बहुत जल गए कैंडल, खूब बहा लिए आंसू, अब होगा प्रहार

हम आए दिन मासूम लड़कियों के साथ छेड़खानी दुष्कर्म और हत्या तक की घटनाएं सुनते-देखते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 15 Dec 2020 05:30 AM (IST) Updated:Tue, 15 Dec 2020 05:30 AM (IST)
बहुत जल गए कैंडल, खूब बहा लिए आंसू, अब होगा प्रहार
बहुत जल गए कैंडल, खूब बहा लिए आंसू, अब होगा प्रहार

वीरेंद्र ओझा, जमशेदपुर : हम आए दिन मासूम लड़कियों के साथ छेड़खानी, दुष्कर्म और हत्या तक की घटनाएं सुनते-देखते हैं। महानगरों में जब ऐसी घटना होती है तो देशभर में कैंडल जलाए जाते हैं, शोक सभा होती है, लेकिन छोटे शहरों में होने वाली ऐसी घटनाओं की चर्चा तक नहीं होती। यही सोचकर परसुडीह की मकदमपुर निवासी रितिका श्रीवास्तव बच्चियों-किशोरियों को मनचलों पर प्रहार करना सिखा रही हैं।

रितिका बताती हैं कि यह सवाल मेरे मन में कई दिनों से कौंध रहा था, लेकिन 26 अक्टूबर को हरियाणा के वल्लभगढ़ में निकिता तोमर की जब मनचलों ने दिनदहाड़े राह चलते लोगों के सामने हत्या कर दी तो दिल रो उठा। मन में ख्याल आया कि यदि वह बच्ची जूडो-कराटे जानती तो मुकाबला कर पाती, शायद इतनी आसानी से हार नहीं मानती। उसी दिन उन्होंने आसपास की कुछ लड़कियों से बात की। आसपास रहने वाले कराटे, ताइक्वांडो व सेल्फ डिफेंस के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों से सहयोग मांगा और एक नवंबर से मकदमपुर में ही रेलवे लाइन से सटे एक क्लब परिसर में निश्शुल्क प्रशिक्षण शुरू कर दिया। पांच बच्चियों से शुरू हुए इस शिविर में देखते ही देखते करीब 150 बच्चियां शामिल हो गई हैं, जिनमें पांच-छह वर्ष की बच्चियां भी हैं। यह शिविर प्रत्येक शनिवार व रविवार को दोपहर तीन से पांच बजे तक चलता है। अधिकांश बच्चियों के माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं। इन्हें इस तरह से प्रशिक्षित किया जा रहा है कि इनमें से किसी भी लड़की को यदि चार-पांच लड़कों ने भी घेर लिया तो ये सभी को धूल चटा सकती हैं। इन्हें मिर्ची पाउडर रखने के लिए भी कहा जाता है, ताकि एकबारगी ये मुसीबत को थोड़ी देर के लिए टल सकें। इन बच्चियों को नीरज प्रधान (कराटे), निशांत सरकार (सेल्फ डिफेंस) व अनिता कुमारी (ताइक्वांडो) का प्रशिक्षण दे रही हैं।

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आत्मविश्वास का भी प्रशिक्षण

विश्व हिदू परिषद की सह-प्रसार प्रमुख (जमशेदपुर महानगर) रितिका श्रीवास्तव बताती हैं कि संभ्रांत घरों की लड़कियां तेज दिमाग की होती हैं। उनके पास मोबाइल फोन भी होता है, उन्हें पुलिस का नंबर भी पता होता है। गरीब बच्चियों के पास यह सब नहीं होता। इनका दिमाग भी ज्यादा नहीं चलता, इसलिए इन्हें जूडो-कराटे, ताइक्वांडो के अलावा आत्मविश्वास लाना भी सिखाया जा रहा है। अमूमन ऐसी घटनाओं के वक्त दिमाग शून्य हो जाता है, इसलिए इन्हें मानसिक व शारीरिक दोनों तरह से मजबूत बनाना है। भविष्य में इस तरह का प्रशिक्षण शिविर शहर के अन्य स्थानों पर शुरू करने की योजना है।

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