लक्ष्मी हुई बेहोश, चार घंटे में बीस बोतल चढ़ा ग्‍लूकोज, क्रेन के सहारे हुई खड़ी Jamshedpur News

पिछले छह माह से रह रही 65 वर्षीय हथिनी लक्ष्मी सोमवार की रात गिरकर घायल हो गई। काफी मशक्‍कत के बाद उसे होश में लाया जा सका।

By Vikas SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 23 Oct 2019 06:56 PM (IST) Updated:Wed, 23 Oct 2019 06:56 PM (IST)
लक्ष्मी हुई बेहोश, चार घंटे में बीस बोतल चढ़ा ग्‍लूकोज, क्रेन के सहारे हुई खड़ी Jamshedpur News
लक्ष्मी हुई बेहोश, चार घंटे में बीस बोतल चढ़ा ग्‍लूकोज, क्रेन के सहारे हुई खड़ी Jamshedpur News

जमशेदपुर (जागरण संवाददाता)। दलमा के मकुलाकोचा में लक्ष्‍मी गिरकर बेहोश हो गई। चिकित्‍सक  व कर्मचारियों ने चार घंटे तक मशक्‍कत की। होश तो आ गया लेकिन समस्‍या उसे खड़ा करने की थी। इसके लिए क्रेन मंगाकर उस क्रेन के सहारे लक्ष्‍मी को खड़ा किया गया।

लक्ष्‍मी उस पालतू हथिनी का नाम है जो पिछले छह माह से वन्‍यकर्मियों की देखरेख में रह रही है। पिछले छह माह से रह रही 65 वर्षीय हथिनी लक्ष्मी सोमवार की रात गिरकर घायल हो गई। वह बेहोशी की हालत में थी। इस बात की जानकारी वनपालों ने रेंजर दिनेश चंद्रा को दी। सूचना मिलते ही रेंजर ने शहर से पशु चिकित्सक डा. राजेश कुमार सिंह व डा. सुरेंद्र कुमार के साथ सुबह आवश्यक दवा लेकर दलमा के मकुलाकोचा पहुंचे। इस संबंध में डा. आरके सिंह ने बताया कि सुबह साढ़े छह बजे से हथिनी का इलाज शुरू किया गया।

जांच करने पर पाया कि पिछले बांये पैर में चोट थी। वह काफी कमजोर हो गयी थी और बेहोश भी। सबसे पहले ग्लूकोज का स्लाईन चढ़ाया गया। एक-एक कर 20 बोतल ग्लूकोज, पांच बोतल कैल्शियम चढ़ाया गया। दवा-पानी का असर होते ही हथिनी ने अपनी आंखे खोली।

अब समस्‍या यह थी कि इस भारी-भरकम हथिनी को खड़ा कैसे किया जाए। उसे खड़ा करने की कोशिश की गई लेकिन कोशिश नाकाम रही। इसी बीच हथिनी को दर्द व ताकत, विटामिन का इंजेक्शन दिया गया। वन विभाग के अधिकारियों के समक्ष हथिनी को खड़ा करने की समस्या आ गयी। इसके बाद मौके पर मौजूद रेंजर दिनेश चंद्रा ने डाक्टरों से सलाह लेकर क्रेन मंगवाई। क्रेन के सहारे हथिनी को काफी मशक्कत के बाद उठाया गया। उसे उसके पैरों पर टिकाया गया  क्रेन से उठाने के बाद हथिनी अपने पैरों के सहारे खड़ी हो गयी। डाक्टर ने बताया कि पैर में चोट लगने के कारण अभी उसका इलाज चलेगा। 

जानकारी हो कि लक्ष्मी हथिनी को धनबाद से रेस्क्यू करने के बाद जमशेदपुर लाया गया था। उसे धनबाद में किसी व्यक्ति के पास से वन विभाग ने जब्त किया और उसे दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी को सौंप दिया था। पिछले पैर में चोट लगने के कारण वह खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। 

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