नम आखों से आखिरी जुमा को कहा अलविदा
आखिरे जुमे की नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को मस्जिदों में
जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : आखिरे जुमे की नमाज अदा करने के लिए शुक्रवार को मस्जिदों में रोजेदारों का मजमा उमड़ पड़ा। साकची जामा मस्जिद में 10 हजार के आसपास नमाजियों ने जुमा की नमाज अदा की। रोजेदारों ने नम आखों से रमजान को अलविदा कहा। सब को रमजान के विदा होने का अफसोस था। दुआ हुई कि परवरदिगार आलम अगले साल यह पाक महीना फिर सबको अता फरमाए। शेर पढ़ा गया अलविदा माहे रमजान अलविदा। खुतबे में उलेमा ने बताया कि ईद एकता का त्योहार है। इसलिए कोई ऐसा कदम मत उठाएं जिससे अमन में खलल पड़े।
जुमा की आखिरी नमाज साकची जामा मस्जिद, मस्जिद-ए-रहमान साकची , आमबगान मस्जिद, धतकीडीह मस्जिद, मक्का मस्जिद, शास्त्रीनगर की फारुखी मस्जिद, शास्त्रीनगर की अहले हदीस मस्जिद, मानगो में बारी मस्जिद, मदीना मस्जिद, जाकिर नगर की शिया जामा मस्जिद, इमाम हुसैनी मस्जिद, ओल्ड पुरुलिया रोड की अहले हदीस मस्जिद, एकरा कालोनी मस्जिद, कपाली की मस्जिद-ए-हाजरा, बागानशाही मस्जिद, शबीना मस्जिद, मस्जिद-ए-उम्मे जमील कपाली आदि में पढ़ी गई। जुमा के खुतबे में उलेमा ने ईद का त्योहार अमन और खुशी के साथ मनाने की अपील रोजेदारों से की। धतकीडीह की मक्का मस्जिद में पेश इमाम मौलाना मंजर मोहसिन ने अलविदा जुमा की नमाज अदा कराई। उन्होंने रोजेदारों को बताया कि ईद के दिन फितरे की रकम नमाज से पहले निकलें। इस रकम को जितनी जल्दी हो सके गरीब तक पहुंचा दें ताकि वो परिवार भी ईद का इंतजाम कर सके। फितरे की रकम निकालना बेहद जरूरी है। शिया जामा मस्जिद के पेश इमाम सै. मोहम्मद हसन ने बताया कि रमजान के रोजे रखने के बाद इंसान ऐसा हो गया है जैसे की वह अभी पैदा हुआ है। उसके सारे गुनाह माफ हो गए हैं। इसलिए अब इंसान को चाहिए कि वह गुनाह नहीं करे और जिंदगी में फूंक-फूंक कर कदम रखे। किसी की बुराई नहीं करे और नेक अमल से ऐसा किरदार पेश करे कि लोगों के मन में इस्लाम की बढि़या छवि बने जैसा की नबी करीम हजरत मोहम्मद मुस्तफा स. ने हिदायत दी है। धतकीडीह मस्जिद में पेश इमाम मौलाना अमीरुल हसन ने खुतबे में कहा कि ईद पर खुशिया बाटें। ये ऐसा महीना हमसे विदा हो रहा है जिसमें अल्लाह पाक की नैमत बरस रही है। साकची जामा मस्जिद में मौलाना अतहर गजाली ने नमाज अदा कराई।