प्रिंसिपल न सिविल सर्जन, कैसे चलेगा अस्पताल, गंभीर मरीजों की भी अटकी सांस

Jamshedpur Health News. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के क्षेत्र की स्थिति ठीक-ठाक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग में अव्यवस्था का आलम दिख रहा है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. पीके बारला रिटायर्ड हो चुके हैं। उनका पद रिक्त होने से कॉलेज का सारा काम-काज ठप पड़ गया है।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 05:10 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 09:21 PM (IST)
प्रिंसिपल न सिविल सर्जन, कैसे चलेगा अस्पताल, गंभीर मरीजों की भी अटकी सांस
कोरोना काल जैसी परिस्थिति में जिला स्वास्थ्य विभाग प्रभार पर चल रहा है।

जमशेदपुर, जासं। स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के क्षेत्र की स्थिति ठीक-ठाक नहीं है। स्वास्थ्य विभाग में अव्यवस्था का आलम दिख रहा है। महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. पीके बारला रिटायर्ड हो चुके हैं। उनका पद रिक्त होने से कॉलेज का सारा काम-काज ठप पड़ गया है। वहीं, पूर्वी सिंहभूम जिले के प्रभारी सिविल सर्जन डॉ. आरएन झा की तबीयत ठीक नहीं होने की वजह से वह लंबे समय से बीमार चल रहे हैं।

फिलहाल डॉ. एके लाल को प्रभार सौंपा गया है लेकिन, उनके पास कोई वित्तीय अधिकार नहीं है। जिसके कारण लगभग 600 कर्मचारियों का वेतन व विकास कार्य पूरी तरह से ठप पड़ गया है। जबकि कई जरूरी बिल फंसा हुआ है। अगर नए वित्तीय वर्ष (31 मार्च) से पूर्व यह बिल पास नहीं हुआ तो सारा फंड वापस लौट जाएगा और डॉक्टर, कर्मचारी, रिटायर्ड कर्मचारी, आउसोर्स कंपनी सहित अन्य की परेशानी बढ़ जाएगी। इतना ही नहीं, असाध्य बीमारी योजना के तहत गंभीर मरीजों को मिलने वाली राशि भी पास नहीं हो पा रही है। स्थिति काफी जटिल है। जबकि इन मरीजों को तत्काल इलाज की जरूरत होती है। फंड नहीं मिलने की वजह से ये बेवश मरीज विभाग का चक्कर लगा रहें हैं। कहीं एेसा नहीं कि चक्कर लगाते-लगाते मरीजों की दम टूटने लगे।

प्रभार पर चल रहा स्वास्थ्य विभाग

कोरोना काल जैसी परिस्थिति में जिला स्वास्थ्य विभाग प्रभार पर चल रहा है। हौसला बढ़ाइए इन पदाधिकारियों का जिन्होंने थोड़ी भी अपनी फ्रिक न करते हुए महामारी से लड़ने को मैदान में उतर आए और अब मंजिल भी पास दिख रही है। जिले में सिविल सर्जन से लेकर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी (एसीएमओ), जिला यक्ष्मा पदाधिकारी, जिला कुष्ठ रोग निवारण पदाधिकारी, जिला तंबाकू नियंत्रण पदाधिकारी, जिला आरसीएच पदाधिकारी, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक सहित अन्य महत्वपूर्ण पद रिक्त पड़ा हुआ है। किसी तरह ये पद प्रभार में देकर विभाग को संचालित किया जा रहा है।

प्रभारी के जिमे इतनी बड़ी-बड़ी जिम्मेवारी

  डॉ. एके लाल (प्रभारी सिविल सर्जन) : सिविल सर्जन के कार्य के अतिरिक्त जिला यक्ष्मा विभाग, जिला कुष्ठ रोग निवारण पदाधिकारी, जिला तंबाकू नियंत्रण पदाधिकारी, ट्रूनेट मशीन से होने वाले कोरोना जांच का प्रभारी हैं। इनके उपर राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम, राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम, राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम व गैर संचारी रोग कार्यक्रम को सफल बनाने की जिम्मेवारी है।

डॉ. साहिर पाल (प्रभारी एसीएमओ) : एसीएमओ के कार्य के अतिरिक्त जिला सर्विलांस पदाधिकारी के प्रभार में हैं। इनके उपर फैलिमी प्लानिंग कार्यक्रम, पीसी एंड पीएनडीटी एक्ट, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम, आइईसी-बीसीसी योजना, अंधापन नियंत्रण कार्यक्रम, फैमिली प्लानिंग लॉजिस्टिक मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम, लक्ष्य क्वालिटी इंश्योरेंस योजना, आईडीएसपी, मैनेजमेंट अॉफ कोविड-19 एवं वैक्सीनेशन।

डॉ. बीएन उषा (प्रभारी आरसीएच पदाधिकारी) : मानसिक हेल्थ कार्यक्रम, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, हॉस्पिटल इंफॉर्मेशन सिस्टम, रिप्रोडेक्टिव चाइल्ड हेल्थ पोर्टल, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यक्रम। सभी महत्वपूर्ण विभाग प्रभार पर चल रहा है। इससे जिले के लगभग 600 कर्मचारियों का वेतन व विकास कार्य ठप पड़ गया है। 20 रिटायर्ड कर्मचारियों के भी बिल फंसा हुअा है। असाध्य बीमारी योजना के तहत गंभीर मरीजों को भी राशि नहीं मिल रही है। इस महीने वेतन सहित अन्य बिल की निकासी नहीं हुई तो पूरा आवंटन वापस हो जाएगा। कर्मचारियों की वेतन नहीं मिलने से उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है। इसकी जानकारी उपायुक्त को दी गई है। अगर जल्द ही इसका समाधान नहीं हुअा तो संघ आंदोलन करने को बाध्य होगा।

       - रवींद्रनाथ ठाकुर, जिला मंत्री, झारखंड चिकित्सा एवं जन स्वास्थ्य कर्मचारी संघ।

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