लीड - आठ पशुचिकित्सक के सहारे 12 लाख पशु

By Edited By: Publish:Mon, 28 Jul 2014 02:52 AM (IST) Updated:Mon, 28 Jul 2014 02:52 AM (IST)
लीड -   आठ पशुचिकित्सक के सहारे 12 लाख पशु

मेदिनीनगर : पलामू जिला में पशुचिकित्सकों का टोटा है। इस कारण पशुपालकों को प्रति वर्ष पशुधन का नुकसान हो रहा है। वहीं पंडवा व किशुनपुर पशु चिकित्सालय सप्ताह में एकाध दिन ही खुला रहता है। लगभग 12 लाख पशुओं के इलाज का जिम्मा आठ पशु चिकित्सक पर ही है। पशु चिकित्सक डॉ. ज्योति मिंज के जिम्मे छतरपुर व हुसैनाबाद अनुमंडल है। पलामू में कुल 20 प्रखंड हैं। नियमानुसार प्रत्येक प्रखंड में एक पशु चिकित्सालय संचालित करने के लिए एक प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी होना चाहिए। चिकित्सकों के अभाव में कई पशु चिकित्सालय बंद पड़े हैं। कई पशु चिकित्सालय पारा भैट (पशु कंपाउंडर) कर्मचारियों के सहारे चल रहा है। कागज में एक पशु चिकित्सक कई प्रखंडों की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। गांव की बात दूर प्रखंड मुख्यालयों पर भी पशु चिकित्सक नहीं पहुंच रहे हैं।

30 में महज 8 पशुचिकित्सक हैं कार्यरत

पलामू में पशु चिकित्सकों के 30 पद स्वीकृत हैं। इसमें पलामू में प्रखंड पशु चिकित्सा पदाधिकारी व भ्रमणशील पशु चिकित्सक शामिल हैं। पशु अस्पतालों की संख्या 18 है। 13 पद प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी व 16 पद भ्रमणशील पशु चिकित्सक के हैं। एक पद कनीय पशु चिकित्सक का है।

कौन कहां है पदस्थापित

पलामू की महिला पशुचिकित्सक ज्योति मिंज छतरपुर व हुसैनाबाद अनुमंडल देखती हैं। वहीं डा.अल्फ्रेड मिंज पांकी व पंड़वा प्रखंड, डा.विनय कुमार सतबरवा व मनातू, डा.रामप्रवेश राम मेदिनीनगर मुख्यालय, डा.संगीता कुमारी पाटन व लेस्लीगंज, डा.संजीव कुमार चैनपुर, बभंडी, हैदरनगर, डा.दिलीप कच्छप सदर प्रखंड, डा. पृथ्वीराम मार्डी केभीओ के पद पर कार्य कर रहे हैं।

चिकित्सा के नाम पर खानापूर्ति

पलामू में पशु चिकित्सा के नाम पर मजाक हो रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीणों को हो रही है। पशुओं के बीमार होने पर प्रखंड स्तर पर भी उनका इलाज नहीं होता है। सरकार भ्रमणशील पशु चिकित्सक का पद सृजित किया है। इसका उद्देश्य गांव स्तर पर पशुओं का इलाज कराना है। पलामू में भ्रमणशील पशु चिकित्सक प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी के चार्ज में हैं।

झोला छाप ग्रामीण चिकित्सकों की है चांदी

ग्रामीण क्षेत्र में पशुओं का इलाज करने की जानकारी रखने वाले ग्रामीण चिकित्सकों की चांदी है। वे पशुओं के इलाज करने के नाम पर मनमानी रकम वसूलते हैं। पशु मालिक के पास कोई चारा नहीं रहता है। इसलिए वे उनके जाल में फंस रहे हैं। इधर पशु चिकित्सकों की कमी को ले जिला पशुपालन पदाधिकारी ने कई पत्र विभाग को लिखा है। बावजूद विभाग उदासीन है।

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पलामू में पशु चिकित्सकों की कमी दूर करने से ही समस्या का हल होगा। : डॉ. दयानंद प्रसाद, जिला पशुपालन पदाधिकारी, पलामू

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