Lok Sabha Polls 2019: बड़ा मुद्दा : उद्योग-धंधों के साथ खो गया झुमरी तिलैया का सरगम

Lok Sabha Polls 2019. औद्योगिक इकाइयों के सायरन व गीत-संगीत में मशगूल रहने वाले शहर में अब हर बार चुनावी माहौल में उद्योग धंधों के बंद होने का मामला बीच-बीच में गर्म होता है।

By Sujeet Kumar SumanEdited By: Publish:Sun, 24 Mar 2019 12:42 PM (IST) Updated:Sun, 24 Mar 2019 12:42 PM (IST)
Lok Sabha Polls 2019: बड़ा मुद्दा : उद्योग-धंधों के साथ खो गया झुमरी तिलैया का सरगम
Lok Sabha Polls 2019: बड़ा मुद्दा : उद्योग-धंधों के साथ खो गया झुमरी तिलैया का सरगम

कोडरमा, जासं। औद्योगिक इकाइयों के सायरन व गीत-संगीत के तराने में मशगूल रहने वाला शहर झुमरी तिलैया में अब न तो वे गीतों के तराने सुनाई देते हैं और ना ही उद्योगों के सायरन। हर बार चुनावी माहौल में यहां के उद्योग-धंधों के बंद होने काा मामला बीच-बीच में गर्म होता रहता है, लेकिन चुनाव संपन्न होने के साथ ही यह खत्म हो जाता है।

वर्ष 1980 तक वह दौर था, जब झुमरी तिलैया शहर के तीन नंबर स्थित सीएच प्राइवेट लिमिटेड के माइका फैक्ट्री से बजने वाले सायरन की आवाज से लोगों को समय का पता चलता था। हर शिफ्ट में अलग-अलग सायरन। इसी तरह प्रीमियर ग्लास, हिमालय ग्लास जैसी दर्जनों फैक्ट्रियों में हर शिफ्ट खत्म होने के बाद सायरन बजती थी, जिसकी आवाज से शहर की रफ्तार बदलती रहती थी।

वहीं शाम होते ही रेडियो सिलोन, विविध भारती, विनाका गीतमाला जैसे फरमाइशी गीतों के कार्यक्रम में शहरवासी खो जाते थे। वह दौर था, जब ऐसे कार्यक्रमों में गीतों के सबसे ज्यादा फरमाइशी पत्र झुमरी तिलैया से भेजे जाते थे। फरमाइशी गीतों के कार्यक्रम से ही यह शहर पूरे देश के साथ ही बॉलीवुड तक मशहूर हो गया। कहते हैं आर्थिक संपन्नता, रोजगार से शहर में संपन्नता ऐसी थी कि लोग गीत-संगीत में डूबे रहते थे।

लेकिन वह दौर अब खत्म हो गया है। शहर के वयोवृद्ध समाजसेवी शंकरलाल चौधरी बताते हैं, उस दौर में काका हाथरसी जैसे कवि का कार्यक्रम शहर में कई बार हुआ था। लोग कवि सम्मेलन के बहुत शौकीन थे और यहां अक्सर ऐसे कार्यक्रम होते थे। अब वह सरगम कहीं खो गया है...।

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