झारखंड के इस जिले में 68 हजार बच्चों का बंद है 16 दिन से भोजन, जानिए क्या है वजह

झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में 68 हजार बच्चों का 16 दिन से भोजन बंद है। ये बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों पर निर्भर हैं और आंगनबाड़ीकर्मियों की बेमियादी हड़ताल चल रही है।

By Edited By: Publish:Sat, 31 Aug 2019 08:06 AM (IST) Updated:Sat, 31 Aug 2019 10:56 AM (IST)
झारखंड के इस जिले में 68 हजार बच्चों का बंद है 16 दिन से भोजन, जानिए क्या है वजह
झारखंड के इस जिले में 68 हजार बच्चों का बंद है 16 दिन से भोजन, जानिए क्या है वजह

जमशेदपुर, अमित तिवारी।  68 हजार 880 बच्चों का क्या कसूर, जिनका 16 दिन से पौष्टिक आहार बंद है। अब उन्हें न तो दलिया मिल रही है, न ही खिचड़ी। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई भी बंद है। ये सभी बच्चे पूर्वी सिंहभूम जिले के हैं, जो आंगनबाड़ी केंद्रों पर निर्भर हैं।

बच्चों का भविष्य गढ़ने वाली सेविका, सहायिका 16 अगस्त से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चली गई हैं। इससे जिले में संचालित 1722 आंगनबाड़ी केंद्रों पर ताला लटक गया है। यहां कार्य करने वाली सेविका, सहायिका स्थायी नौकरी व वेतन बढ़ाने की मांग कर रही हैं। सेविका को फिलहाल हर माह पांच हजार 900 रुपये वेतन के रूप में मिलता है लेकिन, उन लोगों का कहना है कि इतनी कम राशि में वह पांच घंटे का समय नहीं दे सकती। आंगनबाड़ी सुबह आठ से दोपहर एक बजे तक खुला रहता है। इस दौरान बच्चे को नाश्ता कराने से लेकर दोपहर तक का खाना खिलाने और उसे पढ़ाने का काम सहायिका व सेविका करती हैं। सरकार के इस योजना का मकसद कुपोषण जैसे कलंक से मुक्ति पाकर बच्चों को शिक्षित बनाना और उनका भविष्य संवारना है।

तीन माह से बच्चों को नहीं मिल रहा सत्तू व अंडा

बच्चों के लिए पहले चना का सत्तू व अंडा भी उपलब्ध कराया जाता था लेकिन बीते तीन माह से यह बंद है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर तैनात सेविकाओं का कहना है कि इस संदर्भ में उनलोगों को कोई जानकारी नहीं दी गई है। गर्भवती की सेहत पर भी मंडरा रहा खतरा

आंगनबाड़ी केंद्र बंद होने से गर्भवती महिलाओं की सेहत पर भी खतरा मंडरा रहा है। सभी केंद्रों पर गर्भवती महिलाओं की नौ माह तक सभी तरह की स्वास्थ्य जांच से लेकर टीका दिया जाता है। अगर, केंद्र जल्द ही नहीं खुला तो गर्भवती महिलाओं की जांच प्रभावित हो सकती है। यहां पर वजन से लेकर पौष्टिक आहार तक का वितरण किया जाता है।

शंकोसाई केंद्र से लौट रहे थे बच्चे

आंगनबाड़ी केंद्रों की पड़ताल करने के लिए शुक्रवार को दैनिक जागरण की टीम मानगो डिमना रोड के शंकोसाई रोड नंबर एक स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पहुंची। केंद्र के बाहर तीन बच्चे खड़े थे लेकिन अंदर से दरवाजा बंद था। दरवाजा खटखटाने पर घर मालिक निकलती हैं और पूछती है कि आपलोग कौन? पत्रकार कहते ही वह दरवाजा खोलती हैं और आंगनबाड़ी सेविका को बुलाती हैं। सेविका ममता देवी का घर कुछ दूरी है। कुछ मिनट के बाद वह पहुंची हैं और कहती है कि उनलोगों की भी सुविधाएं बढ़नी चाहिए। ममता के पति का निधन हो चुका है। वह खुद ही कार्य कर अपना परिवार चलाती हैं।

डिमना बस्ती में भी बंद था आंगनबाड़ी केंद्र

मानगो डिमना बस्ती स्थित आंगनबाड़ी केंद्र काफी पुराना है। यहां पर सेविका अभिजल कुजूर 1984 से कार्यरत हैं। उनके यहां जब दैनिक जागरण की टीम पहुंती तो शिकायतें गिनाने लगी। अभिजल कुजूर ने बताया कि हमारे यहां 20 बच्चे व 20 गर्भवती महिलाओं का रजिस्ट्रेशन है। सुबह होते ही बच्चे पहुंच जाते हैं लेकिन फिलहाल लौटने को कहा जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार सभी कर्मचारियों को स्थायी करने के साथ-साथ उनका वेतन बढ़ा रही है लेकिन हमलोगों की तरफ बिल्कुल ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्र जच्चा-बच्चा की सेहत में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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