Effect Of Plastic Ban: दुकानदारों को प्लास्टिक बंद होने से हो रहा नुकसान, फिर भी लोगों को कर रहे जागरूक, देखें किन-किन चीजों पर लगा है बैन

Effect Of Plastic Ban पॉलिथिन बंद होने से दुकानदारों को नुकसान भी हो रहा है। प्लास्टिक कैरी बैग जहां 10 पैसा का दाम पड़ता था वहीं माइक्रो कैरी बैग 1 से 3 रुपये तक पड़ रहा है। जिससे दुकानदारों को आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है।

By Madhukar KumarEdited By: Publish:Mon, 04 Jul 2022 01:11 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jul 2022 01:11 PM (IST)
Effect Of Plastic Ban: दुकानदारों को प्लास्टिक बंद होने से हो रहा नुकसान, फिर भी लोगों को कर रहे जागरूक, देखें किन-किन चीजों पर लगा है बैन
Effect Of Plastic Ban: नुकसान होने के बावजूद लोगों को जागरूक कर रहे दुकानदार।

चाईबासा, जासं। झारखंड सरकार के द्वारा पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए एक जुलाई से पूरे राज्य में एकल उपयोग प्लास्टिक को पूरी तरह प्रतिबंध कर दिया है। प्रतिबंध लागू होते ही दुकानदार और ग्राहक भी एकल उपयोग प्लास्टिक का इस्तेमाल अब नहीं करने लगे हैं। खास कर पालिथिन के इस्तेमाल पर रोक लगने से कई सब्जी, फल, किराना समेत अन्य दुकानदारों को ग्राहकों को समान देने में थोड़ी परेशानी हो रही है। हालांकि कुछ लोग चोरी-छिपे पालिथिन का इस्तेमाल भी कर रहे हैं। जिससे दुकान में मौजूद पालिथिन पूरी तरह खत्म हो जाए। जबकि ग्राहक हो या दुकानदार सरकार के इस निर्णय का समर्थन करते हुए कपड़े और बोरे से बने थैला का इस्तेमाल करने लगे हैं। जिससे लोग अधिक से अधिक जागरुक होकर पर्यावरण को हो रहे नुकसान से बचाया जा सके।

प्लास्टिक बंद होने से दुकानदार परेशान

पॉलिथिन बंद होने से दुकानदारों को नुकसान भी हो रहा है। प्लास्टिक कैरी बैग जहां 10 पैसा का दाम पड़ता था वहीं माइक्रो कैरी बैग 1 से 3 रुपये तक पड़ रहा है। जिससे दुकानदारों को आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है। वहीं किराना दुकानदार अब कागज के बने ठोंगा का इस्तेमाल खुदरा समान चीनी, दाल, चावल देने में कर रहे हैं। हालांकि कैरी बैग से मंहगा पड़ रहा है। कागज का पैकेट एक किलो ग्राम वाला एक सौ रुपये किलो, जबकि उसमें 50 से 55 बैग की रहता है। इसके बावजूद दुकानदार सरकार के निर्णय के साथ खड़े हैं। इसके लिए बोरा थैला को 10 रुपये की जगह 8 रुपये में बेच कर ग्राहकों को सुविधा दे रहे हैं।

क्या है बैन

प्लास्टिक की छड़ियों के साथ कान की कलियां, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की स्टीक, कैंडी की स्टीक, आइस्क्रीम की स्टीक, थर्माेकोल, मिठाई के बक्से, स्ट्रा, स्टिरर, निमंत्रण कार्ड, प्लास्टिक या पीवीसी बैनर 100 माईक्रोन से कम, प्लास्टिक के प्लेट, कप, ग्लास, कटलरी, हैंडल के बिना कैरी बैग, कैरी बैग समेत सभी प्रकार के एकल उपयोग के प्लास्टिक।

सरकार एक जुलाई से पालिथिन पर बैन लगा चुकी है। हम सभी सरकार के निर्णय का समर्थन करते हैं, लेकिन सरकार को भी पालिथिन के बदले अच्छा चीज निकलाना चाहिए। जिससे छोटे दुकानदारों को आर्थिक बोझ नहीं पड़े।

अशोक सोनकर, फल विक्रेता।

पालिथिन कैरी बैग 10 पैसा प्रति पड़ रहा था। अब माइक्रो कैरी बैग 1 से 3 रुपये प्रति पीस पड़ रहा है। हम छोटे दुकानदार सब्जी के साथ 3 रुपये का बैग देंगे तो कितना कमायेंगे। इस पर सरकार को कुछ व्यवस्था जरुत करनी चाहिए।

जितेन्द्र दास, सब्जी दुकानदार।

किताब-कापी को देने के लिए बड़े पालिथिन का उपयोग करते थे। लेकिन अब सीमेंट बोरा का थैला रखे हैं। थोक में 8 रुपये प्रति पीस दाम पड़ रहा है। ग्राहकों को उसी दाम से थैला दे रहे हैं, जिससे लोगों को ज्यादा बोझ भी नहीं पड़े और काम भी हो जाये।

चंदन कुमार, किताब दुकानदार।

फल वालों के लिए पालिथिन बैन सबसे ज्यादा असर डालेगा। हम खुदरा दुकानदार हैं, सेव, अंगुर, संतरा, अंनार बिना कैरी बैग के कोई नहीं लेगा। इसलिए मजबूरी में 3 रुपये प्रति पीस वाला माइक्रो कैरी बैग रखना पड़ रहा है। ऐसे में जेब से नुकसान उठा रहे हैं।

गब्बर सिंह, फल विक्रेता।

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