स्वर्णरेखा परियोजना में जमीन घोटाला,प्रशासक और तत्कालीन मापक भी लपेटे में

सुवर्णरेखा परियोजना के पुनर्वास पदाधिकारी-दो की ओर से की गई जांच में स्पष्ट किया गया था कि धोखाधड़ी किस तरह की गई। यह जांच हेमंत गोप की ओर से की गई शिकायत पर हुई।

By Rakesh RanjanEdited By: Publish:Tue, 05 Mar 2019 01:42 PM (IST) Updated:Tue, 05 Mar 2019 01:42 PM (IST)
स्वर्णरेखा परियोजना में जमीन घोटाला,प्रशासक और तत्कालीन मापक भी लपेटे में
स्वर्णरेखा परियोजना में जमीन घोटाला,प्रशासक और तत्कालीन मापक भी लपेटे में

जमशेदपुर, [अन्वेष अंबष्ट]। आरोपों की जांच में सत्यता प्रमाणित होने के बावजूद कार्रवाई की कौन कहे, एफआइआर तक दर्ज नहीं की गई। प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई के लिए आयुक्त के आदेश का अनुपालन तक नहीं किया गया और आरोपित खुलेआम घूम रहे हैं। मामला सुवर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना के पुनर्वास व भू-अर्जन से जुड़ा है।

विकास पुस्तिका में छेड़छाड़, फर्जी हस्ताक्षर, दूसरे की तस्वीर चिपका कर लाखों रुपये अपने खाते में स्थानांतरित कराने का आरोप सरायकेला जिला अंतर्गत ग्राम मैसाढ़ा के उप मुखिया यदुपति गोप पर लगा है। इस मामले में सुवर्णरेखा परियोजना यूनिट आदित्यपुर के प्रशासक व तत्कालीन मापक भी लपेटे में हैं।

इस तरह की गई धोखाधड़ी

 सुवर्णरेखा परियोजना के पुनर्वास पदाधिकारी-दो की ओर से की गई जांच में स्पष्ट किया गया था कि धोखाधड़ी किस तरह की गई। यह जांच हेमंत गोप की ओर से की गई शिकायत पर हुई। जांच रिपोर्ट के अनुसार विकास पुस्तिका व मास्टर कार्ड में निरंजन गोप की पत्नी के रूप में किसी नाम की प्रविष्टि नहीं थी। सारती गोप का नाम इसमें जोड़ दिया गया। सारती गोप का नाम भी पार्वती गोप का नाम काटने के बाद ओवरराइटिंग कर जोड़ा गया। इसमें मुखिया के हस्ताक्षर भी फर्जी पाए गए। कार्डधारी निरंजन गोप की मृत्यु तिथि 14 दिसंबर 1989 दर्ज की गई जबकि शिकायतकर्ता ने उनकी मृत्यु 12 अगस्त 1997 को होने का प्रमाण उपलब्ध कराया। संशोधित विकास पुस्तिका में लिखे गए सारती गोप का नाम यदुपति गोप की हैंडराइटिंग में होने की पुष्टि हुई। अनुदान भुगतान प्रपत्र भी यदुपति गोप की हैंडराइटिंग में भरा गया और सारती गोप के नाम से बचत खाते से चार लाख रुपये की निकासी कर ली गई। उसी दिन यदुपति के खाते में चार लाख जमा किए गए।

 जांच अधिकारी के निष्कर्ष

जांच रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने जो निष्कर्ष दिया उसमें उल्लेख है कि विकास पुस्तिका में जल्दीबाजी में ओवरराइटिंग की गई। उसमें चिपकाया गया फोटो फर्जी है। सारती गोप के खाते से चार लाख की निकासी और उसी दिन यदुपति गोप के खाते में इतनी ही रकम का जमा किया जाना अपने आप में संदेह प्रकट करता है। जांच अधिकारी ने मिलीभगत की बात कही है।

आयुक्त ने दिया था एफआइआर का आदेश

ह्यूमन राइट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश कुमार किनू की ओर से मामले को उठाए जाने पर तत्कालीन आयुक्त ने मामले में एफआइआर दर्ज कर कार्रवाई के निर्देश दिए थे। उक्त निर्देश के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामला मुख्यमंत्री जनसंवाद में भी उठाते हुए यदुपति गोप, तत्कालीन पुनर्वास पदाधिकारी सुरेश राम व मापक विरेन प्रमाणिक के खिलाफ मिलीभगत कर फर्जीवाड़ा करने के मामले में कार्रवाई की मांग की गई, लेकिन करीब एक साल बाद भी कुछ नहीं किया गया।

ये कहते कोल्हान आयुक्त

ये मेरे कार्यकाल का मामला नहीं है। इस पूरे मामले को देखने और संबंधित जिले के पुलिस अधीक्षक से इस बाबत बातचीत करने के बाद ही अपनी ओर से इस मामले में कुछ कह पाऊंगा।

विजय कुमार, आयुक्त, कोल्हान प्रमंडल

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