Jharkhand की प्राचीनतम चित्रकला पइटकारी को निखारने पहुंचा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र, जानिए क्यों है खास
Jharkhands oldest Paitkar painting. पइटकारी चित्रकला एक आदिम कला परंपरा है जिसका अभ्यास चित्रकार पइटकार या गाइन द्वारा किया जाता है। यह मूल रूप से झारखंड पश्चिम बंगाल और ओडिशा की परंपरा है। जिसे आमाडुबी के कलाकारों ने संरक्षित करके रखा है।
जमशेदपुर, जासं। Jharkhands oldest Paitkar painting झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला के धालभूमगढ़ प्रखंड में आमाडुबी नामक एक गांव है, जिसे पर्यटन ग्राम बनाया गया है। यहां झारखंड की प्राचीनतम चित्रकारी पइटकारी पेंटिंग आज भी जीवित है।
इसे निखारने के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र यहां रविवार से कार्यशाला लगा रहा है, जिसमें जमशेदपुर स्थित अर्का जैन यूनवर्सिटी के 20 छात्र भी भाग ले रहे हैं। कार्यशाला का उद्देश्य इस प्राचीन कला को राष्ट्रीय फलक पर पहुंचाना है। जमशेदपुर स्थित कला मंदिर के सहयोग से आयोजित चार दिवसीय कला कार्यशाला का उद्घाटन शनिवार को केंद्र के क्षेत्रीय निदेशक डा. संजय झा (रांची) ने किया, जबकि इस मौके पर जिला योजना पदाधिकारी अजय कुमार व कला मंदिर के उपाध्यक्ष अमिताभ घोष भी उपस्थित थे। कार्यशाला का निर्देशन पइटकारी चित्रकला के विशेषज्ञ विजय चित्रकार व किशोर गाइन कर रहे हैं।
पइटकारी चित्रकला क्यों है खास
पइटकारी चित्रकला एक आदिम कला परंपरा है, जिसका अभ्यास चित्रकार, पइटकार या गाइन द्वारा किया जाता है। यह मूल रूप से झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा की परंपरा है, जिसमें चित्रकार किसी पौराणिक, धार्मिक, एेतिहासिक या लोक कथा के घटनाक्रम को स्क्रॉल में चित्रकारी करके दर्शाते हैं। यह परंपरा पुराने समय से प्रचलित है, जिसे आमाडुबी के कलाकारों ने संरक्षित करके रखा है। चित्रों के साथ उनके नीचे कथावस्तु भी रहती है। लंबे स्क्रॉल के लिए अमूमन सूती कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि चित्र बनाने के लिए प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होता है। इस लिहाज से यह कला क्रमवार तरीके से चित्र के साथ दिन-प्रतिदिन के मानव जीवन, लोक या मौखिक परंपराओं, किंवदंतियों और पौराणिक कथाओं की वास्तविकताओं को चित्रित करती है। ज्यादतर पीले रंग मिट्टी, लाल चट्टानों या पत्थरों, काला रंग लकड़ी कोयला, हरा रंग पत्तियों और नीला रंग नीले पौधे या फूल से लिया जाता है। अब यह कला कागज को लंबाई में जोड़कर भी होती है।