कोरोना से बचाव के लिए यूनानी दवा पर शोध करेंगे रिम्‍स के 2 डॉक्‍टर, आयुष मंत्रालय ने दिए 6 लाख

Jharkhand News रिसर्च पूरा होने के बाद रिसर्च स्टडी प्रकाशित हो सकेगा। रिम्स को उपलब्धि के साथ हमेशा रेवेन्‍यू मिलता रहेगा। रिम्स में आयुष मंत्रालय के सेंट्रल काउंसिल ऑफ यूनानी मेडिकेशन (सीसीआरयूएम) की दवाइयों पर शोध किया जाएगा।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 22 Nov 2020 04:04 PM (IST) Updated:Sun, 22 Nov 2020 04:09 PM (IST)
कोरोना से बचाव के लिए यूनानी दवा पर शोध करेंगे रिम्‍स के 2 डॉक्‍टर, आयुष मंत्रालय ने दिए 6 लाख
यह शोध 4 से 5 महीने तक चलेगा।

रांची, जासं। कोरोना की तबाही के बाद पूरी दुनिया उसका काट ढूंढने में लग गई है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों के भी एक्सपर्ट डॉक्टर कोरोना की दवा और काट खोजने में लगे है। इसी के तहत रिम्स के डॉक्टरों को भी कोविड-19 पर शोध की अनुमति आयुष मंत्रालय द्वारा दी गई है। अब रिम्स में आयुष मंत्रालय के सेंट्रल काउंसिल ऑफ यूनानी मेडिकेशन (सीसीआरयूएम) की यूनानी दवाइयों का शोध कोविड-19 के मरीजों पर किया जाएगा।

इसके लिए रिम्स के कार्डियोथोरेसिक सर्जन और विभाग के हेड डॉ अंशुल कुमार और क्रिटिकल केयर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मो. सैफ को छह लाख रुपये की रिसर्च ग्रांट मिली है। यह ग्रांट एक्स्ट्रा म्यूरल रिसर्च स्कीम के तहत दी गई है। डॉ अंशुल ने बताया कि यह शोध 4 से 5 महीने तक चलेगा। शोध पूरी तरह यूनानी दवाओं और रोग प्रतिरोधक क्षमता के ऊपर है। यह एक रेंडमाइज, ब्लाइंड, प्लेसिबो कंट्रोल क्लीनिक स्टडी है। इनमें यूनानी दवाइयों के सहयोग से एलोपैथिक दवाइयों के साथ शोध किया जाएगा।

50 मरीजों पर किया जाएगा शोध

शोध 50 मरीजों पर किया जाएगा। शोध 3 तरह के लोगों पर किया जाएगा। पहला वह जो पूरी तरह से स्वस्थ हैं, दूसरा जो बीमार हैं और तीसरा जो कोविड से ठीक हो चुके हैं। इन पर यूनानी की दवाइयां चलाई जाएंगी। यूनानी की तीन दवाइयां दी जाएंगी। जबकि उसी तरह ऐसे ही मरीजों पर सामान्य दवाइयां चलाई जाएंगी। दो तरह की चल रही दवाइयों का मरीजों पर कितना असर पड़ रहा है। इस पर टीम शोध करेगी। मरीजों पर दवाइयों के असर का शोध करने के लिए प्रत्येक 15-15 दिनों पर उनका सैंपल जांच किया जाएगा।

गंभीर मरीजों पर नहीं किया जाएगा शोध

डॉ अंशुल ने बताया कि वैसे यह शोध पहले से गंभीर मरीजों पर नहीं किया जाएगा। गंभीर के साथ गर्भवती महिलाएं और बच्चों को भी इससे दूर रखा जाएगा। डॉ अंशुल के अनुसार शोध पूरा होने में 4 से 5 महीने का समय लगेगा। जैसे-जैसे दवाओं का असर मरीजों पर होगा, वैसे ही यह रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को भेजी जाएगी। यह पहली बार है जब झारखंड के चिकित्सक को आयुष मंत्रालय की ओर से कोविड दवाइयों पर शोध करने की मंजूरी दी गई है।

शोध पूरा होने पर रिसर्च स्टडी हो सकेगा पब्लिश

डॉ. अंशुल ने बताया कि रिसर्च पूरा होने के बाद अगर इसका फायदा मरीजों में दिखा तो यह रिम्स की एक ओर बड़ी उपलब्धि के रूप में शामिल होगा। रिसर्च स्टडी भी पब्लिश हो सकेगा। साथ ही साथ रिम्स इसमें अपना पेटेंट भी डाल सकेगा ताकि रिम्स को इसका रेवेन्यू मिलता रहे।

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