पानी के लिए पैसा बहाने को मजबूर व्यापारी
संवाद सूत्र, जमशेदपुर : परसुडीह मंडी यानी कृषि उत्पादन बाजार समिति के व्यापारी पेयजल की समस्या से जू
संवाद सूत्र, जमशेदपुर : परसुडीह मंडी यानी कृषि उत्पादन बाजार समिति के व्यापारी पेयजल की समस्या से जूझने को मजबूर हैं। मंडी में करीब तीन सौ दुकानें है। यहां रोजाना करीब 150 ट्रक से खाद्यान्न व अन्य सामान पहुंचता है। कहने को तो मंडी में करीब एक दर्जन हैंडपंप हैं, लेकिन सारे बेकार। सभी के सभी हैंडपंप खराब बड़े हैं। व्यापारी पानी का जार खरीदकर अपनी प्यास बुझाने को मजबूर हैं। रोज इसके लिए ठीक-ठाक खर्च करना पड़ता है। इससे व्यापारियों का काम तो चल जा रहा, लेकिन मंडी में ट्रक लेकर आने वाले चालक, खलासी से लेकर माल लोड-अनलोड करने वाले मजदूरों का हाल बेहाल है। एक घूंट पानी के लिए इन मजदूरों को मशक्कत करनी पड़ रही है।
व्यापारियों ने मंडी में पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए बाजार समिति के सचिव से कई बार शिकायत की, लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। पूरे मंडी परिसर में मात्र एक बोरिंग है, लेकिन उसका इस्तेमाल केवल मंदिर व बाजार समिति के प्रशासनिक भवन में होता है। व्यापारियों का कहना है कि पानी का लेवल नीचे चले जाने के कारण पुराने हैंडपंप बेकार हो चुके है। अगर दो-चार नए हैंडपंप लगा दिया जाएं तो पेयजल की समस्या कुछ हद तक दूर हो सकती है।
मालूम हो कि तीन माह पूर्व मंडी में खडे़ एक ट्रक में अचानक आग लग गयी थी। ट्रक का चालक आग बुझाने के लिए एक बाल्टी पानी के लिए भटकता रहा। करीब आधे घंटे बाद जब उसे पानी नसीब हुआ तब तक ट्रक आग के आगोश में समा चुका था। उस समय बाजार समिति के सचिव ने मंडी में पानी की व्यवस्था सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया था। आज तक उस आश्वासन पर अमल नही किया जा सका। व्यापारियों का कहना है कि वे वर्षो से पानी खरीद कर पी रहे हैं। बाजार समिति दुकानों का भाड़ा तो समय पर लेता है मगर सुविधा के नाम पर उन्हें ठेंगा दिखाया जा रहा है। बाजार समिति की ओर से पेयजल की व्यवस्था नही किये जाने से व्यापारियों में भारी आक्रोश है।
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मंडी में करीब एक दर्जन हैंडपंप हैं, लेकिन सारे के सारे बंद पडे़ हैं। ऐसे में हमें रोजाना पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है।
- करण ओझा, व्यापारी
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गोदाम काफी जर्जर अवस्था में है। हम अपने खर्च पर दुकान की मरम्मत करवा रहे हैं। सीमेंट व बालू का मसाला बनाने तक के लिए भी हमें पानी खरीद कर इस्तेमाल करनी पड़ रही है।
- अनिल अग्रवाल, व्यापारी
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मंडी में पेयजल का घोर संकट है। प्यास बुझाने के लिए प्रति माह व्यापारियों को एक हजार रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। इस ओर किसी का ध्यान नहीं।
- मनोज अग्रवाल, व्यापारी
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मंदिर व बाजार समिति प्रशासनिक भवन को छोड़ मंडी में कहीं पानी नही है। सबसे ज्यादा परेशानी बाहर से माल लेकर आने वाले ट्रक चालक व खलासी को होती है।
- चंद्र प्रकाश शुक्ला, व्यापारी