झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस का कहर, जानिए लक्षण और बचाव

वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस पिछले दो माह में 100 से ज्यादा मासूम बच्चों को अपनी चपेट में लेकर संक्रमित कर चुका है। चिकित्सकों की मानें तो 15 मार्च तक जिले में इसका प्रभाव रहेगा।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 02 Mar 2020 12:07 PM (IST) Updated:Mon, 02 Mar 2020 02:23 PM (IST)
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में  वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस का कहर, जानिए लक्षण और बचाव
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम में वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस का कहर, जानिए लक्षण और बचाव

चाईबासा,  सुधीर पांडेय। Varicella zoster virus active in West Singhbhum Jharkhand झारखंड के कोल्‍हान के पश्चिमी सिंहभूम में वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस सक्रिय हो गया है। यह तेजी के साथ क्षेत्र में अपने पैर पसार रहा है और संक्रमण फैला रहा है। पिछले दो माह में यह वायरस 100 से ज्यादा मासूम बच्चों को अपनी चपेट में लेकर संक्रमित कर चुका है।

चिकित्सकों की मानें तो 15 मार्च तक जिले में इसका प्रभाव रहेगा। भले ही यह वायरस आपके लिए अनजान हो मगर इसके संक्रमण से होने वाले रोग चिकन पॉक्स से सभी भलीभांति परिचित हैं। चिकन पॉक्स (छोटी माता) वेरीसेल्ला जोस्टर वाइयस के संक्रमण से होनेवाली बीमारी है। इस वायरस के सक्रिय हो जाने के कारण क्षेत्र में छोटे बच्चों में चिकनपॉक्स की बीमारी तेजी से फैल रही है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। हालांकि पीडि़त बच्चों को बुखार, सर्दी व खांसी की दवा दी जाती है।

क्या और कैसे होता है चिकनपॉक्स 

चिकनपॉक्स रेबुला व वेरीसेल्ला जोस्र नामक वायरस से फैलता है। इसकी चपेट में आने से बच्चों के चेहरे व पूरे शरीर में छोटे-छोटे दाने उभर आते हैं। दाने के सूखने से बच्चों को खुजली हाती है। इसे ग्रामीण क्षेत्रों में छोटी माता कहा जाता है। चिकनपॉक्स किसी भी आयु में हो जाता है, मगर तीन साल की उम्र तक के बच्चों में यह रोग ज्यादा होता है। स्वस्थ्य बच्चे के शरीर में रोगाणु प्रवेश के बाद रोग से उबरने में एक सप्ताह और कभी-कभी दो सप्ताह तक लग जाते हैं। यह बीमारी एक-दूसरे के संपर्क में आने से फैलती है।

ये हैं वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस के लक्षण जुकाम, खांसी, नाक का बहना। बुखार जो कम से कम तीन दिन रहता है। शरीर में लाल व पीले धब्बेदार दानों का उभरना, जो शरीर में 4 से 7 दिन तक बने रहते हैं। एक सप्ताह बाद दाने मिट जाते हैं और त्वचा से पतले छिलके झडऩे लगते हैं।

ये हैं बचाव के उपाय

पानी का ज्यादा सेवन करें भोजन में नमक की मात्रा कम हो स्वच्छ कपड़े पहनें संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आएं खानपान में संतुलन रखें

तीन बड़े आउटब्रेक 

प्रभावित गांव में जांच करते मेडिकल टीम के सदस्‍य।  11 जनवरी को हाटगम्हरिया गांव में चिकेन पॉक्स फैल गया था। यहां 24 लोग इसकी चपेट में आकर बीमार पड़ गये थे। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव में शिविर लगाकर लोगों को राहत पहुंचायी थी। इस दौरान जन स्वास्थ्य प्रयोगशाला में हुई जांच में छह सैंपल में से चार में वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस पॉजिटिव मिला था।  21 जनवरी को तांतनगर प्रखंड के बणावीर गांव में चिकेन पॉक्स से संक्रमण फैल गया था। यहां 10 लोग एक साथ बीमार हो गये थे। सूचना मिलने पर सदर अस्पताल से गयी चिकित्सकों की टीम ने जांच कार्य शुरू कर राहत पहुंचायी थी। यहां पांच सैंपल लिये गये थे। सभी में वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस पाजिटिव मिला था। 03 फरवरी को तांतनगर प्रखंड के ही छोटाकुईता गांव में एक साथ 22 लोगों को चिकेन पॉक्स हो गया था। गांव वाले इसे दैवीय प्रकोप मानकर झाड़-फूंक करा रहे थे। यहां भी स्वास्थ्य विभाग की टीम ने सूचना मिलते ही पहुंचकर चिकित्सीय शिविर लगाकर जांच की थी। यहां पांच सैंपल में से दो में वेरीसेल्ला जोस्टर वायरस पाजिटिव पाया गया था।

जनवरी-फरवरी में सप्ताहवार चिकेनपॉक्स से प्रभावित मरीजों की संख्या पहला सप्ताह - 10 दूसरा सप्ताह - 13 तीसरा सप्ताह - 15 चौथा सप्ताह - 09 पांचवां सप्ताह - 13 छठा सप्ताह - 14 सातवां सप्ताह - 12

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