नेताजी के बनाए कानून आज पूरे देश में हैं लागू, आप भी जानिए

आपको शायद पता नहीं हो कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस टाटा वर्कर्स यूनियन (तब लेबर एसोसिएशन) के 1928 से 1936 तक ना केवल अध्यक्ष रहे बल्कि उन्होंने मजदूरों के हित में कई ऐसे समझौते कराए जो आज भी कंपनी में लागू हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 23 Jan 2022 06:19 PM (IST) Updated:Sun, 23 Jan 2022 06:19 PM (IST)
नेताजी के बनाए कानून आज पूरे देश में हैं लागू, आप भी जानिए
समझौतों के आधार पर बाद में भारत सरकार ने श्रम कानून बनाया।

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने ना केवल देश की आजादी में अतुलनीय योगदान दिया, बल्कि देश के मजदूरों का भी नेतृत्व किया। नेताजी टाटा वर्कर्स यूनियन (तब लेबर एसोसिएशन) के 1928 से 1936 तक ना केवल अध्यक्ष रहे, बल्कि उन्होंने मजदूरों के हित में कई ऐसे समझौते कराए जो आज भी कंपनी में लागू हैं। इन्हीं समझौतों के आधार पर बाद में भारत सरकार ने श्रम कानून बनाया।

उन्हाेंने टाटा के मजदूरों का नेतृत्व विषम परिस्थिति में संभाला था। इनसे पहले दीनबंधु सीएफ एंड्रयूज एसोसिएशन के अध्यक्ष थे। उनके मुंबई चले जाने से मजदूर नेतृत्व विहीन हो गए थे। 1928 में मजदूरों की हड़ताल चल रही थी। पं. मोतीलाल नेहरू और एटक के महासचिव एनएम जोशी ने समझौते का प्रयास किया, लेकिन परिणाम नहीं निकला। 11 अगस्त को टाटा प्रबंधन से मजदूरों को चेतावनी मिली कि 20 अगस्त तक हड़ताली मजदूर काम पर नहीं लौटे तो हड़ताली मजदूरों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी। नई भर्ती ली जाएगी। इस सूचना से मजदूरों में खलबली मच गई। आनन-फानन यहां मजदूरों का नेतृत्व कर रहे केजी शेट्टी, मणि घोष, शर्मा, सुंदरम आदि कोलकाता गए और नेताजी से मिले। स्थिति की गंभीरता देखते हुए नेताजी 18 अगस्त को जमशेदपुर आए।

बनाया था लेबर एसोसिएशन

20 अगस्त को उन्होंने लेबर एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाया गया, ताकि टाटा प्रबंधन से वे आधिकारिक वार्ता-समझौता कर सकें। इसकी सूचना टाटा प्रबंधन को दी गई तो वहां हलचल होने लगी। प्रबंधन ने नेताजी के साथ वार्ता आरंभ कर दी। प्रबंधन का रूख मजदूरों के प्रति नरम पड़ गया। नेताजी हर दिन शाम को सभा करते थे, जिसमें प्रबंधन से हुई वार्ता के प्रमुख बिंदु और अपने प्रस्ताव पर चर्चा करते थे। सभा में करीब 50 हजार मजदूर शामिल होते थे। अंत में 12 सितंबर 1928 को टाटा प्रबंधन और लेबर एसोसिएशन के बीच समझौता हुआ, जिसमें नेताजी द्वारा रखी गई लगभग सभी प्रमुख मांगों को मान लिया गया। 13 सितंबर काे मजदूर काम पर लौटे। इस समझौते की देश भर में सराहना हुई।

समझौते के प्रमुख बिंदु

 विभागीय बोनस : तय हुआ कि विभागीय बोनस के विवरण के संबंध में लेबर एसोसिएशन के किसी भी निवेदन पर महाप्रबंधक गहराई से विचार करेंगे। इसी आधार पर आज भी प्रबंधन-यूनियन में बोनस समझौता होता है।

सेवा की सुरक्षा : कर्मचारियों में सेवा की सुरक्षा भावना जाग्रत करने के उद्देश्य से प्रबंधन-यूनियन की संयुक्त कार्यप्रणाली बनेगी। लेबर एसोसिएशन के सुझाव का प्रबंधन स्वागत करेगा।

एक्टिंग एलाउएंस : प्रबंधन ने कहा कि यदि कोई कर्मचारी किसी दूसरे स्थान पर काम करता है, तो उसे स्थानापन्न भत्ता या एक्टिंग एलाउएंस दिया जाएगा।

मासिक वेतन से दैनिक मजदूरी में स्थानांतरण : ऐसी स्थिति में भी मजदूरों का विशेषाधिकार समाप्त नहीं होगा। मजदूरी की दर का भी ख्याल रखा जाएगा।

पदनाम में बदलाव : कर्मचारियों काे सम्मानजनक पदनाम दिया जाएगा।

सुरक्षा उपकरण : कार्य के दौरान जहां भी जरूरत होगी, बूट, दस्ताने, एप्रोन, चश्मा आदि सुरक्षा उपकरण दिए जाएंगे।

सुरक्षा समिति : कंपनी में कार्यस्थल पर कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सुरक्षा समिति बनेगी, जिसमें लेबर एसोसिएशन का भी एक प्रतिनिधि होगा।

विशेषाधिकार : कर्मचारियों का विशेषाधिकार वापस लिए जाने के मामले में प्रबंधन गंभीरता से विचार करेगा।

शिशु कक्ष व विश्राम कक्ष : महिला कर्मचारी के नवजात शिशुओं और सभी कर्मचारियों के लिए कार्यस्थल के पास विश्राम कक्ष बनाया जाएगा।

मातृत्व लाभ : कंपनी प्रबंधन एक मातृत्व लाभ योजना तैयार करेगा, जिसे कंपनी के निदेशकों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।

रिक्त स्थानों के लिए विज्ञापन : कंपनी में ऊंचे पदों पर जब भी बाहर के लोगों की नियुक्ति करनी होगी, तो भारतीय अखबारों में इसके विज्ञापन प्रकाशित किए जाएंगे।

विभागीय शिकायतें : लेबर एसोसिएशन विभाग से संबंधित शिकायतों को प्रबंधन के समक्ष रखेगा, तो उस पर सहानुभूतिपूर्वक शीघ्र विचार किया जाएगा।

chat bot
आपका साथी