नाले का पानी पी विधायक ने जलमीनार बनाने का किया था वादा, पूरा नहीं हुआ

विधायक ने नाले का पानी पीकर गांव में जलमीनार बनाने का वादा किया था, लेकिन आज तक वादा पूरा नहीं हुआ। आज भी गांव के लोग नाले का पानी पी रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 17 Sep 2018 09:00 AM (IST) Updated:Mon, 17 Sep 2018 09:00 AM (IST)
नाले का पानी पी विधायक ने जलमीनार बनाने का किया था वादा, पूरा नहीं हुआ
नाले का पानी पी विधायक ने जलमीनार बनाने का किया था वादा, पूरा नहीं हुआ

जेएनएन, जमशेदपुर : पूर्वी सिंहभूम जिले के गालूडीह प्रखंड का एक गांव है- डुमकाकोचा। घाटशिला अनुमंडल का हिस्सा है। एक तरफ जहां हम चांद पर घर बसाने की बात कर रहे हैं, मंगल ग्रह से मिट्टी लाकर अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं, वहीं इस गांव के लोग नाला का पानी पीकर जीने को मजबूर हैं। यह गांव कुछ वर्ष पूर्व नक्सल प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता था। वर्तमान में पुलिस प्रशासन की सक्रियता से गांव नक्सल मुक्त हो गया है, लेकिन यहां विकास की किरण अबतक नहीं पहुंच पाई है। महिलाएं गांव से करीब एक किलोमीटर दूर डोकाधोड़ा नाला से पीने का पानी भर कर लाती हैं। यह उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। पानी लाने के दौरान खेत की मेढ़ से चलकर पानी का पतीला अपने सिर पर रख कर लाती हैं। आज तक इस गांव में कोई भी प्रशासनिक अधिकारी नहीं पहुंचा है। मुखिया कभी कभार गांव में जरूर आते रहते हैं। गांव में 70 परिवार रहते हैं। यहां मात्र एक चापाकल है। वह भी दो माह से खराब पड़ा है। मरम्मत के नाम पर गांव वालों को अबतक सिर्फ आश्वासन मिला है। स्थानीय विधायक लक्ष्मण टुडू खुद एक साल पहले गांव जाकर ग्रामीणों की समस्या से रूबरू हुए थे। बहते हुए नाले का पानी पीकर आश्वासन दिया था कि जल्द ही एक-दो माह के अंदर गांव में पेयजल के लिए जलमीनार का निर्माण कराया जाएगा। लेकिन आश्वासन पूरा नहीं हुआ।

डुमकाकोचा गांव के सुनील ¨सह, बुटू ¨सह, दिगम ¨सह और पपीता ¨सह ने कहा कि हमारे पुरखे भी नाला का पानी पीकर जीवन गुजारते थे। वर्तमान में हमलोग भी इसी नाले के पानी पर आश्रित हैं। कुछ नहीं बदला। गांव में एक प्राथमिक स्कूल को छोड़कर न आंगबाड़ी केंद्र है और न ही स्वास्थ्य की सुविधा। सड़क अधूरी है। सिंचाई के लिए नहर का निर्माण भी नहीं हो पाया। हम लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या है पेयजल। गांव के वृद्ध धासो ¨सह, बुटू ¨सह, दिगम ¨सह समेत कई बुजुर्ग पेंशन से वंचित हैं। पंचायत से लेकर 30 किलोमीटर दूर प्रखंड कार्यालय तक का सफर तय कर चुके हैं। आज तक पेंशन नहीं मिला। गृहस्थी योजना के तहत दिया जा रहा राशन भी कई ग्रामीणों को नहीं मिला है।

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