श्रद्धा व सद्भाव के साथ शुरु हुई शैलपुत्री स्वरुप की पूजा

जागरण टीम पाकुड़ जिला मुख्यालय सहित प्रखंड क्षेत्रों में नवरात्र के प्रथम दिन रविवार को मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गई। शहर के कलिदापुर सिद्धार्थनगर पुस्तकालय कुर्थीपाड़ा के अलावा सदर प्रखंड के शहरकोल सहित अन्य गांवों के दुर्गा मंदिरों में कलश स्थापना के साथ मां की पूजा-अर्चना शुरू की गई। पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोंच्चारण कर मां की पूजा-अर्चना कराई। पूजा-अर्चना को लेकर क्षेत्र में भक्तिमय माहौल रहा। कई श्रद्धालुओं ने अपने घरों में भी कलश स्थापन कर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की। शहर के थानापाड़ा रेलवे फाटक सहित अन्य जगहों में

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Sep 2019 05:51 PM (IST) Updated:Mon, 30 Sep 2019 06:34 AM (IST)
श्रद्धा व सद्भाव के साथ शुरु हुई शैलपुत्री स्वरुप की पूजा
श्रद्धा व सद्भाव के साथ शुरु हुई शैलपुत्री स्वरुप की पूजा

जागरण टीम, पाकुड़: जिला मुख्यालय सहित प्रखंड क्षेत्रों में नवरात्र के प्रथम

दिन रविवार को मां के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की

गई। शहर के कलिदापुर, सिद्धार्थनगर, पुस्तकालय, कुर्थीपाड़ा के अलावा सदर

प्रखंड के शहरकोल सहित अन्य गांवों के दुर्गा मंदिरों में कलश स्थापना के साथ

मां की पूजा-अर्चना शुरू की गई। पुरोहितों ने वैदिक मंत्रोंच्चारण कर मां

की पूजा-अर्चना कराई। पूजा-अर्चना को लेकर क्षेत्र में भक्तिमय माहौल

रहा। कई श्रद्धालुओं ने अपने घरों में भी कलश स्थापन कर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की। शहर के थानापाड़ा, रेलवे फाटक सहित अन्य जगहों में पूजा सामग्री के खरीदारों की भीड़ देखी जा रही है।

पाकुड़िया : कलश स्थापना के साथ रविवार को शारदीय नवरात्र शुरू हो गई है। नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम रुप शैलपुत्री की पूजा की गई। पंडित पवन कुमार झा ने बताया कि मां शैलपुत्री की

आराधना से मनोवांछित फल और कन्याओं को उत्तम वर की प्राप्ति होती है। अमड़ापाड़ा : स्थानीय दुर्गा मंदिर

में नवरात्र के प्रथम दिन रविवार को कलश स्थापन के साथ दुर्गा पूजा शुरु हो गई। पुरोहित द्वारा

नवरात्र के प्रथम दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री की पूजा-अर्चना

वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ की गई। महेशपुर : प्रखंड क्षेत्र के देवीनगर गांव स्थित मां सिंह वाहिनी मंदिर में रविवार को कलश यात्रा के साथ दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई। पुरोहित राजू मिश्रा द्वारा कलश भरा गया। महेश पांडेय, उमेश पांडेय ने सहयोग किया। हंस सरोवर से कलश में जल भरकर मंदिर लाया गया।

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