीन दिनी बड़ा पूजा महोत्सव में 50 लाख रुपया से ज्यादा खर्च होता है। लेकिन इसके लिए किसी से चंदा नहीं लिया जाता है। माता के भक्त खुद गुप्त दान देते हैं। कोई भक्त भंडारे में सहयोग कर देता है तो कोई साज-सज्जा में अपने हैसियत के अनुसार सहयोग करते हैं। सहयोग के लिए भी एडवांस बुकिंग होती है। पहले से तय होता है कि इस बार इस मद में फलां खर्च करेंगे।

......................

एक जून से आरंभ होगा बड़ा पूजा, तैयारी शुरू

इस बार बड़ा पूजा महोत्सव एक जून को भव्य शोभायात्रा से आरंभ होगा। दूसरे दिन जेठ अमावस्या के दिन विधि-विधान पूर्वक मन्नत वाली मां काली की आराधना होगी। प्रथम पूजा के बाद अहले सुबह चार बजे मंदिर का कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। रात 10 बजे तक माता के दर्शन सुलभ होंगे। अंतिम दिन भव्य भंडारे में करीब सवा लाख भक्त प्रसाद ग्रहण करेंगे। संध्या में माता का जागरण होगा। इसकी तैयारी शुरू हो गई लाईट, टेंट आदि लगाने का कार्य शुरू हो गया है।

--

ओडिशा का घंटा बाजा और छत्तीसगढ़ का सिंघी बाजा आकर्षण का होगा केंद्र

महोत्सव के दौरान ओडिशा का घंटा बाजा और छत्तीसगढ़ का सिंघी बाजा आकर्षण का केंद्र होगा। वहीं इस बार ढाक बजाने के लिए पश्चिम बंगाल से कलाकार पहुंचेंगे। स्थानीय कलाकारों द्वारा भी वाद्य यंत्रों की प्रस्तुति दी जाएगी।

chat bot
आपका साथी