बेल्डीह कालीबाड़ी में भोग के लिए लगी लंबी लाइन

शहर में माता का प्रसाद (भोग) का इतना अधिक क्रेज है कि लोग अप

By JagranEdited By: Publish:Fri, 29 Sep 2017 03:00 AM (IST) Updated:Fri, 29 Sep 2017 03:00 AM (IST)
बेल्डीह कालीबाड़ी में भोग के लिए लगी लंबी लाइन
बेल्डीह कालीबाड़ी में भोग के लिए लगी लंबी लाइन

जागरण संवाददाता, जमशेदपुर : शहर में माता का प्रसाद (भोग) का इतना अधिक क्रेज है कि लोग अपने घरों में दोपहर का खाना तक नहीं बनाते। शहर में महाअष्टमी के दिन भोग के लिए सबसे लंबी लाइन जहां लगी रही वह है बेल्डीह कालीबाड़ी। बेल्डीह कालीबाड़ी में भोग की लाइन लगातार बढ़ता ही जा रहा था। बेलडीह कालीबाड़ी में 100 रुपये में एक हंडी भोग का वितरण हो रहा था। भोग वितरण खुद मोनू बिंदू भट्टाचार्य के देखरेख में हो रहा था। बेलडीह कालीबाड़ी द्वारा वितरण किए जाने वाले भोग में खिचड़ी के अलावा खीर, आल का भाजा, केला का भाजा, बैगन का भाजा, पटल का भरवा, कोफ्ता, चटनी, मिक्स सब्जी, आलू मटर की सब्जी जैसे लजीज व्यंजन शामिल था। इसके अलावा शहर में सीएच एरिया दुर्गापूजा कमेटी द्वारा बनाए गए भोग में भी लजीज व्यंजन तैयार किए गए थे। 200 रुपये की एक हंडी में भोग के साथ घी, खीर, आलू की भुजिया, मिक्स सब्जी, पुलाव, चटनी, छेना की सब्जी, बैगन भाजा, पापड़, मिठाई तक शामिल है। इसके अलावा मानगो में गांधी मैदान में 50 रुपये में भोग की हंडी मिल रही थी। जिसमें भोग के अलावा खीर, मिक्स सब्जी शामिल है। इसके अलावा ठाकुर प्यारा सिंह धुरंधर पूजा कमेटी की ओर से भी हंडी का वितरण किया गया। जिसकी कीमत 50 रुपये रखी गयी है। इसके अलावा शहर के सभी पूजा पंडालों में भी अलग-अलग दर पर भोग का वितरण किया जा रहा है। हालांकि पंडाल में महाअष्टमी का प्रसाद निश्शुल्क खिलाने की व्यवस्था सभी पूजा पंडाल समिति द्वारा किया गया था। ¨हद क्लब पूजा समिति द्वारा जहां महासप्तमी के दिन 3000 श्रद्धालुओं को भोग खिलाया गया जबकि दूसरे दिन महाअष्टमी के दिन 5 हजार लोगों को भोग खिलाया गया।

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क्या कहते हैं लोग

में और मेरा परिवार को एक साल से महाअष्टमी का भोग का इंतजार रहता है। इस दिन मां दुर्गा का पूजा पाठ करने के पश्चात मां का भोग का आनंद पूरे परिवार के लोग एक साथ उठाते हैं। महाअष्टमी के दिन वर्षो से घर में दोपहर का खाना नहीं बनता।

-- राधे श्याम शर्मा, डिमना रोड मानगो

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नवरात्र में मेरे घर में तीन दिनों तक दोपहर का खाना नहीं बनता। घर में पूरा परिवार को एक साल से भोग का इंतजार रहता है। बच्चों को तो विशेष तौर पर। घर में तीन दिनों तक दोपहर में चूल्हा नहीं जलता। परिवारसमेत माता रानी का भोग खाकर ही रहते हैं।

-- संदीप अग्रवाल, कदमा

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दुर्गापूजा के दौरान महासप्तमी से लेकर महानवमी तक मैं और मेरा परिवार भोग ही ग्रहण करते हैं। भोग इतने स्वादिष्ट लगते हैं कि इसके सामने लजीज व्यंजन भी फेल है। भोग का इंतजार एक साल तक रहता है। भोग खाने के बाद ही मन को शांति मिलती है।

--शिव कुमार सिंह, मानगो

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