नियमों का पेच, किसान बिचौलियों को बेच रहे धान

नियमों का पेंच किसान अपना धान बिचौलियो

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 06:44 PM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 06:44 PM (IST)
नियमों का पेच, किसान बिचौलियों को बेच रहे धान
नियमों का पेच, किसान बिचौलियों को बेच रहे धान

संवाद सूत्र, जयनगर (कोडरमा): एक तरफ सरकार बिचौलियों के हाथों धान नहीं बेचने के लिए किसानों से अपील कर रही है, वहीं दूसरी तरफ पैक्सों के माध्यम से धान की खरीद पर कई तरह के पेच लगा रही है। हाल में सरकार ने गीला धान पैक्सों को नहीं खरीदने के लिए कहा है। इसे लेकर किसान पशोपेश में हैं। ऐसे में पैक्स स्तर पर अब किसानों का धान लेने को लेकर टालमटोल किया जाएगा। वैसे एक 15 दिनों से किसान खेत से ही अपना धान 11 से 12 सौ रुपए प्रति क्विटल बिचौलियों को बेच रहे हैं। सरकार द्वारा समर्थन मूल्य की घोषणा के बाद किसानों में उम्मीद जगी थी कि अब उन्हें अपने उत्पादन का बेहतर मूल्य मिलेगा, लेकिन हालिया निर्देश के बाद उन्हें झटका लगा है। प्रस्तुत है धान बेचने को लेकर किसानों की राय: सरकार के पेचीदा नियमों के कारण किसानों को अपने धान का मूल्य वसूलने में महीनों लग जाते हैं। हमें अपना धान पैक्स में ले जाकर ही बेचना होता है, जिसके लिए किराया अलग से देना पड़ता है। परंतु अगर बिचौलियों के हाथों किसान धान भेजते हैं तो बिचौलिए सीधे खलिहान से किसानों का धान खरीद लेते हैं, वह भी नगद भुगतान कर।

सुरेश यादव, किसान सह पंचायत समिति सदस्य, सतडीहा।

किसानों को धान बेचने के लिए सरकार द्वारा बनाया गया नियम काफी पेंच लगता है, जिसके कारण किसान अपना धान बिचौलियों के हाथों में बेचने को मजबूर हैं। हालांकि किसान बिचौलियों के हाथों धान बेचकर खुश हैं क्योंकि उन्हें नकद भुगतान हो जाता है और उन्हें अधिक मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है।

रामाशंकर यादव, किसान, तरवन। सरकार के पास बेचने में एक तो सबसे पहले निबंधन की प्रक्रिया है इसके बाद किसानों को बिक्री की 50 प्रतिशत राशि 3 दिन के अंदर दी जारी है जबकि शेष राशि किसानों के खाते में कब आएगी इसका कोई पता नहीं।

लक्ष्मण पंडित, किसान, खरीयोडीह। किसान मजबूर होकर अपना धान बिचौलियों के हाथों में बेच देते हैं हालांकि किसानों को इससे नुकसान उठाना पड़ता है। लेकिन नकद प्राप्ति के लिए ऐसा करना पड़ता है। यहां ना तो निबंधन का झंझट और ना ही बैंक खाते का झंझट।

संतोष कसेरा, किसान, परसाबाद। जो काम अक्टूबर में सरकार को करनी चाहिए थी, वह दिसंबर में हो रहा है। अबतक काफी धान बिक चुका है। मैं 3 साल से पैक्स में धान दे रहा हूं पेमेंट में किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है। समय पर नहीं खुलने से लोगों को काफी परेशानी होती है ।

किसान प्रकाश साहब, जामू। पैक्सों में धान देने के लिए इतनी फजीहत है कि उससे अच्छा तो लोग बिचौलियों के हाथों बेच देना आसान समझते हैं। छोटे से बड़े किसान यही करते आ रहे हैं। किसान अपना धान पैक्स में बेच पाते तो उन्हें अच्छी राशि की प्राप्ति होती। लेकिन एक बार पैक्स में खरीदी 15 दिनों के लिए स्थगित कर दी गई है ।

किसान बालेश्वर यादव, बिधनिया। 15 दिनों के लिए सरकार पैक्सों में धान खरीदी का कार्य बंद कर दी है। किसान मजबूरी में अपना धान बिचौलियों के हाथों बेच रहे हैं। किसानों को अगली फसल जैसे गेहूं सरसों आदि लगाने के लिए पैसे की जरूरत होती है। इसलिए ज्यादा इंतजार नहीं कर सकते। मुझे तो आज तक पैक्स में धान बेचने का मौका ही नहीं लगा।

किसान लक्ष्मण साहू, जामू।

पैक्स में धान भेजना बहुत कठिन है इसलिए किसान फजीहत के चलते अपना नाम बिचौलिए के हाथों 11 रुपये बेचने को मजबूर हो जाते हैं। हालांकि पैक्स में धान का मूल्य सरकार द्वारा अच्छी दी जाती है। लेकिन यह काम काफी देर से होता है और राशि मिलने में भी देरी होती है।

किसान शेख सलीम, मरकच्चो।

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