Weekly News Roundup Jamshedpur : नहीं सुधरने की हमने खाई है कसम... पढ़ि‍ए ऑफ द फील्‍ड खबर

लालफीताशाही का आलम यह है कि एक प्रेस रिलीज चार अधिकारियों को टेबल से होकर गुजरता है। जबतक यह मीडिया के पास पहुंचता है उनके पास माथा पीटने के अलावा कुछ नहीं बचता।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 14 Feb 2020 05:42 PM (IST) Updated:Sat, 15 Feb 2020 06:00 PM (IST)
Weekly News Roundup Jamshedpur : नहीं सुधरने की हमने खाई है कसम... पढ़ि‍ए ऑफ द फील्‍ड खबर
Weekly News Roundup Jamshedpur : नहीं सुधरने की हमने खाई है कसम... पढ़ि‍ए ऑफ द फील्‍ड खबर

जमशेदपुर, जितेंद्र सिंह। Weekly News Roundup Jamshedpur off the field news यह है टाटा स्टील का कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस। कहने को तो इसे पेशेवर कहा जाता है, लेकिन आजकल गैरपेशेवराना रवैये से हर कोई हलकान है। अगर टाटा स्टील की मेजबानी में कोई कार्यक्रम हो रहा है तो इसका आधिकारिक प्रेस रिलीज घंटों के बाद आपको मिलेगा। वह भी लाख फोन करने के बाद। 

लालफीताशाही का आलम यह है कि एक प्रेस रिलीज चार अधिकारियों को टेबल से होकर गुजरता है। जबतक यह मीडिया के पास पहुंचता है, उनके पास माथा पीटने के अलावा कुछ नहीं बचता। अगर ई मेल या एसएमएस से कोई जानकारी मांगी जाए तो उसका जवाब भी नहीं मिलता है। कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस के इस रवैये के शिकायत वरीय अधिकारियों को की जाती है, फिर भी सुधरने के नाम नहीं लेते। एक मीडियाकर्मी ने चुटकी लेते हुए कहा, जनाब, इस हम्माम में सब नंगे हैं। इससे अच्छा तो  जिला सूचना विभाग है, जो समय से सूचना दे देता है। 

सीनियर की राह पर चल रहे जूनियर्स

बड़े मियां तो बड़े मियां, छोटे मियां सुभान अल्लाह। आजकल ऐसा ही कुछ जमशेदपुर एफसी में देखने को मिल रहा है। सीनियरों ने हार का दामन क्या थामा, जमशेदपुर रिजवर्स भी उसी की राह पर चल पड़ी। सेकेंड डिवीजन आइ लीग फुटबॉल में जूनियर टीम अभी तक खाता भी नहीं खोल पाई है। हाल यह है कि एक अदद जीत को टीम तरस रही है। गुरुवार को लोनस्टार कश्मीर ने भी उसे धो डाला।  सीनियर टीम का भी बुरा हाल है। प्ले ऑफ मुकाबले से पहले ही बाहर हो चुकी जमशेदपुर एफसी जीत के मुहाने से लौट आ रही है। हैदराबाद एफसी जैसी पिद्दी टीम ने उसे ड्रॉ पर रोक दिया, वहीं नॉर्थ ईस्ट यूनाइटेड एफसी ने उसके जबड़े से जीत छीन ली। टीम ऐसा प्रदर्शन करे तो सीईओ मुकुल विनायक चौधरी के पेशानी से पसीने टपकना लाजिमी है। जनाब, आजकल अपने कार्यालय से बाहर ही नहीं निकल रहे हैं। 

 मैडम का खौफ, कहीं गुस्सा ना हो जाए

नौकरी बचाने का पहला गुर, बस साहब की बीवी को खुश रखो, सब काम हो जाएगा। मैडम हंसे तो आप भी हंसो। मैडम सीरियस बात कर रही है तो आप भी सिर हिलाते रहिए, ताकि उन्हें लगे कि आप गंभीरतापूर्वक उनकी बातों पर सहमति जता रहे हैं। जी हां, कुछ ऐसा ही नजारा बीते मंगलवार को जेआरडी टाटा स्पोट्र्स कांप्लेक्स में आयोजित महिलाओं के लिए आयोजित खेल मेला में दिखा। टाटा स्टील के प्रबंध निदेशक टीवी नरेंद्रन की पत्नी रुचि नरेंद्रन मुख्य अतिथि थी। मैडम की अगवानी के लिए अधिकारी से चपरासी तक लगे हुए थे। हेड आशीष कुमार के चेहरे की मुस्कुराहट में तनाव छिपी थी, जो छिपाए नहीं छिप रही थी। चिंता यह कि मैडम कहीं गुस्सा ना हो जाएं। मैडम भी इस स्वागत से आह्लादित दिखी। अपने मुखारबिंद के मुक्तकंठ से आयोजन की प्रशंसा की। प्रशंसा सुन बेचैन मन को चैन आया। बोले, चलो फिर नौकरी बची। 

मुझको भी तू लिफ्ट करा दे

लगता है, झारखंड राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (जेएससीए) में आजकल योग्य सदस्यों का टोटा पड़ गया है, तभी तो संघ से निष्कासित हो चुके सदस्यों को बुला-बुलाकर जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। पदाधिकारियों को यह भान हो गया है कि उन्होंने चापलूसों की फौज भर्ती कर ली है, जिन्हें क्रिकेट का ककहरा भी नहीं आता। 

रांची जिला क्रिकेट संघ के बी डिवीजन में माणिक घोष को संयोजक बनाया गया है। माणिक घोष को गुमला में आयोजित वार्षिक आम बैठक में निष्कासित कर दिया गया था। रामगढ़ जिला क्रिकेट संघ के तत्कालीन सचिव अरूण राय को ही लीजिए। जनाब, सचिव के पद से तो हटाये गये लेकिन सदस्यता बहाल रही। अब निष्कासित किए गए अन्य सदस्यों ने भी दिन में सपना देखना शुरू कर दिया है। कहीं समय का पहिया ऐसा घूम जाए कि उनकी भी किस्मत संवर जाए। भगवान से कह रहे हैं । हे रब, मुझको भी तू लिफ्ट करा दे।

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