चाहती हूं अपनी आंख से अश्रुबन ढलूं मैं...

अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलनजुगसलाई में जुटीं शहर की कवयित्रियां अपनी अपनी कविताओं का किया पाठ।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 03 Jun 2019 01:48 PM (IST) Updated:Mon, 03 Jun 2019 01:48 PM (IST)
चाहती हूं अपनी आंख से अश्रुबन ढलूं मैं...
चाहती हूं अपनी आंख से अश्रुबन ढलूं मैं...

जमशेदपुर (जासं)। अखिल भारतीय कवयित्री सम्मेलन (एआइपीसी) व संस्था कालजयी की कवि गोष्ठी रविवार को जुगसलाई स्थित डॉ. अनिता शर्मा के आवास पर हुई, जिसमें शहर की कवयित्रियों ने एक से बढ़कर एक कविता सुनाईं। 

गोष्ठी की शुरुआत ऑल इंडिया पोयटेस कांफ्रेंस (एआइपीसी) की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आशा गुप्ता ने

'आओ हम संकल्प उठायें, कर्म पथ पर बढ़ते जाएं.. से की, तो इसी क्रम में प्रतिभा प्रसाद कुमकुम ने 'बिटिया को सम्मान मिले, अधिकारों की रक्षा हो.., आनंदबाला शर्मा ने ' चाहती हूं अपनी आंख से अश्रुबन ढलूं मैं, चाहती हूं फिर खुद ही अपनी मां बनूं मैं.. सुनाई। डॉ. संध्या सिन्हा ने 'आंगन की तुलसी को छूकर मलय पवन जो आया..., डॉ. अनिता शर्मा ने 'नारी मन को कोई क्यों न समझ पाया, चीरहरण हुआ द्रौपदी का, पुरुषों ने ही फैसला सुनाया.., डॉ. कल्याणी कबीर ने फुर्सत के पहर हैं और मैं हूं, सुकूं का इक सफर है और मैं हूं, अर्पणा संत सिंह 'ये क्या एहसास है कि तुम में ही खुद की तलाश है..., सरिता सिंह ' बचपन याद बहुत आती हो, उन्मुक्त खिलखिलाहट धूल धूसरित बदन..., पद्मा प्रसाद 'अमर शहीदों की वीरांगनाओ का शुरू होता है आत्म जंग... सुनाईं। इसमें कालेज की छात्राओं ने भी कविता सुनाई, जिसमें आरती शर्मा व अभिलाषा शामिल थीं। प्रतिभा प्रसाद की अध्यक्षता में हुई गोष्ठी का संचालन कल्याणी कबीर व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अनिता शर्मा ने किया।

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