युवाओं में स्वामीजी के प्रति गहरी समझ विकसित कर रहा महामंडल
जागरण संवाददाता कोडरमा स्वामी विवेकानंद का सरलीकृत 3-एच (हार्ट हेड एंड हैंड) फार्मू
जागरण संवाददाता, कोडरमा : स्वामी विवेकानंद का सरलीकृत 3-एच (हार्ट, हेड एंड हैंड) फार्मूला महामंडल में जीवन गठन का मंत्र बन चुका है। किशोरों, तरुणों और युवाओं को विशेष रूप से लक्षित करते हुए स्वामी विवेकानंद ने तीनों (एच) हृदय, मस्तिष्क और शरीर के संतुलित विकास पर जोर दिया था। पिछले 33 वर्षों से उनकी इस अवधारणा को साकार करने के प्रयास में जुटा है विवेकानंद युवा महामंडल झुमरीतिलैया। महामंडल की झुमरीतिलैया व आसपास के इलाके यानी डोमचांच, फुलवरिया, बरही, रामपुर बसरिया, बरसोत, गया जिले के जानी बिगहा जैसे गांवों में संचालित महामंडल की शाखाओं में स्वामीजी के सपनों का भारत निर्माण का प्रयास एक निरंतर प्रक्रिया के तहत चल रहा है। इन शाखाओं में संस्कृत में संगठन का मंत्र जो ऋग्वेद से लिया गया है-''संगच्छध्वं संवदध्वं..'' के पाठ से पाठचक्र की शुरूआत हर रविवार को होती है। इसी को हिन्दी में भी गाया जाता है :
एक साथ चलेंगे..।
सबके मन को एक भाव से गढ़ेंगे,
देवगण जैसे बांट हवि लेते हैं..,
हम सब, सब कुछ बांटकर ही लेंगे..।।
इस सस्वर सामूहिक प्रार्थना के बाद, हे भारत तुम मत भूलना कि..'' स्वामीजी द्वारा प्रदत्त स्वदेश मंत्र से पाठ चक्र की शुरुआत होती है। हृदय, मस्तिष्क व हाथ मानवता के यही तीन घटक हैं। इन्हीं तीन अवयवों से एक अच्छा इंसान बनता है। जिसमें संवेदनशील हृदय हो, जिसके मस्तिष्क में प्रतिभा हो और जिसकी भुजाओं में बल हो ऐसा व्यक्ति ही खुद अपना और समाज का भला कर सकता है। विवेकानंद के साहित्य महामंडल के प्रकाशन पाठ चक्र में उपलब्ध होते हैं, जिनपर चर्चा और प्रश्नोत्तरी होती है। इससे छात्र और तरुण न केवल अनुप्राणित होते हैं, उनमें विवेकानंद साहित्य की गहरी समझ भी विकसित होती है। विवेकानंद की प्रेरणा को अपने जीवन में उतारने के लिए महामंडल के सदस्य प्रतिदिन पांच काम करते हैं - अपने दिन की शुरुआत प्रार्थना और व्यायाम से करते हैं। फिर मन को एकाग्र के लिए मन: संयोग का अभ्यास करते हैं। रात में सोने से पहले स्वाध्याय यानि अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करते हैं और विवेकपूर्ण आचरण (विवेक प्रयोग) करने के लिए हर समय यथा संभव सजग रहते हैं। अपने इन पांच कामों के नियमित अभ्यास से ये अपने तीनों ''एच'' का संतुलित विकास करते हैं।
महामंडल के प्रयासों से ही ग्रामीण अंचल के घोर अभाव-ग्रस्त इलाकों में से भी कई युवकों ने स्वामी विवेकानन्द को आदर्श बनाकर, स्वामीजी से प्रेरित होकर सिर्फ आत्म-प्रेरणा की पूंजी से सफलता अर्जित कर मिसाल कायम की है। इन इलाकों के सैकड़ों छात्र घोर अभाव में रहते हुए बिना किसी प्राइवेट कोचिग के अपनी मेहनत और विवेकानंद से उनकी शिक्षाओं से मिली प्रेरणा को आधार बनाकर जीवन में सफलताएं अर्जित की है। आज फुलवरिया, डोमचांच एवं जानीबिगहा जैसे गांवों के युवा, तरुण न केवल सफल हैं, बल्कि चारित्रिक ²ढ़ता के भी धनी हैं। ऐसे छात्र आज अपनी सफलता का श्रेय स्वामी विवेकानंद के आदर्शों पर काम कर रही महामंडल नाम की इस संस्था से अपने जुड़ाव को ही देते हैं। ::::: युवा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन:::::
अखिल भारत विवेकानंद युवा महामंडल के तत्वावधान में प्रतिवर्ष अलग अलग स्थानों पर शिविर आयोजित होते रहते हैं। इन शिविरों में 14 वर्ष से अधिक के तरुण और युवक जिनमें स्कूल के छात्र और नवयुवक भाग लेते हैं। इसमें महामंडल के राष्ट्रीय पदाधिकारी व स्वामीजी पर गहरी समझ रखनेवाले विद्वान अपना व्याख्यान देते हैं। ::::::14 से कम उम्र के बच्चों के लिए विवेक वाहिनी::::::
छोटे बच्चों के लिए अलग से व्यवस्था है - खेल खेल में कहानियां सुनते सुनाते हुए उन्हें संस्कृति से परिचित कराते हुए उनमें संस्कार का बीजारोपण किया जाता है। विवेकानंद के उदात्त भावों के अनुकूल आग्रही सदस्यों के बीच पाठ चक्र में चर्चा के विषय गंभीर होते हैं जो तरुण व युवकों के लिए ही बोधगम्य होते हैं। इसलिए किशोरों का ध्यान रखते हुए विवेक वाहिनी में भाषा सरलीकृत भाषा रखी गई है और सिखाने का तरीका मोंटेसरी स्कूल वाला है। पाठ चक्र के ही कुछ सदस्य कोलकाता स्थित मुख्यालय जाकर विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करके विवेक वाहिनी के प्रशिक्षक बन कर आते हैं। ::::: क्या कहते हैं संस्था के पदाधिकारी:::::
उपभोक्तावाद और आधुनिकता के इस दौर में स्वामीजी के आदर्शों से प्रेरित महामंडल एक ऐसा संगठन है जो बिना किसी प्रचार प्रपंच के विवेकानंद की प्रेरणा से युवाओं को अनुप्राणित कर राष्ट्रनिर्माण में जुटा है।
अजय अग्रवाल, उपाध्यक्ष, स्वामी विवेकानंद युवा महामंडल, झुमरीतिलैया।