कुष्ठ रोगियो के बीच चप्पल का वितरण

संवाद सूत्र, मुसाबनी : कहते हैं, जाके पैर न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई। पुरुलिया के

By Edited By: Publish:Sun, 28 Aug 2016 02:50 AM (IST) Updated:Sun, 28 Aug 2016 02:50 AM (IST)
कुष्ठ रोगियो के बीच चप्पल का वितरण

संवाद सूत्र, मुसाबनी : कहते हैं, जाके पैर न फटे बिवाई वो क्या जाने पीर पराई। पुरुलिया के ईगल एज सोसाइटी ने कुष्ठ रोगियों की इस पीड़ा को समझा है। कुष्ठ रोगियों में खासतौर से वे जिनके पैर में संक्रमण हो जाता है और जिन्हें जूते पहनने में तकलीफ होती है, उनके लिए यह संस्था ने एक खास किस्म का जूता तैयार कर मुसाबनी लेप्रोसी कॉलोनी में शनिवार को आठ कुष्ठ संक्रमित मरीजों को प्रदान किया। यहां के सुमी हेम्ब्रम, लक्ष्मी बेहरा, विधान टुडू, देवला भकत, कुणी महाली, बैद्यनाथ मुर्मू, काण्डरी मुर्मू, छाया छवि को संस्था के उपाध्यक्ष सलिल सिन्हा, मुकेश कुमार दुर्गे आदि द्वारा प्रदान किया गया। 25 मार्च 2016 को लेप्रोसी कॉलोनी प्राथमिक विद्यालय में मेडिकल जांच शिविर का आयोजन कर कुष्ठ मरीजो के चप्पल और जूते का माप लिया था। इसे बनवा कर शनिवार को सभी 8 मरीजों को सौंपा गया। इसके अलावे दो मरीज दुबई मार्डी, और सरला पातर के पांव का माप लिया गया ताकि इन्हें भी चप्पल बनाकर दिया जा सके। इस अवसर पर कई ग्रामीण मौजूद थे।

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जूते की खासियत: जूते के अंदर का हिस्सा नॉन एलर्जिक फोम फोम से तैयार किया जाएगा। यह फोम पैरों में संक्रमण के खतरे को रोकेगा। जूते के अंदर इतनी जगह होगी कि पैरों में बैंडेज बांधने के बाद भी इसे आसानी से पहना जा सके। जूते की बनावट ऐसी होगी कि यह देखने में भी आकर्षक लगे। अभी तक जो जूता उपलब्ध है वह काफी मोटा होता है और देखने में भद्दा लगता है।

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