जब सोनारी विमानतल से लौटा दिया गया था जगन्नाथ मिश्र का हेलीकॉप्टर Jamshedpur News

बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ जगन्‍नाथ मिश्र का जमशेदपुर से रहा गहरा नाता आज भी कई रिश्‍तेदार रहते हैं लौहनगरी में।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 19 Aug 2019 01:44 PM (IST) Updated:Tue, 20 Aug 2019 10:37 AM (IST)
जब सोनारी विमानतल से लौटा दिया गया था जगन्नाथ मिश्र का हेलीकॉप्टर Jamshedpur News
जब सोनारी विमानतल से लौटा दिया गया था जगन्नाथ मिश्र का हेलीकॉप्टर Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। बिहार के पूर्व मुख्‍यमंत्री डॉ जगन्‍नाथ मिश्र के निधन पर लौहनगरी में भी शोक की लहर है। इस शहर से उनका गहरा नाता रहा है। वे अक्‍सर यहां आते-जाते रहते थे। उनके जमशेदपुर प्रवास से जुड़ी कई यादगार लम्‍हे लोगों के मन में जीवंत हो उठे हैं। जानकार बताते हैं कि एक बार उनके हेलीकॉप्‍टर को सोनारी विमानतल से ही वापस लौटना पड़ा था। यह घटना नब्‍बे के दशक के शुरुआती दिनों की है। उस समय केपी सिंह कांग्रेस के जिला अध्‍यक्ष थे। एक अलग गुट भोगेंद्र मिश्रा का था। जगन्‍नाथ मिश्र को कांग्रेस के तत्‍कालीन राष्‍ट्रीय महामंत्री सुशील कुमार शिंदे के साथ जमशेदपुर आना था। दोनों गुट अपने नेताओं के स्‍वागत के लिए पहुंचा। वहां तनाव की स्थिति बन गई। नेताओं का हेलीकॉप्‍टर उतरा तो लेकिन हालात को देखते हुए प्रशासन ने हेलीकॉप्‍टर को वापस भेज दिया। दोनों नेता बिना उतरे वापस लौट गए।

संयुक्‍त बिहार में कांग्रेस के आखिरी मुख्‍यमंत्री थे डॉ मिश्रा

जगन्नाथ मिश्र बिहार में कांग्रेस के आखिरी मुख्यमंत्री थे। बिहार में पिछले 30 सालों से कांग्रेस अपने दम पर सरकार बनाने में असफल रही है। डा मिश्रा के बाद 1989 में बिहार में लालू प्रसाद यादव ने सीएम पद की कमान संभाली थी। 82 वर्षीय डॉ मिश्रा तीन बार बिहार के सीएम रह चुके थे.वह केंद्रीय मंत्री भी रहे थे। डॉ  मिश्रा पहली बार 1975 में राज्य के मुख्यमंत्री बने और अप्रैल 1977 तक इस पद पर रहे थे। उसके बाद 1980 में उन्होंने तीन साल के लिए मुख्यमंत्री की कमान संभाली। 1989 में मिश्रा तीन महीने के लिए सीएम बने थे।

जमशेदपुर में हैं कई रिश्‍तेदार

जमशेदपुर से डॉ जगन्‍नाथ मिश्र के लगाव की एक वजह यहां उनकी रिश्‍तेदारी का होना भी है। वर्तमान में भी उनके कई रिश्‍तेदार यहां रह रहे हैं। वहीं राजनीतिक दलों के कई ऐसे नेता आज भी हैं जिन्‍होंने डॉ मिश्रा के साथ काम किया है या उनके काफी करीब रहे हैं।

उर्दू दोस्त के रूप में भी रहे चर्चित

डॉ मिश्रा को बिहार में उर्दू को दूसरी राज्यभाषा का दर्जा दिए जाने के लिए याद किया जायेगा। इसके लिए उन्हें काफ़ी विरोध झेलना पड़ा था। विरोधियों ने उन्हें मौलवी मिश्रा के ख़िताब से नवाज़ा था। डॉक्टर मिश्रा उर्दू के अच्‍छे जानकार भी थे।

बिहार के सुपौल के बलुआ में 1937 में जन्में जगन्नाथ मिश्रा अपने समय में कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में शुमार रहे। बिहार में कांग्रेस को ऊंचाइयों तक ले जाने में उनका योगदान अहम रहा। हालांकि बाद में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) से जुड़ गए। उनके जीवन के सबसे संघर्षपूर्ण 1995 के बाद के रहे जब चारा घोटाले में उनका नाम आया। डॉक्टर जगन्नाथ मिश्रा के निधन पर बिहार में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जायेगा।

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