सज्जाद खुदा हाफिज सज्जाद खुदा हाफिज

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मानगो के जाकिर नगर स्थित इमामबारगाह हजरत अबू तालिब में 25 मुहर्रम

By JagranEdited By: Publish:Mon, 16 Oct 2017 03:00 AM (IST) Updated:Mon, 16 Oct 2017 03:00 AM (IST)
सज्जाद खुदा हाफिज सज्जाद खुदा हाफिज
सज्जाद खुदा हाफिज सज्जाद खुदा हाफिज

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मानगो के जाकिर नगर स्थित इमामबारगाह हजरत अबू तालिब में 25 मुहर्रम को इमाम हुसैन के बेटे और चौथे इमाम जैनुल आबेदीन अ. (सैयद-ए-सज्जाद) का गम मनाया गया। इस दौरान इमामबारगाह में मजलिस के बाद इमाम जैनुल आबेदीन अ. का ताबूत बरामद हुआ। अकीदतमंदों ने ताबूत की जियारत की और फूलों की चादरें चढ़ाई।

इमाम हुसैन के बाद इमाम जैनुल आबेदीन इमाम बने। इमाम जैनुल आबेदीन की वेलादत अ. पांच शाबान सन् 38 हिजरी को हुई थी। वह ईरान के शहंशाह यज्देगर्द की बेटी शहरबानो के बेटे थे। उन्हें जहर से शहीद किया गया। उन्हें उमय्या वंश के खलीफा अल वलीद ने जहर दिलाया। इमाम जैनुल आबेदीन के बारे में बताया गया कि एक शख्स हर साल हज करने जाता था और इमाम की जियारत भी करता था। वह इमाम के लिए कीमती तोहफे भी लाता था। एक साल जब वह तोहफे एकट्ठा कर रहा था तभी उसकी बीवी ने कहा कि जिस इमाम के लिए तुम तोहफे ले जाते हो वह तुम्हें क्या देते हैं। वह शख्स जब हज कर इमाम की खिदमत में आया तो इमाम ने उसे बेशकीमती हीरे जवाहरात दिए और बोले कि इसे अपनी बीवी को दे देना। इमाम जैनुल आबेदीन अ. की शहादत 25 मुहर्रम 1437 हिजरी में हुई थी। मजलिस के बाद इमाम सज्जाद अ. के ताबूत निकलने। अकीदतमंदों ने ताबूत की ज्यारत की। इसके बाद नौहाखानी और सीनाजनी हुई। मुसब अब्बास, खुर्शीद आदि ने नौहा पढ़ा। मजलिस में शिराज, खुर्शीद अब्बास, इनाम अब्बास, जीशान हसन आदि थे।

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