आर्थिक संकट में टाटा मोटर्स के कान्वाई चालक

वैश्विक मंदी का असर सवसे अधिक ऑटोमोबाइल सेक्टर में देखने को मिल रहा है। टाटा मोटर्स व उसकी सहायक कंपनी टाटा कमिंस एसएस डब्ल्यू व आदित्यपुर की कंपनियों के कर्मचारी आर्थिक रूप से परेशान हैं। टाटा मोटर्स के वाहनों को उनके गंतब्य तक पहुंचाने वाले हजारो कान्वाई चालक आर्थिक संकट में आ गए हैं। कंपनी में लगातार बंदी की वजह से कान्वाई ड्राइवर आज सड़क पर हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाले ड्राइवरों पर अब रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया है। बच्चों के स्कूलों का मासिक शुल्क जमा नहीं हो रहा है। पैसे के अभाव में बच्चों का ट्यूशन भी बंद है। घर के लोगों की भी देखरेख सही ढंग से नहीं हो पा रही है। टाटा मोटर्स में कम वाहन बनने का सीधा असर कान्वाई चालकों पर पड़ता है। कंपनी में सूचीवद्ध 975 चालक हैं। इसके अलावे विभिन्न ट्रांसपोर्टरों के अंतर्गत गाड़ी चलाने वाले दो हजार से ज्यादा चालक हैं जो मंदी की वजह से काफी परेशान हैं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Aug 2019 07:58 AM (IST) Updated:Mon, 26 Aug 2019 07:58 AM (IST)
आर्थिक संकट में टाटा मोटर्स के कान्वाई चालक
आर्थिक संकट में टाटा मोटर्स के कान्वाई चालक

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : वैश्विक मंदी का असर सवसे अधिक ऑटोमोबाइल सेक्टर में देखने को मिल रहा है। टाटा मोटर्स व उसकी सहायक कंपनी टाटा कमिंस, एसएस डब्ल्यू व आदित्यपुर की कंपनियों के कर्मचारी आर्थिक रूप से परेशान हैं। टाटा मोटर्स के वाहनों को उनके गंतब्य तक पहुंचाने वाले हजारो कान्वाई चालक आर्थिक संकट में आ गए हैं। कंपनी में लगातार बंदी की वजह से कान्वाई ड्राइवर आज सड़क पर हैं। पारिवारिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाले ड्राइवरों पर अब रोजी-रोटी का सवाल खड़ा हो गया है। बच्चों के स्कूलों का मासिक शुल्क जमा नहीं हो रहा है। पैसे के अभाव में बच्चों का ट्यूशन भी बंद है। घर के लोगों की भी देखरेख सही ढंग से नहीं हो पा रही है।

टाटा मोटर्स में कम वाहन बनने का सीधा असर कान्वाई चालकों पर पड़ता है। कंपनी में सूचीवद्ध 975 चालक हैं। इसके अलावे विभिन्न ट्रांसपोर्टरों के अंतर्गत गाड़ी चलाने वाले दो हजार से ज्यादा चालक हैं, जो मंदी की वजह से काफी परेशान हैं।

कान्वाई चालक एके तिवारी ने कहा कि कंपनी बंदी की वजह से सबसे ज्यादा प्रभाव कान्वाई ड्राइवरों पर पड़ता है। ये जितनी गाड़िया ले जाएंगें, उसी के हिसाब से पेमेंट भी मिलता है। 17-18 दिन में इनकी एक गाड़ी की ही बुकिंग हुई है। कान्वाई चालक अनिरूद्ध ने कहा कि मंदी की वजह से ड्राइवर परेशान हैं। महीने में एक गाड़ी खड़गपुर ले जाने को मिली, उसमें हमें 300 रुपये मिलेंगे। मो. सलीम बताया कि एक माह में एक गाड़ी मिली है, जिसके एवज में उन्हें 300 ही मिलेंगे।

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पहले 9000 वाहन होते थे बुक, अब 3000 ही

टाटा मोटर्स में पहले एक माह में 9000 तक गाड़ियों की बुकिंग होती थी और अब 3000 हजार गाड़ियों की बुकिंग हो रही है। टीटीसीए टेल्को ट्रांसपोर्ट कान्वाई एसोसिएशन के तहत इन गाड़ियों को कान्वाई चालक उसके गंतब्य तक पहुंचाते थे। प्रतिदिन 300 से 400 तक गाड़ियां बुक होती थी जो अब घटकर 100 तक पहुंच गया है। बीते जुलाई में कुल 3000 गाड़िया डिस्पैच हुई थी। चालू माह में यहां आंकड़ा घटकर 1800 पहुंच जाएगा।

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टाटा मोटर्स में ब्लॉक-क्लोजर का सीधा असर कान्वाई चालकों पर पड़ा है। कम गाड़ी बनने की वजह से सभी चालकों को चेसिस पहुंचाने को नहीं मिल रही है। ऐसे में चालकों की स्थिति दयनीय हो गई है। जब तक टाटा मोटर्स की स्थिति नहीं सुधरेगी, चालकों ही हालत ऐसे ही रहेगी।

-जयनारायण सिंह, सहायक सचिव, ऑल इंडिया कान्वाई वर्कर्स यूनियन।

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