सिर्फ एक संत नहीं बल्कि दार्शनिक व समाज सुधार थे गुरुनानक देव

पलामू में सिख धर्म के संस्थापक व सिखों के पहले गुरू श्री गुरुनानक देव जी का 550 वां प्रकाश पर्व मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। स्थानीय श्री गुरूद्वारा गुरू सिघ सभा द्वारा स्थानीय गुरूतेग बहादुर मेमोरियल हाल में आयोजित कार्यक्रम में शब्द कीर्तन के प्रस्तुत किया गया। यहां बाहर से पधारे रागी जत्था के सदस्यों ने गुरुग्रंथ साहब का पाठ किया ।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 06:28 PM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 06:28 PM (IST)
सिर्फ एक संत नहीं बल्कि दार्शनिक व समाज सुधार थे गुरुनानक देव
सिर्फ एक संत नहीं बल्कि दार्शनिक व समाज सुधार थे गुरुनानक देव

संवाद सहयोगी, मेदिनीनगर : सिख धर्म के संस्थापक व सिखों के पहले गुरु श्री गुरुनानक देवजी का 550वां प्रकाश पर्व मंगलवार को हर्षोल्लास

के साथ मनाया गया। स्थानीय श्री गुरुद्वारा गुरु सिघ सभा द्वारा स्थानीय गुरुतेग बहादुर मेमोरियल हाल में आयोजित कार्यक्रम में शब्द कीर्तन के प्रस्तुत किया गया। यहां बाहर से पधारे रागी जत्था के सदस्यों ने गुरुग्रंथ साहब का पाठ किया ।

गुरुपर्व को लेकर मेमोरियल हाल में आकर्षक रूप में दीवान सजाया गया था। गुरु सिंह सभा के नेतृत्व में आयोजित लंगर में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य व सिख समुदाय के लोग शामिल हुए। मौके पर वक्ताओं ने कहा कि गुरूनानक देव जी ने हमें सत्य, धर्म व करूणा के मार्ग पर चलना सिखाया था। वे सिर्फ एक संत नहीं बल्कि दार्शनिक व समाज सुधारक भी थे। उन्होंने सहज, सरल व संगठित समाज की नींव रखते हुए धर्म-जाति के बंधन को तोड़ा। गुरू साहब ने अपना पूरा जीवन मानवता की सेवा में लगा दिया। अफगानिस्तान, ईरान सहित कई मध्य एशिया के कई देशों में गुरू साहब ने अपने प्रवचन दिए। समाज में व्याप्त कुरीतियों व जाति, धर्म व छुआछूत के साथ भेदभाव को समाप्त करने के लिए खालसा पंथ की स्थापना की थी। वे कहते थे कि नीचों में भी जो नींच जाति है, उनमें से जो सबसे अधिक नींच है वे उनके साथ है। इसे लेकर ही उन्होंने नाम जपो, किरत करों व वंड छको का मंत्र समाज को दिया था। इसी के साथ उन्होंने सामाजिक एकता का संदेश भी दिया था। मौके पर गुरु सिंह सभा के सतबीर सिंह राजा, राजपाल शर्मा सहित कई श्रद्धालु शामिल हुए।

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