उद्घाटन से पहले जर्जर हो गया 21 करोड़ का पुल

लीड----------------- जागरण पड़ताल सिंगरा गांव में कोयल नदी पर बना है पुल पहुंच पथ भी नहीं ब

By JagranEdited By: Publish:Wed, 30 Jun 2021 06:51 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jun 2021 06:51 PM (IST)
उद्घाटन से पहले जर्जर हो गया 21 करोड़ का पुल
उद्घाटन से पहले जर्जर हो गया 21 करोड़ का पुल

लीड-----------------

जागरण पड़ताल

सिंगरा गांव में कोयल नदी पर बना है पुल,

पहुंच पथ भी नहीं बना, गुणवत्ता पर सवाल

फोटो 30 डालपी 01 व 02

कैप्शन: जर्जर पुल की स्थिति केतन आनंद

मेदिनीनगर (पलामू) : सदर प्रखंड के सिगरा गांव में चैनपुर व चेड़ाबार के बीच कोयल नदी पर 21 करोड़ की लागत से बना पुल उद्घाटन से पहले ही जर्जर स्थित में पहुंच गया है। दरअसल मेदिनीनगर शहर से यातायात का बोझ को कम करने को लेकर तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री कृष्णानंद त्रिपाठी के प्रयास से पुल का निर्माण कराया गया था। इस पुल पर नियमित आवागमन आरंभ हो जाने चैनपुर के दो दर्जन से अधिक गांव के लोगों को जिला मुख्यालय पहुंचने के लिए कम से कम 10 किलोमीटर का कम सफर करना पड़ता। यहीं नहीं, शहर में लगने वाले जाम से भी बचा जा सकता था। वर्ष 2016 में ही पुल बन गया था। लेकिन पहुंच पथ का निर्माण नहीं होने से अभी तक इस पुल को औपचारिक रूप से जनता को समर्पित नहीं किया जा सका है। वर्तमान में इस पुल से लोगों को गुजरने में काफी परेशानी होती है। छोटे वाहनों का आवागमन तो हो जाता है, लेकिन भारी वाहनों का परिचालन अभी शुरू नहीं किया जा सका है। यहीं नहीं बारिश के दिनों में दोनों छोर पर कीचड़ जम जाता है। पुल के मार्ग की ऊंचाई होने की वजह से कई दुर्घटनाएं आम बात हो गई है। दूसरी ओर पुल जर्जर भी होने लगा है। छड़े दिखाई दे रही है। इसमें कही ना कही निर्माण में भी घटिया सामग्री इस्तेमाल की बात कही जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि स्थानीय विधायक अभी तक पुल को देखने नहीं आए हैं। बाक्स:

पूरी तैयारी के बाद ही शुरू होता निर्माण कार्य

फोटो 30 डालपी 03

कैप्शन: संजय कुमार दुबे

पुल के निर्माण से प्रस्तावित पथरा प्रखंड के हजारों लोगों में एक उम्मीद जगी थी। लेकिन पहुंच पथ का निर्माण के लिए सरकार द्वारा कोई पहल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि सरकार को पहले ही पहुंच पथ के लिए जमीन की व्यवस्था कर लेनी चाहिए थी।

संजय कुमार दूबे, पूर्वडीहा बाधाओं को दूर करें सरकार, निर्माण कार्य की हो जांच

फोटो 30 डालपी 04

कैप्शन: राजकेश्वर सिंह

उद्घाटन होने के पहले ही पुल का जर्जर होने लगा निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार का उदाहरण है। सरकार को कार्य की जांच कराने के साथ पहुंच पथ का निर्माण कराना चाहिए। भारी वाहनों का परिचालन आरंभ नहीं होने के बाद भी पुल का जर्जर होना एक गंभीर बात है।

राजकेश्वर सिंह, चेड़ाबार बाक्स:

जमीन देने को तैयार है रैयत

फोटो 30 डालपी 06

कैप्शन: मुकेश कुमार सिंह

पहंच पथ के निर्माण में रैयतों द्वारा कोई बाधा नहीं डाली जा रही है। सरकार को स्वत: पहल कर रैयतों से बात करनी चाहिए। इससे लोगों की परेशानियों को दूर किया जा सकेगा। बारिश के दिनों में लोगों को जिला मुख्यालय आने-जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बाक्स:

श्रमदान कर पहुंच पथ की मरम्मति कराएंगे ग्रामीण मेदिनीनगर (पलामू) : सरकारी बेरूखी से आहत चैनुपर व सिगरा के ग्रामीणों ने बजराहा से बीसफुटा पुल तक पहुंच पथ की मरम्मती का बीड़ा उठाया है। इसके लिए एक कमेटी भी गठित की गई है। जानकारी के अनुसार आगामी रविवार से ग्रामीण श्रमदान से पथ निर्माण का कार्य आरंभ कर देंगे।

बाक्स:

रेलवे से मिल गई है हरी झंडी, अब राज्य सरकार को करना है एमओयू: सांसद फोटो 30 डालपी 10

कैप्शन: पलामू सांसद विष्णुदयाल राम मेदिनीनगर (पलामू) : सिगरा कोयल नदी पर बने पुल के पहुंच पथ के लिए भारतीय रेलवे ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। अब राज्य सरकार के सड़क निर्माण विभाग के साथ एकरारनामा किया जाना बाकी रह गया है। यह जानकारी पलामू सांसद विष्णुदयाल राम ने दी है। बताया कि वे पिछले काफी दिनों से रेलवे के वरीय अधिकारियों से पत्राचारकर रहे थे। साथ ही व्यक्तिगत रूप से मिलकर भी आवश्यक कार्रवाई करने की ओर ध्यानाकृष्ट कराया गया था। रेल मंडल प्रबंधक द्वारा बताया गया है कि राज्य सरकार को एकरारनाम के लिए पत्र प्रेषित कर दिया गया है। इसके निर्माण में करीब 12 लाख रूपये खर्च आएंगे। बाक्स: पुल पर आवागमन आरंभ होने से कम होता शहर का यातायात बोझ : त्रिपाठी फोटो 30 डालपी 11

पूर्व मंत्री कृष्णानंद त्रिपाठी

मेदिनीनगर : सिगरा व चेड़ाबार के बीच कोयल नदी पर पुल आवागमन आरंभ हो जाने से शहरी क्षेत्र में यातायात का बोझ कम होता। इसी उद्देश्य के लिए इस महत्वपूर्ण योजना को ग्रामीण विकास विभाग से स्वीकृति दिलाई गई थी। लेकिन सत्ता बदलने के बाद नई सरकार ने कार्य में कोई रूची नहीं दिखाई थी। यह कहना है तत्कालीन ग्रामीण विकास मंत्री कृष्णानंद त्रिपाठी का। बताया कि निर्माण कार्य के दौरान ही लेवी वसूलने के लिए संवेदक को मारपीट कर भगा दिया गया था। संवेदक ने किसी तरह पुल का निर्माण कार्य पूरा कराया था।

chat bot
आपका साथी