अब 'अमीरों की बीमारी' से मर रहे गरीब, खान-पान और रहन-सहन है वजह

नन कम्युनिकेबल डिजीज में हार्ट अटैक हाइपरटेंशन ब्लड प्रेशर मधुमेह सहित अन्य लाइफ स्टाइल व खान-पान की वजह से होने वाली बीमारियां शामिल हैं। ये बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sat, 23 Feb 2019 01:38 PM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 01:38 PM (IST)
अब 'अमीरों की बीमारी' से मर रहे गरीब, खान-पान और रहन-सहन है वजह
अब 'अमीरों की बीमारी' से मर रहे गरीब, खान-पान और रहन-सहन है वजह

 जमशेदपुर, जागरण संवाददाता। अब लोग उन बीमारियों की चपेट में अधिक आ रहें है या मौतें हो रही हैं, जिन्हें कभी अमीरों की बीमारी कहा जाता था। स्वास्थ्य विभाग के लिए यह चिंता का विषय है। इससे निपटने के लिए खासमहल सिविल सर्जन कार्यालय में 14 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया गया। इसमें नन कम्युनिकेबल डिजीज (गैर संचारी रोग) के बारे में विस्तार से चर्चा व उसके रोकथाम को हर संभव कदम उठाए जाएंगे। 

 नन कम्युनिकेबल डिजीज में हार्ट अटैक, हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, मधुमेह सहित अन्य लाइफ स्टाइल व खान-पान की वजह से होने वाली बीमारियां शामिल हैं। ये बीमारियां पूर्वी सिंहभूम जिले में तेजी से बढ़ी हैं। चिंता का विषय यह है कि पहले ये बीमारियां सम्पन्न व शहरी लोगों में अधिक होती थी, लेकिन अब ये ग्रामीण क्षेत्रों में तेजी से बढ़ा रही हैं। एक सर्वे के अनुसार दुनियाभर में 60 फीसदी मौतें मलेरिया या टीबी जैसी संक्रामक बीमारियों से नहीं, बल्कि ऐसी बीमारियों से होती हैं जो ज्यादातर खानपान और रहन-सहन के कारण होती हैैं। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला सर्विलांस पदाधिकारी डॉ. साहिर पॉल, जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ. एके लाल, जिला कुष्ठ निवारण रोग पदाधिकारी डॉ. बीएन उषा व डॉ. विमलेश कुमार ने संयुक्त रूप से किया। वहीं डॉ. जया अग्रवाल, डॉ. पूनम मेहता व डॉ. रीना झा ने इन सभी बीमारियों पर विस्तार से चर्चा की और बचने के सुझाव दिया।

ग्रामीणों को किया जाएगा जागरूक

जिला कुष्ठ निवारण रोग पदाधिकारी डॉ. बीएन उषा ने बताया कि बदलती जीवनशैली ने लोगों को तेजी से प्रभावित किया है। इससे बचने के लिए नियमित शारीरिक व्यायाम, समय पर खानपान, बाहरी खाद्य पदार्थ से बचाव व भरपूर नींद आवश्यक है। इसे लेकर ग्रामीणों को जागरूक होने की जरूरत है। वहीं इसे लेकर हमारी टीम गांवों में जाएगी लोगों को इस बीमारी के बारे में बताएगी, ताकि लक्षण समझ में आते ही वह स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे और जांच कराएं। इससे बीमारी की पहचान के साथ-साथ उसका इलाज भी सही समय पर हो सकेगा।

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