निजी कंपनी का अफसर बना रहा गोबर से गमला और लैंप

अखिलेश चौधरी बताते हैं कि गोबर से बने इन गमलों में पौधे जल्द पनपते हैं। क्योंकि गोबर से उन्हें पौष्टिक तत्व मिल जाते हैं।

By Edited By: Publish:Sun, 03 Jun 2018 08:00 AM (IST) Updated:Sun, 03 Jun 2018 11:58 AM (IST)
निजी कंपनी का अफसर बना रहा गोबर से गमला और लैंप
निजी कंपनी का अफसर बना रहा गोबर से गमला और लैंप

मुजतबा हैदर रिजवी, जमशेदपुर। गाय के गोबर से गोइठा (उपले) बनाने की बात तो सुनी होगी, लेकिन अब जमशेदपुर शहर में टाटा कंपनी के एक सुरक्षा अधिकारी गोबर और मिट्टी के मिश्रण से इलेक्ट्रिक लैंप, गमला, डलिया और धूप-बत्ती आदि बना रहे हैं। टिनप्लेट कंपनी के इस सुरक्षा अधिकारी का नाम है अखिलेश कुमार चौधरी। गाय से बेपनाह मोहब्बत करते हैं। समाज को गाय के गोबर के प्रति जागरूक करने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है। चौधरी बकायदा इन उत्पादों की मार्केटिंग भी कर रहे हैं। इनके उत्पाद बेहद सराहे जा रहे हैं।

अखिलेश के अनुसार, जल्द ही इन चीजों को राज्य स्तरीय ट्रेड फेयर में भी प्रदर्शित करने की योजना है, ताकि बाजार विकसित हो सके। वे कहते हैं, इन दिनों कचरे का दोबारा उपयोग किस तरह करें, हर तरफ इसी की चर्चा है। गाय के गोबर को आम लोग जहा-तहा फेंक देते हैं। बड़े खटाल वाले किसानों को बेच देते हैं। चूंकि गोबर पर्यावरण के लिए नुकसानदायक नहीं है, इसलिए इससे उत्पाद बनाने का आइडिया दिमाग में आया। लगा कि इससे गोबर के प्रति लोगों में जागरूकता भी आएगी। सो, मैंने उत्पाद बनाने की शुरुआत की। अखिलेश कहते हैं कि शहरों में खटालों से निकलने वाला गोबर कई बार सिरदर्द साबित होने लगता है। ऐसे में इस पहल से समस्या दूर हो सकती है।

उनकी मानें तो देशी गाय का गोबर सूखने पर काफी मजबूत हो जाता है। अखिलेश मिट्टी के गमले को फार्मा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। बताते हैं कि चिकनाहट लगाकर उसे उल्टा रख दिया जाता है। इस पर हर तरफ से मिट्टीयुक्त गोबर लगाकर गमला बनाया जाता है। खूबसूरत दिखने के लिए गमले पर आकृतिया बनाई जाती हैं। सूखने के बाद इसे अलग-अलग रंगों से रंग दिया जाता है। तैयार होने के बाद गमला बेहद आकर्षक दिखने लगता है। यही प्रक्रिया डलिया बनाने में भी अपनाई जाती है। इस डलिया में आप अनाज भी रख सकते हैं। किसी तरह के नुकसान का सवाल ही नहीं।

ऐसे बनाते हैं इलेक्ट्रिक लैंप
अखिलेश के अनुसार, इलेक्ट्रिक लैंप के लिए छोटे गमलों का इस्तेमाल किया जाता है। गमले में छेद कर दिया जाता है। इसमें बल्ब फंसाने के लिए होल्डर लगाया जाता है। इसमें एक पाइप डाल दिया जाता है। लैंप को सतह पर टिका कर रखे जाने वाले गोल हिस्से को बनाने में कुछ ज्यादा मेहनत लगती है। लैंपों को भी विभिन्न रंगों में बेहतरीन लुक दिया जाता है।

पौधे जल्दी लगते, लगता कम पानी
अखिलेश चौधरी बताते हैं कि गोबर से बने इन गमलों में पौधे जल्द पनपते हैं। क्योंकि गोबर से उन्हें पौष्टिक तत्व मिल जाते हैं। यही नहीं, इसमें कम पानी देने से भी पौधे हरे-भरे रहते हैं। वे बताते हैं कि गोबर के गमले में पानी देने के बाद उसे फौरन उठाना नहीं चाहिए। इससे गमला टेढ़ा होने का खतरा रहता है।

धूप बत्ती पर चल रहा प्रयोग
अखिलेश बताते हैं कि जल्द ही वे गोबर से हवन के लिए धूप बत्ती भी बनाएंगे। इस पर उनका प्रयोग चल रहा है। उन्होंने हवन में लगने वाली प्रमुख सामग्री चंदन व भोजपत्र आदि पीसकर पाउडर बनाया है। गोबर भी पीस और छान लिया है। गोबर को पतला पाइपनुमा आकार देकर इसके चारों तरफ हवन सामग्री से बने पाउडर का लेप देंगे। इस तरह धूप बत्ती तैयार करेंगे।

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