विवेक देबराय कमेटी को ले रेलवे यूनियनों में रोष

जागरण संवाददाता, रांची : डॉ. विवेक देबराय के नेतृत्व में आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय रेलवे पुनर्गठन कमे

By Edited By: Publish:Thu, 02 Jul 2015 01:39 AM (IST) Updated:Thu, 02 Jul 2015 01:39 AM (IST)
विवेक देबराय कमेटी को ले रेलवे यूनियनों में रोष

जागरण संवाददाता, रांची :

डॉ. विवेक देबराय के नेतृत्व में आठ सदस्यीय उच्चस्तरीय रेलवे पुनर्गठन कमेटी की अंतरिम रिपोर्ट पर रेलवे के सभी यूनियनों-फेडरेशनों में रोष है। विशेषकर कमेटी द्वारा सीधे तौर पर रेलवे सुरक्षा बल के अस्तित्व पर निशाना साधने से आरपीएफ में असंतोष की लहर है। सभी संगठन कमेटी की अनुशंसा को वापस लेने के लिए आंदोलन की रणनीति बनानी शुरू कर दी है।

दक्षिण पूर्व रेलवे मेन्स यूनियन रांची मंडल के मंडल संयोजक डी नाथ ने कहा कि कमेटी ने भारतीय रेल व्यवस्था को तोड़ने की साजिश रची है। आमलोगों के लिए रेलवे एकमात्र सस्ता व सुगम यातायात व्यवस्था है और देश के निर्धन लोगों की जीविका के लिए रेलवे लंबी दूरी का साधन है। कहा, अपनी आवश्यकता के लिए विद्यार्थी, महिला, वरिष्ठ नागरिक व गंभीर रोगियों को आने-जाने के लिए आवश्यकतानुसार रेलवे द्वारा रियायतें दी जाती हैं। यदि कमेटी की अनुशंसा को लागू किया जाता है, तो दैनिक यात्री अपने रोजगार के लिए अधिक किरया देकर जाएंगे। कहा, विवेक देबराय कमेटी की अनुशंसा लागू होने पर भारतीय रेल का संपूर्ण स्वरूप छिन्न-भिन्न हो जाएगा। अखिल भारतीय रेलवे सुरक्षा बल संघ के मंडलीय सचिव केके सिंह ने कहा कि कमेटी ने आरपीएफ के खिलाफ अपनी रिपोर्ट में टिप्पणी कर जवानों को हतोत्साहित किया है। आरपीएफ रेलवे की रीढ़ है। जिसके अस्तित्व पर कमेटी ने प्रश्नचिह्न लगाया है। यदि आरपीएफ को ज्यादा कानूनी अधिकार मिले तो व अपने कर्तव्य ज्यादा बेहतर ढंग से निर्वाह करेगी। कहा, आरपीएफ अपनी सेवा के दौरान सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, यात्रियों की मदद भी करती है। यदि अनुशंसा को लागू किया जाता है तो रेलवे संपत्ति की सुरक्षा और यात्रियों की सुरक्षा छिन्न भिन्न हो जाएगी।

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क्या है देबराय रिपोर्ट में :

- ट्रेन सेवाओं, माल भाड़ा और टिकट दरों की आउट सोर्सिग तय करने के लिए रेलवे रेगुलेटरी का गठन हो।

- निजी कंपनी को ट्रेन चलाने और अपनी इच्छानुसार माल भाड़ा और टिकट दर वसूलने की अनुमति।

- टिकटों पर रियायत देना बंद करने की अनुशंसा।

- रेलवे के सभी उत्पादन इकाइयों, कारखानों को निजी कंपनी में बदलने की सिफारिश।

- ठेकेदारों को रेलवे का सभी निर्माण व रख-रखाव का काम सौंपने की सिफारिश।

- सभी रेलवे स्कूल-अस्पताल को बंद करने व उन्हें निजी हाथों में सौंपने।

- आरपीएफ की सभी गतिविधियां इंडस्ट्रियल सेक्यूरिटी फोर्स या सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स को सौंपना।

- रेल कर्मचारियों की संख्या कम करना।

- रेलवे कर्मचारियों के बच्चों को अनुकंपा के तहत नौकरी नहीं देने सहित अन्य सिफारिशें शामिल हैं।

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