शहर से लेकर गांवों तक नकली दवाओं का नेटवर्क

पाकुड़ : शहर से लेकर गांवों तक नकली दवाओं का नेटवर्क फैल चुका है। जिला मुख्यालय सहि

By JagranEdited By: Publish:Wed, 17 Jan 2018 07:16 PM (IST) Updated:Wed, 17 Jan 2018 07:16 PM (IST)
शहर से लेकर गांवों तक नकली दवाओं का नेटवर्क
शहर से लेकर गांवों तक नकली दवाओं का नेटवर्क

पाकुड़ : शहर से लेकर गांवों तक नकली दवाओं का नेटवर्क फैल चुका है। जिला मुख्यालय सहित सभी प्रखंडों में ड्रग माफिया नकली दवाओं की आपूर्ति कर रहें हैं। स्वास्थ्य विभाग कभी भी इसका जांच नही करता। लिहाजा ड्रग माफियाओं की चांदी कट रही है। इस धंधे की जानकारी स्वास्थ विभाग के अधिकारियों को है। लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। गांवों में रहने वाले गरीब लोगों को झोलाछाप चिकित्सक नकली दवा दे रहें हैं। जिला मुख्यालय के अलावा लिट्टीपाड़ा, अमड़ापाड़ा, महेशपुर, पाकुड़िया, हिरणपुर के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाके में नकली दवाओं का खेल चल रहा है। माफिया झोलाछाप चिकित्सकों को ढाल बनाते हैं और अपने धंधे को अंजाम तक पहुंचाते हैं। सूत्र बताते हैं बंगाल के मालदा, कालियाचक इत्यादि स्थानों पर नकली दवा बनती है। यहां से नकली दवाओं की भारी खेप सीमावर्ती पाकुड़ व साहिबगंज जिले में पहुंचता है।

झोलाछाप चिकित्सक दे रहे हैं नकली दवा

जिले के लिट्टीपाड़ा व अमड़ापाड़ा प्रखंड के पहाड़ों पर बसे गांवों में झोलाछाप चिकित्सकों की भरमार है। वे इलाज सही तरीके से नहीं कर पाते हैं और साथ ही मरीजों को नकली दवा देते हैं। इसकी फिक्र न तो स्वास्थ्य विभाग को है और न ही पुलिस प्रशासन को। झोलाछाप चिकित्सक मरीजों से मनमानी तरीके से रुपये वसूल रहे हैं।

टेबलेट से निकल रहा सत्तू का अंश

जानकार बताते हैं कि टेबलेट व कैप्सूल में सत्तू या बेसन का कुछ अंश भर कर नकली दवा तैयार किया जाता है। टेबलेट व कैप्सूल का सेंपल जांच नहीं होने के कारण ड्रग माफिया खुलेआम धंधा को अंजाम दे रहें हैं। जांच में भी यह मामला सामने आया है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

वर्जन...

मेडिकल या अस्पताल से जांच के लिए दवा का सेंपल लिया जाता है। इसकी रिपोर्ट भी भेजी जाती है। नकली दवा विक्रेताओं पर कार्रवाई की जाएगी।

अरूप रतन साहा, ड्रग इंस्पेक्टर

पाकुड़

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