Lockdown Positive Effect : लॉकडाउन की वजह से लोगों के जीवन में आए ये खास बदलाव Jamshedpur New

लोगों के जीवन में आए बदलाव सुखद अहसास दे रहे हैं। लोगों में साफ-सफाई की प्रवृत्ति बढ़ी है। बच्‍चों को अभिभावकों का समय मिल रहा है और लोग नए-नए प्रयोगों से रूबरू हो रहे हैंं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Mon, 13 Apr 2020 03:03 PM (IST) Updated:Mon, 13 Apr 2020 10:24 PM (IST)
Lockdown Positive Effect : लॉकडाउन की वजह से लोगों के जीवन में आए ये खास बदलाव Jamshedpur New
Lockdown Positive Effect : लॉकडाउन की वजह से लोगों के जीवन में आए ये खास बदलाव Jamshedpur New

जमशेदपुर, जेएनएन। Lockdown Positive Effect कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन की वजह से लोगों के जीवन में आए बदलाव सुखद अहसास दे रहे हैं। लोगों में साफ-सफाई की प्रवृत्ति बढ़ी है। बच्‍चों को अभिभावकों का समय मिल रहा है और लोग नए-नए प्रयोगों से दो-चार हो रहे हैं।

लॉकडाउन में वर्क फ्रॉम होम का चलन शुरू होने का सकारात्‍मक असर यह है कि आफ‍िस भागने की जल्‍दी नहीं होती और घर से आफ‍िस आने-जाने में वक्‍त जाया नहीं होता। बचे समय का सदुपयोग लोग साफ-सफाई और घर के अन्‍य कामों में कर रहे हैं। कभी जो बाइक साफ-सफाई के लिए महीने भर राह देखती थी, आज इस कारण भी धुले जा रहे कि लोगों के पास काफी समय होता है। कोई कार धोने में अपना समय दे रहा तो कोई घर की साफ-सफाई में। 

उपायुक्‍त ने आवासीय कार्यालय में खुद लगाया पोछा

लॉकडाउन के दौरान पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्‍त अरवा राजकमल ने रविवार को अपने आवासीय कार्यालय में साफ-सफाई की और पोछा लगाया। गुवा स्थित सेल के खदान के अधिकारी घर की साफ-सफाई करते दिखे। यह लॉकडाउन का सकारात्‍मक असर ही है। 

इनकी मुस्‍कुराने लगी बगिया

जमशेदपुर शहर के रामदेव बगान में रहनेवाले रमेश कुमार सिंह कहते हैं- हमारी फूलों की बगिया पहले से ज्‍यादा मुस्‍कुरा रही है। पहले बागवानी के लिए वक्‍त निकालना पड़ता था। अभी तो समय बिताने के लिए बागवानी में लगा रहता हूं। उनकी धर्मपत्‍नी वीणा देवी कहती हैं- लोगों में साफ-सफाई के प्रति सकारात्‍मकता पहले से ज्‍यादा आई है। पहले एलपीजी सिलेंडा आता था तो लोग वैसे ही उसे किचेन में ले जाते थे। अब संक्रमण के खतरे की आशंका से ही सही धोने के बाद किचेन में ले जा रहे।      

दादी-पोतों का बढ़ा प्यार, कहानी सुन बीत रहा दिन

लॉकडाउन ने भागमभाग वाली जिंदगी पर ब्रेक लगा दिया है और सभी अपने-अपने घरों में  हैं। जो संयुक्त परिवार में हैं उनके दिन मजे से कट रहे हैं। ऐसे परिवार लंबे समय बाद एक छत के नीचे एक साथ मिल रहे हैं। ऐसे में भाइयों का प्यार तो बढ़ ही रहा है, दाद-दादी और पोतों का प्यार भी बढ़ने लगा है। जो पोते दादी के कमरे में कभी-कभार ही जाया करते थे वे अब दादी के कमरे से निकल ही नहीं रहे हैं। दादी से रोज नई नई कहानी जो सुनने को मिल रही है। आलम यह है कि अब पोते-पोती दादी के कमरे में ही खाना खाने लगे हैं। जुगसलाई निवासी 75 वर्षीय जोगिंदर कौर भाटिया के दिन और रात अपने पोतों को कहानी सुनाते सुनाते बीत रहे हैं। पोतों को दादी सिख इतिहास भी बता रही है।

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