अब तकनीक के सहारे जड़ के खत्म करेंगे टीबी की बीमारी

चिप की खासियत यह होगी कि पैकेट खुलने पर चिप के जरिये रोगी का पूरा ब्योरा टीबी विभाग के रिकॉर्ड रूम में दर्ज हो जाएगा।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Fri, 02 Nov 2018 04:13 PM (IST) Updated:Fri, 02 Nov 2018 04:18 PM (IST)
अब तकनीक के सहारे जड़ के खत्म करेंगे टीबी की बीमारी
अब तकनीक के सहारे जड़ के खत्म करेंगे टीबी की बीमारी

जमशेदपुर, अमित तिवारी। टीबी की बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने अब तकनीक की मदद लेने का निर्णय लिया है। अब मरीजों को दी जाने वाली दवा के पैकेट में चिप लगी होगी। इससे मरीजों को कोर्स पूरा करने में आसानी होगी। चिप की खासियत यह होगी कि पैकेट खुलने पर चिप के जरिये रोगी का पूरा ब्योरा जिला यक्ष्मा विभाग (टीबी विभाग) के रिकॉर्ड रूम में दर्ज हो जाएगा। इसमें रोगी ने कब दवा लेने की शुरुआत की, कब तक दवा चलेगी, बीमारी की स्टेज, रोगियों को प्रतिमाह मिलने वाले भत्ता सहित अन्य जानकारी शामिल होगी। इससे विभाग सभी मरीजों पर आसानी से नजर रख सकेगा।

झारखंड के जमशेदपुर जिला यक्ष्मा विभाग के अनुसार मरीजों द्वारा बीच में ही दवा छोड़ देना एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इससे निपटने के लिए पहले टीबी रोगियों को डॉट्स केंद्र पर बुलाकर दवा खिलायी जाती थी। इसके बाद स्वैच्छिक कार्यकर्ताओं की मदद से घर-घर जाकर और मोबाइल फोन पर मिस कॉल द्वारा दवा खाने की जानकारी लेने की कोशिश की गई, लेकिन यह सभी योजनाएं पूर्ण रूप से सफल नहीं हो सकीं। इसके चलते अब चिप की मदद ली जा रही है। दवा का पैकेट खुलते ही विभाग को सूचना मिल जाएगी।

इससे फायदा यह होगा कि अगर कोई मरीज किसी कारणवश दवा नहीं खा पाया तो उससे तत्काल संपर्क किया जा सकेगा और दवा खिलायी जाएगी, क्योंकि दवा छोड़ने के बाद बीमारी और भी गंभीर हो जाती है। 80 फीसद मरीजों का नाम, पता, फोन नंबर सबकुछ विभाग के पास दर्ज हो चुका है, बाकी मरीजों का आंकड़ा भी लिया जा रहा है। चिप वाली व्यवस्था जल्द ही लागू होगी। 2025 तक सरकार ने देश को टीबी रोग से मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

टीबी से छह फीसद गर्भवती की होती है मौत: गर्भवती महिलाओं में टीबी की शिकायत तेजी से बढ़ रही है। देश में छह फीसद गर्भवती महिलाओं की मौत टीबी के चलते हो जाती है। वहीं, मधुमेह और एचआइवी मरीजों में भी टीबी रोग बढ़ रहा है। इन मरीजों की संख्या बढ़ने से टीबी रोगियों की संख्या भी बढ़ेगी। पूर्वी सिंहभूम जिले में टीबी के कुल 3350 मरीज है।

पचास फीसद मरीजों की नहीं हो रही पहचान: अब भी टीबी मरीजों की जानकारी कॉरपोरेट, निजी नर्सिग होम और डॉक्टरों द्वारा नहीं दी जा रही है। इसकी वजह से मरीजों की कुल संख्या सामने नहीं आ पाती। सिर्फ उन्हीं मरीजों का पता चल पाता है जो सरकारी अस्पताल में आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक करीब पचास फीसद मरीजों की पहचान नहीं हो पाती है।

टीबी रोग को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार नई-नई योजनाओं और तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है। रोगियों को मिलने वाली दवा समय से मिल रही है या नहीं, इसकी जानकारी के लिए नई तकनीक अपनाई जा रही है। हर दवा के पैकेट पर चिप लगाने के साथ टोल फ्री नंबर और मरीजों को आइडी नंबर भी मिलेगा।

-डॉ. प्रभाकर भगत, जिला यक्ष्मा पदाधिकारी, जमशेदपुर।

chat bot
आपका साथी