Lohardaga Lok Sabha Seat : लोहरदगा सीट का ऐसा रहा इतिहास, यहां जीत के लिए लगाना पड़ता है एड़ी-चोटी का जोर

Lohardaga Lok Sabha Seat झारखंड में लोहरदगा सीट पर चुनाव मैदान में उतरकर जीत हासिल करना कोई बच्चों का खेल नहीं है। यहां उम्मीदवार को पूरा जोर लगाना पड़ता है। इसके बावजूद भी वोटों के काफी कम अंतर से ही जीत तय होती है। इस बात की तस्दीक यहां हुए पिछले चुनावों के आंकड़े भी कर रहे हैं। ऐसे में यहां चुनाव जीतना आसान नहीं है।

By Rakesh sinha Edited By: Yogesh Sahu Publish:Fri, 19 Apr 2024 01:20 PM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2024 01:20 PM (IST)
Lohardaga Lok Sabha Seat : लोहरदगा सीट का ऐसा रहा इतिहास, यहां जीत के लिए लगाना पड़ता है एड़ी-चोटी का जोर
Lohardaga Lok Sabha Seat : लोहरदगा सीट का ऐसा रहा इतिहास, जीत के लिए लगाना पड़ा एड़ी-चोटी का जोर

HighLights

  • किसी भी राजनीतिक दल के लिए आसान नहीं चुनाव जीतना
  • विगत तीन लोकसभा चुनाव में काफी कम वोट से हुई है जीत-हार

विक्रम चौहान, लोहरदगा। झारखंड की 14 लोकसभा सीटों में से एक लोहरदगा राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण सीट है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट होने के कारण यहां पर होने वाली जीत और हार का असर पूरे राज्य पर पड़ता है। यही कारण है कि इस सीट पर हार और जीत का इतिहास कांटे की टक्कर का रहा है।

लोहरदगा जिले के साथ-साथ गुमला जिला के तीन विधानसभा क्षेत्र और रांची जिला के मांडर विधानसभा क्षेत्र के भी लोहरदगा लोकसभा सीट में शामिल होने के कारण यहां का चुनाव परिणाम झारखंड की राजधानी को भी प्रभावित करता है।

विगत तीन लोकसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि यहां काफी कम वोट से हार-जीत हुई है। वर्ष 2009 के चुनाव में 8,283, वर्ष 2014 में 6,489, वर्ष 2019 में मात्र 10,363 वोट से प्रत्याशियों की हार-जीत हुई है। 1998 से अब तक सिर्फ एक चुनाव में 90,255 वोट के अंतर से प्रत्याशी को जीत हासिल हुई है।

वहीं पिछले तीन चुनावों में 20 हजार से कम वोट का जीत-हार का अंतर रहा है। 1998 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ओर से इंद्रनाथ भगत चुनाव मैदान में थे। इसमें इंद्रनाथ भगत को 2,33,629 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के प्रत्याशी ललित उरांव को 2,14,232 वोट से संतोष करना पड़ा था।

इस चुनाव में हार और जीत का अंतर 1,9,397 वोट का था। 1999 में भाजपा के दुखा भगत को 1,63,658 वोट मिले, जबकि इंद्रनाथ भगत को 1,59,835 वोट मिले। इंद्रनाथ भगत को मात्र 3,823 वोट से हारे। 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार डा. रामेश्वर उरांव को 2,23,920 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के प्रत्याशी दुखा भगत को 1,33,665 वोट मिले थे।

दुखा भगत इस चुनाव में 90,255 वोट से हारे। 2009 में भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदलते हुए सुदर्शन भगत को चुनाव मैदान में उतारा। सुदर्शन भगत को इस चुनाव में 1,44,628 वोट मिले थे। वहीं, निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा को 1,36,345 वोट मिले थे। इस चुनाव में हार और जीत का अंतर मात्र 8,283 वोट का था।

साल 2014 में भाजपा के सुदर्शन भगत को 2,22,666 वोट मिले। कांग्रेस के प्रत्याशी रामेश्वर उरांव को 2,20,177 वोट मिले थे। इस चुनाव में रामेश्वर उरांव 6,489 वोट से हारे। 2019 में भाजपा ने फिर एक बार सुदर्शन भगत भगत पर दांव खेला था।

सुदर्शन भगत को इस चुनाव में 3,71,595 वोट मिले थे, जबिक कांग्रेस के सुखदेव भगत को 3,61,232 वोट मिले थे। चुनाव में हार और जीत का अंतर मात्र 1,03,63 वोट का था। कुल मिलाकर लोहरदगा लोकसभा सीट का इतिहास यही कहता है कि यहां कांटे की टक्कर के बीच प्रत्याशियों की हार और जीत तय होती है।

कम वोट से जीत-हार

वर्ष 2009 के चुनाव में 8283, वर्ष 2014 में 6489 वर्ष 2019 में मात्र 10363 वोट से हुई जीत-हार वर्ष 1998 से अब तक सिर्फ एक चुनाव में मिली 90255 वोट से जीत पिछले तीन चुनाव में 20 हजार से कम रहा जीत-हार का अंतर

यह भी पढ़ें

वह दौर जब जनता ने लिया था आपातकाल के जुल्‍मों का हिसाब... फिर हुआ कड़िया, रीतलाल और एके राय जैसे नेताओं का उदय

झारखंड की इन चार सीटों पर चुनावी दंगल शुरू, इनमें से एक पर पूरे देश की टिकी रहेंगी निगाहें; 13 मई को मतदान

chat bot
आपका साथी