दिल बहलाने के लिए युवतियों को उठा लेते हैं उग्रवादी, नाबालिगों को दे रहे ट्रेनिंग

PLFI extremist. नाबालिगों को लालच देकर संगठन में भर्ती किया जा रहा है। उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Thu, 07 Feb 2019 05:50 PM (IST) Updated:Thu, 07 Feb 2019 05:53 PM (IST)
दिल बहलाने के लिए युवतियों को उठा लेते हैं उग्रवादी, नाबालिगों को दे रहे ट्रेनिंग
दिल बहलाने के लिए युवतियों को उठा लेते हैं उग्रवादी, नाबालिगों को दे रहे ट्रेनिंग

खूंटी, जागरण संवाददाता। उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) के दस्ते के साथ एक माह तक रही एक नाबालिग लड़की ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। नाम न छापने व फोटो न खींचने की शर्त पर उसने दैनिक जागरण को बताया कि पीएलएफआइ के उग्रवादियों को पुलिस के साथ-साथ माओवादियों से भी डर लगता है। इसीलिए जब उन्हें अपने आसपास माओवादियों के दस्ते के होने की भनक मिलती है, तो वे तुरंत अपना ठिकाना बदल देते हैं। उसने बताया कि एक बार चार-पांच माओवादी जंगल में आ गए थे, तो उन्हें खदेड़कर भगा दिया गया था। 

नाबालिगों को दे रहे हैं ट्रेनिंग

उसने बताया कि बड़ी उम्र के लोग संगठन में आसानी से शामिल नहीं होते हैं। इसलिए नाबालिगों को लालच देकर संगठन में भर्ती किया जा रहा है। उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जाती है। मोटी रकम और अत्याधुनिक हथियारों की चकाचौंध में आकर मासूम नाबालिग संगठन का हिस्सा बन जा रहे हैं। उसने बताया कि जब वह वहां थी, तो उस दौरान कम उम्र के आठ-नौ लड़के वहां थे। वे लोग कार्बाइन व बंदूक पकड़े रहते थे।

दिल बहलाने के लिए युवतियों को उठा लेते हैं

हमेशा जंगल में रहने के कारण दस्ते के सदस्यों का मन उचाट न हो जाए, इस बात को ध्यान में रखकर उग्रवादी लड़कियों को जबरन उठा लेते हैं। उनसे जहां खाना बनवाया जाता है, वहीं उनसे शारीरिक भूख भी मिटाई जाती है। यदि किसी को कोई लड़की पसंद आ गई तो उसे उठा लिया जाता था। इसके बाद उन्हें वापस जाने की इजाजत नहीं दी जाती है। मुठभेड़ वाले दिन दीत नाग एक लड़की के साथ सो रहा था। गोलियों की आवाज सुनते ही वह उक्त लड़की को लेकर वहां से फरार हो गया।

बहुत क्रूर है दीत नाग

उसने बताया कि प्रभु सहाय की तुलना में दीत दाग बहुत क्रूर है। उसे जब गुस्सा आता था तो आदमी को काट डालता था। एक बार ठेकेदार को पकड़कर लाया गया था तो उसे उसने चाकू से काट डाला और जंगल में फेंक दिया। दीत नाग को संगठन में लोग लंबू कहते थे। वह बहुत लंबा-चौड़ा जैसा है। उसका मेन अड्डा कुलबुरू में है।

दीत नाग रखता है एके 47

कुलबुरु, तिरला, टुनटु, नारंगा, गंगई और लोयोर जंगल समेत आसपास के इलाकों के गांवों के जंगलों में रह चुकी नाबालिग ने बताया कि प्रभु सहाय बोदरा एके 56 रखता था और दीत नाग के पास एके 47। वहीं, नियेल कार्बाइन और पिस्टल लेकर जंगलों में रहता है। उसने बताया कि दस्ते में बिरसा, करमु, पांडा, बच्चा, बिरसा नाग, मुखिया व बसड़े जैसे खूंखार उग्रवादी रहते हैं।

पुलिस के आने पर ग्रामीण करते हैं आगाह

जब पुलिस जंगल में रेड मारती है तो गांव के लोग तुरंत इसकी सूचना फोन पर दे देते हैं। इसलिए संगठन के कमांडर प्रभु सहाय, दीत नाग व बिरसा पहाड़ी पर उस जगह बैठते थे, जहां मोबाइल का नेटवर्क मिलता हो। 

गौरतलब है कि गत 29 जनवरी को अड़की थानांतर्गत तिरला जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) के जोनल कमांडर प्रभु सहाय बोदरा समेत पांच उग्रवादी मारे गए थे और दो उग्रवादी घायल होकर पुलिस की पकड़ में आ गए थे। साथ ही, एरिया कमांडर दीत नाग घायल अवस्था में फरार हो गया था। उसी पीएलएफआइ के दस्ते के साथ एक माह तक रही एक नाबालिग लड़की ने उक्त खुलासे किए हैं।

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