ओलचिकी से आदिवासी भाषा-संस्कृति पर संकट

संवाद सहयोगी पाकुड़ ओलचिकी लिपि के विरोध में महाविद्यालय छात्र संघ के बैनर तले आदिवासी

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Mar 2019 06:55 PM (IST) Updated:Tue, 05 Mar 2019 06:55 PM (IST)
ओलचिकी से आदिवासी भाषा-संस्कृति पर संकट
ओलचिकी से आदिवासी भाषा-संस्कृति पर संकट

संवाद सहयोगी, पाकुड़ : ओलचिकी लिपि के विरोध में महाविद्यालय छात्र संघ के बैनर तले आदिवासी छात्र-छात्राओं ने मंगलवार को स्थानीय सिदो-कान्हु पार्क के समीप धरना दिया। इसका नेतृत्व छात्रसंघ के अध्यक्ष विजय हेम्ब्रम ने किया। धरना पर बड़ी संख्या में आदिवासी छात्र छात्राएं शामिल हुए। धरना के माध्यम से छात्रों ने मुख्यमंत्री के नाम उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा। जिसमें ओचलिकी लिपि का विरोध किया गया।

धरना कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छात्र संघ के अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार ने झारखंड के मूल संताली (आदिवासी) भाषा पर संकट में डालने के लिए अचानक उड़िया प्रभावित तथा अवैज्ञानिक ओलचिकि लिपि में संताली भाषा की पढ़ाई का निर्देश जारी किया है। यह भाषा यहां की भाषा से बिल्कुल अलग है। कहा कि ओलचिकी लिपि को संताल परगना में लागू नहीं होने दिया जाएगा। छात्र मार्क बास्की ने कहा कि ओलचिकी लिपि उड़ीसा की बुगड़ी संताल की लिपि है। उनकी भाषा टेड़ी और अशुद्धि से भरी है। जबकि संताली भाषा झारखंड के संताल परगना की भाषा सबसे श्रेष्ठ एवं शुद्ध भाषा है। छात्र निर्मल मुर्मू ने कहा कि ओलचिकी लिपि को बिना अध्ययन एवं यहां के आदिवासियों की मनोभाव को जाने लागू कर दिया गया है। इससे संताली भाषा एवं संस्कृति के ऊपर संकट मंडरा रहा है। इससे आदिवासी समाज सौ वर्ष पीछे चला जाएगा। आदिवासी संस्कृति प्रभावित होगी। उन्होंने कहा कि आदिवासी युवक - युवतियां देवनागरी लिपि में डिग्रियां हासिल कर चुके हैं। उन्होंने सरकार से पूर्व की भांति देवनागरी लिपि को ही लागू करने का मांग की है। आदिवासी छात्रों ने कहा कि उक्त मांगे शीघ्र पूरी नहीं हुई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।

इस मौके पर प्रवीण सोरेन, बेरोनिका सोरेन, जश्मी मरांडी, मालोती हेंब्रम, संतरी हांसदा, सुमीता टुडू, शीला मरांडी, प्रेमिला हेम्ब्रम, सोहागिनि सोरेन, फूलमुनि हेम्ब्रम, सोनू सोरेन, नीलिमा मरांडी, अनीता मरांडी, सुजाता मुर्मू, अनामिका किस्कु, ज्योति सहित दर्जनों छात्र-छात्राएं मौजूद थी।

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