Jharkhand : होम क्‍वारंटाइन पूरा करने के 10 दिन बाद प्रवासी श्रमिक की मौत, गुजरात से लौटा था अजय पूर्ति

सरायकेला-खरसावां जिले में होम क्‍वारंटाइन पूरा करने के दस दिन बाद प्रवासी श्रमिक की मौत हो गई। 19 वर्षीय श्रमिक गुजरात से लौटा था। 12 दिन उसकी तबियत बिगड़ी थी।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Sun, 28 Jun 2020 07:24 PM (IST) Updated:Sun, 28 Jun 2020 07:24 PM (IST)
Jharkhand : होम क्‍वारंटाइन पूरा करने के 10 दिन बाद प्रवासी श्रमिक की मौत, गुजरात से लौटा था अजय पूर्ति
Jharkhand : होम क्‍वारंटाइन पूरा करने के 10 दिन बाद प्रवासी श्रमिक की मौत, गुजरात से लौटा था अजय पूर्ति

सरायकेला, जासं। सरायकेला-खरसावां जिले से हलकान करनेवाली खबर है। यहां होम क्‍वारंटाइन पूरा करने के दस दिन बाद प्रवासी श्रमिक की मौत हो गई। 19 वर्षीय श्रमिक गुजरात से लौटा था। गांव के सबसे गरीब परिवार की विधवा मां का सहारा कोविड-19 संकटकाल में छिन से ग्रामीण सदमे में हैं।

लोग मौत के लिए प्रशासन को कोस रहे हैं। उनका कहना है कि ग्राम प्रधान अश्विनी सिंहदेव ने बार-बार अधिकारियों का ध्‍यान खींचा, पर अनदेखी की गई। अगर उनकी शिकायत को गंभीरता से लिया गया होता तो शायद प्रवासी श्रमिक अजय पूर्ति आज इस दुनिया में होता और अपनी विधवा मां जानो पूर्ति का राज दुलारा बना हुआ रहता। सरायकेला थाना क्षेत्र गुराडीह गांव का रहनेवाला 19 वर्षीय अजय पूर्ति 30 मई को गुजरात के ग्रीन जोन से  लौटा था। सामुदायिक भवन के लेबर रिसिविंग सेंटर में स्वास्थ्य जांच के बाद ग्रीन जोन से लौटे होने के कारण अजय पूर्ति को होम क्वॉरंटाइन में भेज दिया गया।

12 वे दिन शुरू हाे गई थी सिरदर्द व बुखार की शिकायत

होम क्वॉरंटाइन के 12वें दिन अजय को सिरदर्द, बुखार, गले में दर्द, जीभ में खरखराहट और दस्त की समस्या हुई। ग्राम प्रधान अश्विनी सिंहदेव द्वारा स्वास्थ्य विभाग को इसकी त्वरित सूचना दी गई। जिसके बाद सहिया द्वारा दूर से ही अजय का परीक्षण करते हुए जौंडिस की संभावना जताकर जड़ी -बूटी से इलाज करवाने की सलाह दी गई।  होम क्वॉरंटाइन पूरा करने के 10 दिन बाद 25 जून को अजय की मौत हो गई। जिसके बाद ग्रामीणों द्वारा मृतक के कोरोना संदिग्ध होने की आशंका भी जताई जाने लगी। सूचना के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए मौत के दो दिन बाद 27 जून को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव का दौरा किया। टीम में ब्लॉक अकाउंट मैनेजर दिवाकर झा, लेडीज हेल्थ विजिटर मंजुला राठौर एवं एएनएम नीलम केरकेट्टा शामिल थे।  टीम ने ग्रामीणों से पूछताछ की और आसपास के लोगों का स्वाब सैंपल जांच के लिए लिया गया।

गांव का सबसे गरीब परिवार

विधवा जानो पूर्ति का परिवार गांव का सबसे गरीब परिवार बताया जाता है। परिवार में जानो और उसके चार पुत्र बड़ा बेटा जगन्नाथ पूर्ति, उससे छोटा बेटा मृतक अजय पूर्ति और दो जुड़वा छोटे बेटे राम पूर्ति एवं लखन पूर्ति हैं। अजय गुजरात में मजदूरी करता था। परिवार के भरण-पोषण के लिए उसकी मां जानो पूर्ति ठेका मजदूरी का काम करती है।

कोरोना को लेकर ग्रामीण सशंकित

प्रवासी श्रमिक की मौत की सूचना के बाद गांव पहुंची टीम। 

अजय की मौत के बाद ग्रामीण गुस्‍से में हैं और भयभीत भी। ग्रामीणों का कहना है कि यदि अजय जॉन्डिस या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित हुआ तो स्वास्थ्य विभाग को जानकारी होने के बावजूद समुचित इलाज क्यों नहीं कराया जा सका। यदि अजय की मौत कोविड-19 संक्रमण से हुई है तो ऐसी स्थिति में कांटेक्ट हिस्ट्री के हिसाब से ग्राम क्षेत्र सुरक्षित है या असुरक्षित। इन सवालों के बीच ग्रामीण  अपने और अपने परिवार की कोविड-19 संक्रमण से सुरक्षा को लेकर सशंकित देखे जा रहे हैं।

ये कहते अधिकारी

 मामला संज्ञान में नहीं आया है। अभी पता चला है। मामले की पूरी जांच करा कर आवश्यक कार्रवाई कराई जाएगी।

 - डॉ हिमांशु शेखर बरवार, सिविल सर्जन।

जॉन्डिस को कोविड-19 संक्रमण के सिम्टम्स में नहीं माना गया है। मामले को लेकर आवश्यक आंकड़े लिए जा रहे हैं।

-डॉ जुझार माझी,  कोविड-19 नोडल पदाधिकारी।

 मामले की पूरी जानकारी समय-समय पर स्वास्थ्य विभाग को दी गई। बावजूद इसके मामले में विभाग द्वारा त्वरित और बेहतर रिस्पांस नहीं लिया गया।

ये कहते ग्राम प्रधान

यदि समय पर समुचित इलाज किया जाता तो प्रवासी मजदूर अजय बच सकता था। वर्तमान में उसकी मौत के बाद कोविड-19 संक्रमित होने की आशंका भी ग्राम क्षेत्र के लिए खतरे का विषय बना हुआ है। जिस पर किसी भी प्रकार का स्थिति स्पष्ट नहीं है।

 -अश्विनी सिंहदेव,  ग्राम प्रधान, गुराडीह गांव।

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